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पोएसी और बजड़ी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पोएसी और बजड़ी के बीच अंतर

पोएसी vs. बजड़ी

बाँस पोएसी पौधों का एक कुल है। इस कुल के अन्तर्गत लगभग 530 वंश तथा 5200 जातियाँ मिलती हैं जिमें भारत में लगभग 830 जातियाँ उपलब्ध हैं। इसके पौधे सर्वत्र मिले हैं। परन्तु अधिकांश समशीतोष्ण प्रदेशों में तथा कुछ उष्ण प्रदेशों में पाए जाते हैं। बाँस, मक्का, गेंहूँ, जौ, बाजरा, दूब, राई, ईख, धान, ज्वार, खसखस इस कुल के कुछ सामान्य पौधें हैं। श्रेणी:वनस्पति विज्ञान. बाजरा फसल फल रूप में लगे बाजरे के दाने अथवा सीटे (''Pennisetum glaucum'') बाजरा एक प्रमुख फसल है। एक प्रकार की बड़ी घास जिसकी बालियों में हरे रंग के छोटे छोटे दाने लगते हैं। इन दानों की गिनती मोटे अन्नों में होती है। प्रायाः सारे उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी भारत में लोग इसे खाते हैं। बाजरा मोटे अन्नों में सबसे अधिक उगाया जाने वाला अनाज है। इसे अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप में प्रागेतिहासिक काल से उगाया जाता रहा है, यद्यपि इसका मूल अफ्रीका में माना गया है। भारत में इसे बाद में प्रस्तुत किया गया था। भारत में इसे इसा पूर्व २००० वर्ष से उगाये जाने के प्रमाण मिलते है। इसका मतलब है कि यह अफ्रीका में इससे पहले ही उगाया जाने लगा था। यह पश्चिमी अफ्रीका के सहल क्षेत्र से निकल कर फैला है। बाजरे की विशेषता है सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी उग जाना, तथा ऊँचा तापक्रम झेल जाना। यह अम्लीयता को भी झेल जाता है। यही कारण है कि यह उन क्षेत्रों में उगाया जाता है जहां मक्का या गेहूँ नही उगाये जा सकते। आज विश्व भर में बाजरा २६०,००० वर्ग किलोमीटर में उगाया जाता है। मोटे अन्न उत्पादन का आधा भाग बाजरा होता है। इस अनाज की खेती बहुत सी बातों में ज्वार की खेती से मिलती जुलती होती है। यह खरीफ की फसल है और प्रायः ज्वार के कुछ पीछे वर्षा ऋतु में बोई और उससे कुछ पहले अर्थात् जाड़े के आरंभ में काटी जाती हैं। इसके खेतों में खाद देने या सिंचाई करने की विशेष आवश्यकता नहीं होती। इसके लिये पहले तीन चार बार जमीन जोत दी जाती है और तब बीज बो दिए जाते हैं। एकाध बार निराई करना अवश्य आवश्यक होता है। इसके लिये किसी बहुत अच्छी जमीन की आवश्यकता नहीं होती और यह साधारण से साधारण जमीन में भी प्रायः अच्छी तरह होता है। यहाँ तक कि राजस्थान की बलुई भूमि में भी यह अधिकता से होता है। गुजरात आदि देशों में तो अच्छी करारी रूई बोने से पहले जमीन तयार करने के लिय इसे बोते हैं। बाजरे के दानों का आटा पीसकर और उसकी रोटी बनाकर खाई जाती है। इसकी रोटी बहुत ही बलवर्धक और पुष्टिकारक मानी जाती है। कुछ लोग दानों को यों ही उबालकर और उसमें नमक मिर्च आदि डालकर खाते हैं। इस रूप में इसे 'खिचड़ी' कहते हैं। कहीं कहीं लोग इसे पशुओं के चारे के लिये ही वोते हैं। वैद्यक में यह वादि, गरम, रूखा, अग्निदीपक पित्त को कुपित करनेवाला, देर में पचनेवाला, कांतिजनक, बलवर्धक और स्त्रियों के काम को बढा़नेवाला माना गया है। .

पोएसी और बजड़ी के बीच समानता

पोएसी और बजड़ी आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मक्का, ज्वार, गेहूँ

मक्का

*मक्का (शहर)- सउदी अरब पवित्र शहर.

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ज्वार

ज्वार ज्वार के दाने ज्वार (Sorghum vulgare; संस्कृत: यवनाल, यवाकार या जूर्ण) एक प्रमुख फसल है। ज्वार कम वर्षा वाले क्षेत्र में अनाज तथा चारा दोनों के लिए बोई जाती हैं। ज्वार जानवरों का महत्वपूर्ण एवं पौष्टिक चारा हैं। भारत में यह फसल लगभग सवा चार करोड़ एकड़ भूमि में बोई जाती है। यह खरीफ की मुख्य फसलों में है। यह एक प्रकार की घास है जिसकी बाली के दाने मोटे अनाजों में गिने जाते हैं। .

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गेहूँ

गेहूँ गेहूं (Wheat; वैज्ञानिक नाम: Triticum spp.),Belderok, Bob & Hans Mesdag & Dingena A. Donner.

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

पोएसी और बजड़ी के बीच तुलना

पोएसी 15 संबंध है और बजड़ी 23 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 7.89% है = 3 / (15 + 23)।

संदर्भ

यह लेख पोएसी और बजड़ी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: