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प्रत्यास्थता और सुघट्यता

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

प्रत्यास्थता और सुघट्यता के बीच अंतर

प्रत्यास्थता vs. सुघट्यता

यांत्रिकी में प्रत्यास्थता (elasticity) पदार्थों के उस गुण को कहते हैं जिसके कारण उस पर वाह्य बल लगाने पर उसमें विकृति (deformation) आती है परन्तु बल हटाने पर वह अपनी मूल स्थिति में आ जाता है। यदि वाह्यबल के परिमाण को धीरे-धीरे बढ़ाया जाय तो विकृति समान रूप से बढ़ती जाती है, साथ ही साथ आंतरिक प्रतिरोध भी बढ़ता जाता है। किन्तु किसी पदार्थ पर एक सीमा से अधिक बल लगाया जाय तो उस वाह्य बल को हटा लेने के बाद भी पदार्थ पूर्णत: अपनी मूल अवस्था में नहीं लौट पाता; बल्कि उसमें एक स्थायी विकृति शेष रह जाती है। पदार्थ की इसी सीमा को प्रत्यास्थता सीमा (Limit of elasticity या Elastic limit) कहते हैं। आंकिक रूप से स्थायी परिवर्तन लानेवाला, इकाई क्षेत्र पर लगनेवाला, न्यूनतम बल ही "प्रत्यास्थता सीमा" (Elastic limit) कहलाता है। प्रत्यास्थता की सीमा पार चुके पदार्थ को सुघट्य (Plastic) कहते हैं। प्रत्यास्थता सीमा के भीतर, विकृति वस्तु में कार्य करनेवाले प्रतिबल की समानुपाती होती है। यह एक प्रायोगिक तथ्य है एवं हुक के नियम (Hooke's law of elasticity) के नाम से विख्यात है। . भौतिकी और पदार्थ विज्ञान में, सुघट्यता किसी पदार्थ का वह गुण है जो उस विरुपण की व्याख्या करती है जो उस पदार्थ पर आरोपित बलों के फलस्वरूप उसकी आकृति में आये अप्रतिवर्ती परिवर्तन के कारण होता है। .

प्रत्यास्थता और सुघट्यता के बीच समानता

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

प्रत्यास्थता और सुघट्यता के बीच तुलना

प्रत्यास्थता 3 संबंध है और सुघट्यता 2 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (3 + 2)।

संदर्भ

यह लेख प्रत्यास्थता और सुघट्यता के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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