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प्रजनक व्याकरण और प्राकृतिक भाषा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

प्रजनक व्याकरण और प्राकृतिक भाषा के बीच अंतर

प्रजनक व्याकरण vs. प्राकृतिक भाषा

प्रजनक व्याकरण (Generative grammar) एक भाषावैज्ञानिक सिद्धान्त है जो यह मानता है कि व्याकरण कुछ नियमों का एक ऐसा समूह है जो शब्दों का ठीक-ठीक वही क्रम उत्पन्न करेगा जो किसी प्राकृतिक भाषा में 'व्याकरनसम्मत वाक्य' के रूप में विद्यमान हों। 1965 में नोआम चाम्सकी ने अपनी पुस्तक 'ऐस्पेक्ट्स ऑफ द थिअरी ऑफ सिन्टैक्स' में लिखा था कि पाणिनीय व्याकरण (अष्टाध्यायी) 'प्रजनक व्याकरण' के आधुनिक परिभाषा के अनुसार, एक प्रजनन व्याकरण है। . तंत्रिका मनोविज्ञान, भाषा विज्ञान और भाषा के दर्शन में, प्राकृतिक भाषा ऐसी भाषा है जो किसी योजना या अपने स्वयं के पूर्वचिन्तन के बिना मनुष्य के दिमाग के एक समूह में विकसित हुई। इसलिए, लगभग हमेशा, मनुष्य एक दूसरे से संवाद करने के लिये इनका उपयोग करते हैं। श्रेणी:भाषा-विज्ञान श्रेणी:भाषा श्रेणी:विज्ञान.

प्रजनक व्याकरण और प्राकृतिक भाषा के बीच समानता

प्रजनक व्याकरण और प्राकृतिक भाषा आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): भाषाविज्ञान

भाषाविज्ञान

भाषाविज्ञान भाषा के अध्ययन की वह शाखा है जिसमें भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप, विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान के अध्ययेता 'भाषाविज्ञानी' कहलाते हैं। भाषाविज्ञान, व्याकरण से भिन्न है। व्याकरण में किसी भाषा का कार्यात्मक अध्ययन (functional description) किया जाता है जबकि भाषाविज्ञानी इसके आगे जाकर भाषा का अत्यन्त व्यापक अध्ययन करता है। अध्ययन के अनेक विषयों में से आजकल भाषा-विज्ञान को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। .

प्रजनक व्याकरण और भाषाविज्ञान · प्राकृतिक भाषा और भाषाविज्ञान · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

प्रजनक व्याकरण और प्राकृतिक भाषा के बीच तुलना

प्रजनक व्याकरण 4 संबंध है और प्राकृतिक भाषा 4 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 12.50% है = 1 / (4 + 4)।

संदर्भ

यह लेख प्रजनक व्याकरण और प्राकृतिक भाषा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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