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प्रसूति विज्ञान और स्त्री-रोग विज्ञान

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

प्रसूति विज्ञान और स्त्री-रोग विज्ञान के बीच अंतर

प्रसूति विज्ञान vs. स्त्री-रोग विज्ञान

प्रसूति विज्ञान (Obstetrics) एक शल्यक विशेषज्ञता है जिसके अंतर्गत एक महिला और उसकी संतान की गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोपरांत काल (प्युरपेरियम) (जन्म के ठीक बाद की अवधि), के दौरान की जाने वाली देखभाल आती है। एक दाई द्वारा कराया गया प्रसव भी इसका एक गैर चिकित्सीय रूप है। आजकल लगभग सभी प्रसूति विशेषज्ञ, स्त्री-रोग विशेषज्ञ भी होते है। . स्त्रीरोगविज्ञान (Gynaccology), चिकित्साविज्ञान की वह शाखा है जो केवल स्त्रियों से संबंधित विशेष रोगों, अर्थात् उनके विशेष रचना अंगों से संबंधित रोगों एवं उनकी चिकित्सा विषय का समावेश करती है। स्त्री-रोग विज्ञान, एक महिला की प्रजनन प्रणाली (गर्भाशय, योनि और अंडाशय) के स्वास्थ्य हेतु अर्जित की गयी शल्यक (सर्जिकल) विशेषज्ञता को संदर्भित करता है। मूलतः यह 'महिलाओं की विज्ञान' का है। आजकल लगभग सभी आधुनिक स्त्री-रोग विशेषज्ञ, प्रसूति विशेषज्ञ भी होते हैं। .

प्रसूति विज्ञान और स्त्री-रोग विज्ञान के बीच समानता

प्रसूति विज्ञान और स्त्री-रोग विज्ञान आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्रसव, आयुर्विज्ञान

प्रसव

प्रसव का अर्थ होता है जनन या बच्चे को जन्म देना। गर्भावस्था के निर्धारित काल पूरा होने पर बच्चे का जन्म बिना किसी अवरोध (रूकावट) के ही होना साधारण और सरल जन्म कहलाता है। बच्चे के जन्म को ध्यान से देखने पर यह महसूस होता है कि बच्चे के जन्म लेने की विधि को हम तीन भागों में बांट सकते हैं। प्रथम भाग में बच्चेदानी का मुंह खुलना और फैलना, दूसरे भाग में बच्चे में सिर का दिखाई पड़ना और तीसरा भाग जिसमें औवल बाहर आता है। प्रथम भाग बच्चे के जन्म का प्रथम चरण लगभग 10 से 12 घंटे या अधिक समय का होता है। प्रथम चरण का समय इस बात पर निर्भर करता है कि महिला का कौन सा बच्चा है। पहले बच्चे में यह चरण अधिक समय लेता है। दूसरे बच्चे में कम तथा तीसरे बच्चे में और कम समय लगता है। प्रथम चरण में योनि की दीवारों का पतला होना, फैलना, खिंचना और धीरे-धीरे करके बच्चे के सिर का खिसकना होता है। योनि का फैला और खिंचा हुआ भाग धीरे-धीरे बच्चेदानी के मुंह को आगे आने में मदद करता है। इस चरण के साथ ही एक चिकना पदार्थ भी निकलता है जो कि एक झिल्ली के समान होता है जिसको शो कहते हैं। कभी-कभी सुकुचन जे साथ-साथ एमनीओटिक सैक फट जाता है तथा एमनीओटिक द्रव निकलने लगता है। दूसरा भाग बच्चे के जन्म के दूसरे चरण में बच्चेदानी का दबाव प्रत्येक दो-दो मिनट बाद होता है तथा आधे या एक मिनट तक रहता है। इस दबाव के कारण बच्चा धीरे-धीरे नीचे ढकेला जाता है। इस चरण में बच्चे का सिर देखा जा सकता है। इसके बाद योनि धीरे-धीरे सिमटते हुए परतों के रूप में एक परत दूसरे के ऊपर चढ़ती रहती है। साधारणतया बच्चे का सिर ऊपर की ओर तथा उसका धड़ नीचे की ओर होता है। कभी-कभी दर्द के साथ बच्चे को निकालने के लिए पेट से भी बच्चे को हल्के हाथों से दबाया जाता है। इस चरण में महिला को लम्बी सांस का व्यायाम लाभकारी होता है। क्योंकि सांस को रोककर ही महिला का जोर लगाना पड़ता है। कई बार बच्चों को निकालने के लिए औजारों का भी प्रयोग किया जाता है। बच्चे का जन्म होते समय जब बच्चा बाहर आता है मां को ऐसा महसूस होता है कि जैसे कि उनके शरीर से मल बाहर आ रहा हो। प्रसव के समय सबसे पहले बच्चे का सिर बहर आता है। फिर एक कंधा, दूसरा कंधा तथा बाद में पूरा धड़ बाहर निकल आता है इस प्रकार के बच्चे के जन्म लेते ही दूसरा चरण पूरा हो जाता है। गाय के बच्चे के प्रसव के अनेक चरण .

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आयुर्विज्ञान

आधुनिक गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।आयुर्विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है, जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका निदान करने तथा आयु बढ़ाने से है। भारत आयुर्विज्ञान का जन्मदाता है। अपने प्रारम्भिक समय में आयुर्विज्ञान का अध्ययन जीव विज्ञान की एक शाखा के समान ही किया गया था। बाद में 'शरीर रचना' तथा 'शरीर क्रिया विज्ञान' आदि को इसका आधार बनाया गया। .

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प्रसूति विज्ञान और स्त्री-रोग विज्ञान के बीच तुलना

प्रसूति विज्ञान 7 संबंध है और स्त्री-रोग विज्ञान 15 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 9.09% है = 2 / (7 + 15)।

संदर्भ

यह लेख प्रसूति विज्ञान और स्त्री-रोग विज्ञान के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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