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पोलियोमेलाइटिस और मिशन इंद्रधनुष अभियान

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पोलियोमेलाइटिस और मिशन इंद्रधनुष अभियान के बीच अंतर

पोलियोमेलाइटिस vs. मिशन इंद्रधनुष अभियान

बहुतृषा, जिसे अक्सर पोलियो या 'पोलियोमेलाइटिस' भी कहा जाता है एक विषाणु जनित भीषण संक्रामक रोग है जो आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति मे संक्रमित विष्ठा या खाने के माध्यम से फैलता है। इसे 'बालसंस्तंभ' (Infantile Paralysis), 'बालपक्षाघात', बहुतृषा (Poliomyelitis) तथा 'बहुतृषा एंसेफ़लाइटिस' (Polioencephalitis) भी कहते हैं। यह एक उग्र स्वरूप का बच्चों में होनेवाला रोग है, जिसमें मेरुरज्जु (spinal cord) के अष्टश्रृंग (anterior horn) तथा उसके अंदर स्थित धूसर वस्तु में अपभ्रंशन (degenaration) हो जाता है और इसके कारण चालकपक्षाघात (motor paralysis) हो जाता है। पोलियो शब्द यूनानी भाषा के पोलियो (πολίός) और मीलोन (μυελός) से व्युत्पन्न है जिनका अर्थ क्रमश: स्लेटी (ग्रे) और "मेरुरज्जु" होता है साथ मे जुड़ा आइटिस का अर्थ शोथ होता है तीनो को मिला देने से बहुतृषा या पोलियोमेरुरज्जुशोथ बनता है। बहुतृषा संक्रमण के लगभग 90% मामलों में कोई लक्षण नहीं होते यद्यपि, अगर यह विषाणु व्यक्ति के रक्त प्रवाह में प्रवेश कर ले तो संक्रमित व्यक्ति मे लक्षणों की एक पूरी श्रृंखला दिख सकती है। 1% से भी कम मामलों में विषाणु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में प्रवेश कर जाता है और सबसे पहले मोटर स्नायु (न्यूरॉन्स) को संक्रमित और नष्ट करता है जिसके कारण मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और व्यक्ति को तीव्र पक्षाघात हो जाता है। पक्षाघात के विभिन्न प्रकार इस पर निर्भर करते हैं कि इसमे कौन सी तंत्रिकायें शामिल हैं। मेरुरज्जु का बहुतृषा का सबसे आम रूप है, जिसकी विशेषता असममित पक्षाघात होता है जिसमे अक्सर पैर प्रभावित होते हैं। बुलबर बहुतृषा से कपालीय तंत्रिकाओं (cranial nerves) द्वारा स्फूर्तित मांसपेशियों मे कमजोरी आ जाती है। बुलबोस्पाइनल बहुतृषा बुलबर और स्पाइनल (मेरुरज्जु) के पक्षाघात का सम्मिलित रूप है। बहुतृषा को सबसे पहले 1840 में जैकब हाइन ने एक विशिष्ट परिस्थिति के रूप में पहचाना, पर 1908 में कार्ल लैंडस्टीनर द्वारा इसके कारणात्मक एजेंट, पोलियोविषाणु की पहचान की गई थी। हालांकि 19 वीं सदी से पहले लोग बहुतृषा के एक प्रमुख महामारी के रूप से अनजान थे, लेकिन 20 वीं सदी मे बहुतृषा बचपन की सबसे भयावह बीमारी बन के उभरा। बहुतृषा की महामारी ने हजारों लोगों को अपंग कर दिया जिनमे अधिकतर छोटे बच्चे थे और यह रोग मानव इतिहास मे घटित सबसे अधिक पक्षाघात और मृत्युओं का कारण बना। बहुतृषा हजारों वर्षों से चुपचाप एक स्थानिकमारी वाले रोगज़नक़ के रूप में मौजूद था, पर 1880 के दशक मे यह एक बड़ी महामारी के रूप मे यूरोप में उदित हुआ और इसके के तुरंत बाद, यह एक व्यापक महामारी के रूप मे अमेरिका में भी फैल गया। 1910 तक, ज्यादातर दुनिया के हिस्से इसकी चपेट मे आ गये थे और दुनिया भर मे इसके शिकारों मे एक नाटकीय वृद्धि दर्ज की गयी थी; विशेषकर शहरों में गर्मी के महीनों के दौरान यह एक नियमित घटना बन गया। यह महामारी, जिसने हज़ारों बच्चों और बड़ों को अपाहिज बना दिया था, इसके टीके के विकास की दिशा में प्रेरणास्रोत बनी। जोनास सॉल्क के 1952 और अल्बर्ट साबिन के 1962 मे विकसित बहुतृषा के टीकों के कारण विश्व में बहुतृषा के मरीजों मे बड़ी कमी दर्ज की गयी। विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और रोटरी इंटरनेशनल के नेतृत्व मे बढ़े टीकाकरण प्रयासों से इस रोग का वैश्विक उन्मूलन अब निकट ही है। . मिशन इंद्रधनुष अभियान को भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सभी बच्चों को टीकाकरण के अंतर्गत लाने के लिये "'मिशन इंद्रधनुष'" को सुशासन दिवस के 25 दिसंबर 2014 अवसर पर प्रारंभ किया गया था ' इंद्रधनुष के सात रंगों को प्रदर्शित करने वाला मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य उन बच्चों का २०२० तक टीकाकरण करना है जिन्हें टीके नहीं लगे हैं या डिफ्थेरिया,बलगम, टिटनस,पोलियो,तपेदिक,खसरा तथा हेपिटाइटिस-बी को रोकने जैसे सात टीके आंशिक रूप से लगे हैं। यह कार्यक्रम हर साल ५ प्रतिशत या उससे अधिक बच्चों के पूर्ण में तेजी से वृद्धि के लिए विशेष अभियानों के जरिए चलाया जाएगा। पहले चरण में देश में २०१ जिलों की पहचान की है, जिसमें ५० प्रतिशत बच्चों को टीके नहीं लगे हैं या उन्हें आंशिक रूप से टीके लगाए गए हैं' इन जिलों को नियमित रूप से टीकाकरण की स्थिति सुधारने के लिए लक्ष्य बनाया जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि २०१ जिलों में से ८२ ज़िले केवल चार राज्य उत्तर प्रदेश,बिहार,मध्यप्रदेश तथा राजस्थान से हैं और चार राज्यों के ४२ ज़िलों में २५ प्रतिशत बच्चों को टीके नहीं लगाए गए हैं या उन्हें आंशिक रूप से टीके लगाए गए हैं। भारत में टीकों से वंचित या आंशिक टीकाकरण वाले करीब २५ प्रतिशत बच्चे इन चार राज्यों के ८२ ज़िलों में हैं। मिशन इंद्रधनुष के तहत पहले चरण में २०१ जिलों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का लक्ष्य तय किया है तथा २०१५ में दूसरे चरण में २९७ ज़िलों को लक्ष्य बनाया गया है ' मिशन के पहले चरण का कार्यान्वयन २०१ उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में ७ अप्रैल २०१५ पर विश्व स्वास्थ्य दिवस से प्रारंभ हुआ ' .

पोलियोमेलाइटिस और मिशन इंद्रधनुष अभियान के बीच समानता

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पोलियोमेलाइटिस और मिशन इंद्रधनुष अभियान के बीच तुलना

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संदर्भ

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