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प्रतीच्य चालुक्य और सोमेश्वर द्वितीय

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

प्रतीच्य चालुक्य और सोमेश्वर द्वितीय के बीच अंतर

प्रतीच्य चालुक्य vs. सोमेश्वर द्वितीय

प्रतीच्य चालुक्य पश्चिमी भारत का राजवंश था जिसने २१६ वर्ष राज किया। प्रतीच्य चालुक्य, c. 1121. सोमेश्वर द्वितीय (तराज्यकाल  1068 – 1076 ई.), सोमेश्वर प्रथम का सबसे बड़ा पुत्र तथा पश्चिमी चालुक्य राजवंश का शासक था। अपने पिता बाद वह गद्दी पर बैठा। अपने पिता के शासनकाल में वह गडग के आसपास के क्षेत्रों का प्रशासन देखता था। अपने शासनकाल में वह अपने छोटे भाई विक्रमादित्य षष्ठ से लगातार चुनौती पाता रहा जो अत्यन्त महत्वाकांक्षी था। अन्ततः विक्रमादित्य ने १०७६ ई में उसे पराजित कर शासन अपने हाथ में ले लिया। श्रेणी:भारत के शासक.

प्रतीच्य चालुक्य और सोमेश्वर द्वितीय के बीच समानता

प्रतीच्य चालुक्य और सोमेश्वर द्वितीय आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): सोमेश्वर प्रथम, विक्रमादित्य ६

सोमेश्वर प्रथम

सोमेश्वर प्रथम (आहवमल्ल) प्रसिद्ध चालुक्यराज जयसिंह द्वितीय जगदेकमल्ल का पुत्र जो 1042 ई. में सिंहासन पर बैठा। पिता का समृद्ध राज्य प्राप्त कर उसने दिग्विजय करने का निश्चय किया। चोल और परमार दोनों उसके शत्रु थे। पहले वह परमारों की ओर बढ़ा। राजा भोज धारा और मांडू छोड़ उज्जैन भागा और सोमेश्वर दोनों नगरों को लूटता उज्जैन जा चढ़ा। उज्जैन की भी वही गति हुई, यद्यपि भोज सेना तैयार कर फिर लौटा और उसने खोए हुए प्रांत लौटा लिए। कुछ दिनों बाद जब अह्निलवाड के भीम और कलचुरी लक्ष्मीकर्ण से संघर्ष के बीच भोज मर गया तब उसके उत्तराधिकारी जयसिंह ने सोमेश्वर से सहायता मांगी। सोमेश्वर ने उसे मालवा की गद्दी पर बैठा दिया और स्वयं चोलों से जा भिड़ा। 1052 ई. में कृष्णा और पंचगंगा के संगम पर कोप्पम के प्रसिद्ध युद्ध में चोलों को परास्त किया। बिल्हण के 'विक्रमांकदेवचरित' के अनुसार तो सोमेश्वर एक बार चोल शक्ति के केंद्र रांची तक जा पहुँचा। सोमेश्वर ने दक्षिण और निकट के राजकुलों से सफल लोहा लेकर अब अपना रूख उत्तर की ओर किया। मध्यभारत में चंदेलों और कछवाहों को रौदता वह गंगा जमुना के द्वाब की ओर बढ़ा और कन्नौजराज ने डरकर कंदराओं में शरण ली। उसकी शक्ति इस प्रकार बढ़ती देख लक्ष्मीकर्ण कलचुरी ने उसकी राह रोकी, पर उसे हारकर मैदान छोड़ना पड़ा। इसी बीच सोमेश्वर के बेटे विक्रमादित्य ने मिथिला, मगध, अंग, बंग और गौड़ को रौंद डाला। तब कहीं कामरूप (आसाम) पहुँचने पर वहाँ के राजा रत्नपाल ने चालुक्यों की बाग रोकी और सोमेश्वर कोशल की राह घर लौटा। हैदराबाद में कल्याणी नाम का नगर उसी का बसाया हुआ प्राचीन कल्याण है जिसे उसने अपनी राजधानी बनाया था। 1068 ई. में बीमार पड़ने पर जब सोमेश्वर ने अपने बचने की आशा न देखी तब वह तुंगभद्रा में स्वेच्छा से डूबकर मर गया। श्रेणी:चालुक्य वंश श्रेणी:चित्र जोड़ें श्रेणी:राजा भोज.

प्रतीच्य चालुक्य और सोमेश्वर प्रथम · सोमेश्वर द्वितीय और सोमेश्वर प्रथम · और देखें »

विक्रमादित्य ६

विक्रमादित्य षष्ठ (1076 – 1126 ई) पश्चिमी चालुक्य शासक था। वह अपने बड़े भाई सोमेश्वर द्वितीय को अपदस्थ कर गद्दी पर बैठा। चालुक्य-विक्रम संवत् उसके शासनारूढ़ होने पर आरम्भ किया गया। सभी चालुक्य राजाओं में वह सबसे अधिक महान, पराक्रमी था तथा उसका शासन काल सबसे लम्बा रहा। उसने 'परमादिदेव' और त्रिभुवनमल्ल' की उपाधि धारण की। वह कला और साहित्य का संरक्षक और संवर्धक था। उसके दरबार में कन्नड और संस्कृत के प्रसिद्ध कवि शोभा देते थे। उसके भाई कीर्तिवर्मा ने कन्नड में 'गोवैद्य' नामक पशुचिकित्सा ग्रन्थ लिखा। ब्रह्मशिव ने कन्नड में 'समयपरीक्षे' नामक ग्रन्थ लिखा और 'कविचक्रवर्ती' की उपाधि प्राप्त की। १२वीं शताब्दी के पूर्व किसी और ने कन्नड में उतने शिलालेख नहीं लिखवाये जितने विक्रमादित्य षष्ठ ने। संस्कृत के प्रसिद्ध कवि बिल्हण ने 'विक्रमांकदेवचरित' नाम से राजा का प्रशस्ति ग्रन्थ लिखा। विज्ञानेश्वर ने हिन्दू विधि से सम्बन्धित मिताक्षरा नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ लिखा। चन्दलादेवी नामक उसकी एक रानी (जिसे अभिनव सरस्वती कहते थे) अच्छी नृत्यांगना थी। अपने चरमोत्कर्ष के समय चन्द्रगुप्त षष्ठ का विशाल साम्राज्य दक्षिण भारत में कावेरी नदी से आरम्भ करके मध्य भारत में नर्मदा नदी तक विस्तृत था। श्रेणी:भारत के राजा श्रेणी:भारत का इतिहास.

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प्रतीच्य चालुक्य और सोमेश्वर द्वितीय के बीच तुलना

प्रतीच्य चालुक्य 20 संबंध है और सोमेश्वर द्वितीय 3 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 8.70% है = 2 / (20 + 3)।

संदर्भ

यह लेख प्रतीच्य चालुक्य और सोमेश्वर द्वितीय के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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