10 संबंधों: चेतना, मनोविज्ञान, शिकागो विश्वविद्यालय, संरचनात्मक प्रकार्यवाद, संरचनावाद, हार्वर्ड विश्वविद्यालय, जॉन डिवी, विलियम जेम्स, कोलंबिया विश्वविद्यालय, अधिगम।
चेतना
१७वीं सदी से चेतना का एक चित्रण चेतना कुछ जीवधारियों में स्वयं के और अपने आसपास के वातावरण के तत्वों का बोध होने, उन्हें समझने तथा उनकी बातों का मूल्यांकन करने की शक्ति का नाम है। विज्ञान के अनुसार चेतना वह अनुभूति है जो मस्तिष्क में पहुँचनेवाले अभिगामी आवेगों से उत्पन्न होती है। इन आवेगों का अर्थ तुरंत अथवा बाद में लगाया जाता है। .
नई!!: प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और चेतना · और देखें »
मनोविज्ञान
मनोविज्ञान (Psychology) वह शैक्षिक व अनुप्रयोगात्मक विद्या है जो प्राणी (मनुष्य, पशु आदि) के मानसिक प्रक्रियाओं (mental processes), अनुभवों तथा व्यक्त व अव्यक्त दाेनाें प्रकार के व्यवहाराें का एक क्रमबद्ध तथा वैज्ञानिक अध्ययन करती है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो क्रमबद्ध रूप से (systematically) प्रेक्षणीय व्यवहार (observable behaviour) का अध्ययन करता है तथा प्राणी के भीतर के मानसिक एवं दैहिक प्रक्रियाओं जैसे - चिन्तन, भाव आदि तथा वातावरण की घटनाओं के साथ उनका संबंध जोड़कर अध्ययन करता है। इस परिप्रेक्ष्य में मनोविज्ञान को व्यवहार एवं मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन का विज्ञान कहा गया है। 'व्यवहार' में मानव व्यवहार तथा पशु व्यवहार दोनों ही सम्मिलित होते हैं। मानसिक प्रक्रियाओं के अन्तर्गत संवेदन (Sensation), अवधान (attention), प्रत्यक्षण (Perception), सीखना (अधिगम), स्मृति, चिन्तन आदि आते हैं। मनोविज्ञान अनुभव का विज्ञान है, इसका उद्देश्य चेतनावस्था की प्रक्रिया के तत्त्वों का विश्लेषण, उनके परस्पर संबंधों का स्वरूप तथा उन्हें निर्धारित करनेवाले नियमों का पता लगाना है। .
नई!!: प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और मनोविज्ञान · और देखें »
शिकागो विश्वविद्यालय
अमरीका का यह विश्वविद्यालय इलिनॉय के शिकागो शहर में स्थित है। इसमें चार ग्रेजुएट डिविजन्स हैं और छह प्रोफेशनल स्कूल, जिनमें 2211 फैकल्टी मैम्बर्स काम कर रहे हैं। इसमें इस समय 15000 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें 18 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं। .
नई!!: प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और शिकागो विश्वविद्यालय · और देखें »
संरचनात्मक प्रकार्यवाद
सरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural functionalism) या केवल प्रकार्यवाद समाजशास्त्र की प्रमुख अवधारणा है। प्रकार्यवादी सोच को विकसित करने वाले समाजशास्त्रियों में जिन दो विचारकों को महत्वपूर्ण माना जाता है उसमें दुर्खिम (1858-1917) तथा टालकाट पार्सन्स (1902-1979) प्रमुख रहे हैं। अमेरीकी समाजशास्त्र में प्रकार्यवादी सिद्धान्त का एक खास स्थान रहा है। समाजशास्त्र में प्रत्यक्षवाद के साथ ही साथ प्रकार्यवादी सोच का एक विशेष स्थान रहा है। प्रकार्यवादी सिद्धान्त के समर्थक यह मानते हैं कि समाज की क्रियाएँ व्यवस्थित तरीकें से चलती है और इसलिए वह समाज को एक व्यवस्था (सिस्टम) के रूप में देखतें हैं। सामाजिक व्यवस्था को व्यवस्थित रूप से चलाए रखने में विभिन्न तत्वों के बीच आत्मनिर्भरता पाई जाती है। समाज के ये विभिन्न तत्व एक सम्पूर्ण व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं। अतः समाज एक सम्पूर्ण व्यवस्था है जिसके व्यवस्थित स्वरूप को बनाए रखने में विभिन्न समूहों तथा संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है। समाजशास्त्र में प्रकार्यवादी सिद्धान्त के जनक इमाइल दुर्खिम को माना जाता है जिन्होंने यह बताया था कि समाज में एकता बनाए रखने के लिए धर्म, नैतिक आधार प्रदान करता है। धर्म के आधार पर समाज के नैतिक मूल्य, समाज के एकाकी स्वरूप को पुष्ट करते हैं। श्रेणी:समाजशास्त्र.
नई!!: प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और संरचनात्मक प्रकार्यवाद · और देखें »
संरचनावाद
संरचनावाद (स्ट्रक्चरलिज्म) मानव विज्ञान की एक ऐसी पद्धति है जो संकेत विज्ञान (यानी संकेतों की एक प्रणाली) और सहजता से परस्पर संबद्ध भागों की एक पद्धति के अनुसार तथ्यों का विश्लेषण करने का प्रयास करती है। स्वीडन के प्रसिद्ध भाषाविद फर्दिनान्द द सस्यूर (Ferdinand de Saussure) इसके प्रवर्तक माने जाते हैं, जिन्हें हिन्दी में सस्यूर नाम से जाना जाता है। तर्क के संरचनावादी तरीके को विभिन्न क्षेत्रों जैसे, नृविज्ञान, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, साहित्यिक आलोचना और यहां तक कि वास्तुकला में भी लागू किया गया है। इसने एक विधि के रूप में नहीं बल्कि एक बौद्धिक आंदोलन के रूप में संरचनावाद की भोर में प्रवेश किया, जो 1960 के दशक में फ्रांस में अस्तित्ववाद की जगह लेने आया था। 1970 के दशक में, यह आलोचकों के आन्तरिक गुस्से का शिकार हुआ, जिन्होंने इस पर बहुत ही 'अनमनीय' तथा 'अनैतिहासिक' होने का आरोप लगाया। हालांकि, संरचनावाद के कई समर्थकों, जैसे कि जैक्स लेकन ने महाद्वीपीय मान्यताओं और इसके आलोचकों की मूल धारणाओं पर ज़ोर देकर प्रभाव डालना शुरू किया कि उत्तर-संरचनावाद, संरचनावाद की निरंतरता है।जॉन स्टुरॉक, स्ट्रक्चरालिज़म एण्ड सिंस, परिचय.
नई!!: प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और संरचनावाद · और देखें »
हार्वर्ड विश्वविद्यालय
250px हार्वर्ड विश्वविद्यालय अमेरिका के मैसाचुसैट्स शहर के कैंब्रिज में स्थित एक निजी विश्वविद्यालय है, जो इवी लीग का सदस्य है। इसकी स्थापना 1636 में औपनिवेशिक मैसाचुसैट्स कानून के तहत हुआ। हार्वर्ड अमेरिका में उच्च शिक्षा का सबसे पुराना संस्थान है और वर्तमान में इसकी दस शैक्षणिक ईकाईयां हैं। यह अमेरिका का पहला और सबसे पुराना निगम है। शुरुआत में यह न्यू कॉलेज या द कॉलेज ऑफ न्यू टाऊन के नाम से जाना जाता था। 13 मार्च 1639 को इसका नाम बदलकर हार्वर्ड कॉलेज रखा गया.
नई!!: प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और हार्वर्ड विश्वविद्यालय · और देखें »
जॉन डिवी
जॉन डुई जान डुई (John Dewey; 1859-1952) संयुक्त राज्य अमेरिका के शिक्षाशास्त्री, दार्शनिक एवं मनोवैज्ञानिक थे। .
नई!!: प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और जॉन डिवी · और देखें »
विलियम जेम्स
विलियम जेम्स (William James; 11 जनवरी, 1842 – 26 अगस्त, 1910) अमेरिकी दार्शनिक एवं मनोवैज्ञानिक थे जिन्होने चिकित्सक के रूप में भी प्रशिक्षण पाया था। इन्होंने मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से पृथक किया था, इसलिए इन्हें मनोविज्ञान का जनक भी मन जाता है। विलियम जेम्स ने मनोविज्ञान के अध्ययन हेतु एक पुस्तक लिखी जिसका नाम "प्रिंसिपल्स ऑफ़ साइकोलॉजी" है। इसका भाई हेनरी जेम्स प्रख्यात उपन्यासकार था। आकर्षक लेखनशैली और अभिव्यक्ति की कुशलता के लिये जेम्स विख्यात हैं। विलियम जेम्स का जन्म ११ जनवरी १८४२ को न्यूयार्क में हुआ। जेम्स ने हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में चिकित्साविज्ञान का अध्ययन किया और वहीं १८७२ से १९०७ तक क्रमश: शरीरविज्ञान, मनोविज्ञान और दर्शन का प्राध्यापक रहा। १८९९ से १९०१ तक एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में प्राकृतिक धर्म पर और १९०८ में ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय में दर्शन पर व्याख्यान दिए। २६ अगस्त, १९१० को उसकी मृत्यु हो गई। १८९० में उसकी पुस्तक प्रिंसिपिल्स ऑव् साइकॉलाजी प्रकाशित हुई, जिसने मनोविज्ञान के क्षेत्र में क्रांति सी मचा दी, और जेम्स को उसी एक पुस्तक से जागतिक ख्याति मिल गई। अपनी अन्य रचनाओं में उसने दर्शन तथा धर्म की समस्याओं को सुलझाने में अपनी मनोवैज्ञानिक मान्यताओं का उपयोग किया और उनका समाधान उसने अपने फलानुमेयप्रामाणवाद (Pragmatism) और आधारभूत अनुभववाद (Radical Empiricism) में पाया। फलानुमेयप्रामाणवादी जेम्स ने 'ज्ञान' को बृहत्तर व्यावहारिक स्थिति का, जिससे व्यक्ति स्वयं को संसार में प्रतिष्ठित करता है, भाग मानते हुए 'ज्ञाता' और 'ज्ञेय' को जीवी (Organism) और परिवेश (Environment) के रूप में स्थापित किया है। इस प्रकार सत्य कोई पूर्ववृत्त वास्तविकता (Antecedent Reality) नहीं है, अपितु वह प्रत्यय की व्यावहारिक सफलता के अंशों पर आधारित है। सभी बौद्धिक क्रियाओं का महत्व उनकी व्यावहारिक उद्देश्यों की पूर्ति की क्षमता में निहित है। आधारभूत अनुभववाद जेम्स ने पहले मनोवैज्ञानिक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया। जॉन लॉक और जार्ज बर्कली के मतों से भिन्न उसकी मान्यता थी कि चेतना की परिवर्तनशील स्थितियाँ परस्पर संबंधित रहती हैं; तदनुसार समग्र अनुभव की स्थितियों में संबंध स्थापित हो जाता है; मस्तिष्क आदि कोई बाह्य शक्ति उसमें सहायक नहीं होती। मस्तिष्क प्रत्यक्ष अनुभव की समग्रता में भेद करता है। फलानुमेय प्रामाण्यवाद और आधारभूत अनुभववाद पर ही जेम्स की धार्मिक मान्यताएँ आधृत हैं। फलानुमेय प्रामाण्यवाद सत्य की अपेक्षा धार्मिक विश्वासों की व्याख्या में अधिक सहायक था; क्योंकि विश्वास प्राय: व्यावहारिक होते हैं यहाँ तक कि तर्कों के प्रमाण के अभाव में भी मान्य होते हैं; किंतु परिणामवादीदृष्टिकोण से सत्य की, परिभाषा स्थिर करना संदिग्ध है। 'द विल टु बिलीव' में जेम्स ने अंतःकरण के या संवेगजन्य प्रमाणों पर बल दिया है और सिद्ध किया है कि उद्देश्य (Purpose) और संकल्प (Will) ही व्यक्ति के दृष्टिकोण का निर्माण करते हैं। 'द वेराइटीज़ ऑव रिलीजस एक्सपीरियेंस' में जेम्स ने व्यक्ति को निष्क्रिय और शक्तिहीन दिखलाया है तथा यह भी प्रदर्शित किया है कि उसकी रक्षा कोई बाह्य शक्ति करती है। जेम्स के अनुभववाद से धार्मिक अनुभूति की व्याख्या इसलिये असंभव है कि इन अनुभूतियों का व्यक्ति के अवचेनत से सीधा संबंध होता है। जेम्स के धर्मदर्शन में तीन बातें मुख्य हैं-.
नई!!: प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और विलियम जेम्स · और देखें »
कोलंबिया विश्वविद्यालय
कोलंबिया विश्वविद्यालय अमरीका के नया यॉर्क प्रांत में स्थित एक महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय है। श्रेणी:अमेरिकी विश्वविद्यालय श्रेणी:न्यू यार्क.
नई!!: प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और कोलंबिया विश्वविद्यालय · और देखें »
अधिगम
सीखना या अधिगम (जर्मन: Lernen, learning) एक व्यापक सतत् एवं जीवन पर्यन्त चलनेवाली प्रक्रिया है। मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देता है और जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता है। धीरे-धीरे वह अपने को वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है। इस समायोजन के दौरान वह अपने अनुभवों से अधिक लाभ उठाने का प्रयास करता है। इस प्रक्रिया को मनोविज्ञान में सीखना कहते हैं। जिस व्यक्ति में सीखने की जितनी अधिक शक्ति होती है, उतना ही उसके जीवन का विकास होता है। सीखने की प्रक्रिया में व्यक्ति अनेक क्रियाऐं एवं उपक्रियाऐं करता है। अतः सीखना किसी स्थिति के प्रति सक्रिय प्रतिक्रिया है। उदाहरणार्थ - छोटे बालक के सामने जलता दीपक ले जानेपर वह दीपक की लौ को पकड़ने का प्रयास करता है। इस प्रयास में उसका हाथ जलने लगता है। वह हाथ को पीछे खींच लेता है। पुनः जब कभी उसके सामने दीपक लाया जाता है तो वह अपने पूर्व अनुभव के आधार पर लौ पकड़ने के लिए, हाथ नहीं बढ़ाता है, वरन् उससे दूर हो जाता है। इसीविचार को स्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करना कहते हैं। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि अनुभव के आधार पर बालक के स्वाभाविक व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है। .
नई!!: प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और अधिगम · और देखें »