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पृथ्वी का वायुमण्डल और पोटैशियम सायनाइड

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पृथ्वी का वायुमण्डल और पोटैशियम सायनाइड के बीच अंतर

पृथ्वी का वायुमण्डल vs. पोटैशियम सायनाइड

अंतरिक्ष से पृथ्वी का दृश्य: वायुमंडल नीला दिख रहा है। पृथ्वी को घेरती हुई जितने स्थान में वायु रहती है उसे वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल के अतिरिक्त पृथ्वी का स्थलमंडल ठोस पदार्थों से बना और जलमंडल जल से बने हैं। वायुमंडल कितनी दूर तक फैला हुआ है, इसका ठीक ठीक पता हमें नहीं है, पर यह निश्चित है कि पृथ्वी के चतुर्दिक् कई सौ मीलों तक यह फैला हुआ है। वायुमंडल के निचले भाग को (जो प्राय: चार से आठ मील तक फैला हुआ है) क्षोभमंडल, उसके ऊपर के भाग को समतापमंडल और उसके और ऊपर के भाग को मध्य मण्डलऔर उसके ऊपर के भाग को आयनमंडल कहते हैं। क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच के बीच के भाग को "शांतमंडल" और समतापमंडल और आयनमंडल के बीच को स्ट्रैटोपॉज़ कहते हैं। साधारणतया ऊपर के तल बिलकुल शांत रहते हैं। प्राणियों और पादपों के जीवनपोषण के लिए वायु अत्यावश्यक है। पृथ्वीतल के अपक्षय पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। नाना प्रकार की भौतिक और रासायनिक क्रियाएँ वायुमंडल की वायु के कारण ही संपन्न होती हैं। वायुमंडल के अनेक दृश्य, जैसे इंद्रधनुष, बिजली का चमकना और कड़कना, उत्तर ध्रुवीय ज्योति, दक्षिण ध्रुवीय ज्योति, प्रभामंडल, किरीट, मरीचिका इत्यादि प्रकाश या विद्युत के कारण उत्पन्न होते हैं। वायुमंडल का घनत्व एक सा नहीं रहता। समुद्रतल पर वायु का दबाव 760 मिलीमीटर पारे के स्तंभ के दाब के बराबर होता है। ऊपर उठने से दबाव में कमी होती जाती है। ताप या स्थान के परिवर्तन से भी दबाव में अंतर आ जाता है। सूर्य की लघुतरंग विकिरण ऊर्जा से पृथ्वी गरम होती है। पृथ्वी से दीर्घतरंग भौमिक ऊर्जा का विकिरण वायुमंडल में अवशोषित होता है। इससे वायुमंडल का ताप - 68 डिग्री सेल्सियस से 55 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है। 100 किमी के ऊपर पराबैंगनी प्रकाश से आक्सीजन अणु आयनों में परिणत हो जाते हैं और परमाणु इलेक्ट्रॉनों में। इसी से इस मंडल को आयनमंडल कहते हैं। रात्रि में ये आयन या इलेक्ट्रॉन फिर परस्पर मिलकर अणु या परमाणु में परिणत हो जाते हैं जिससे रात्रि के प्रकाश के वर्णपट में हरी और लाल रेखाएँ दिखाई पड़ती हैं। . पोटैशियम सायनाइड एक यौगिक है, जो रंगहीन नमक के जैसे दिखाई देता है। काफी हद तक यह शक्कर के जैसे दिखता है। यह पानी में आसानी से घुल जाता है। ज्यादातर इसका उपयोग सोने के खनन और कार्बनिक संश्लेषण में होता है। इसी तरह का उपयोग गहनों को साफ करने में भी किया जाता है। यह अत्यधिक विषैला होता है, यह ठोस रूप में हाइड्रोलिसिस के कारण बहुत ही कम मात्रा में हाइड्रोजन सायनाइड का उत्सर्जन करता है, जिससे कुछ कुछ कड़वे बादाम की खुशबू आती है। हालांकि इस खुशबू को केवल कुछ ही लोग सूंघ सकते हैं, जिनमें आनुवंशिक विशेषता होती है। .

पृथ्वी का वायुमण्डल और पोटैशियम सायनाइड के बीच समानता

पृथ्वी का वायुमण्डल और पोटैशियम सायनाइड आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): वाष्पीकरण

वाष्पीकरण

अवस्था परिवर्तन के विभिन्न रूप किसी तत्त्व या यौगिक का द्रव अवस्था से गैस अवस्था में परिवर्तन वाष्पीकरण (Vaporization या vaporisation) कहलाता है। वाष्पीकरण दो प्रकार का होता है- वाष्पन, तथा क्वथन। .

पृथ्वी का वायुमण्डल और वाष्पीकरण · पोटैशियम सायनाइड और वाष्पीकरण · और देखें »

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पृथ्वी का वायुमण्डल और पोटैशियम सायनाइड के बीच तुलना

पृथ्वी का वायुमण्डल 60 संबंध है और पोटैशियम सायनाइड 6 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.52% है = 1 / (60 + 6)।

संदर्भ

यह लेख पृथ्वी का वायुमण्डल और पोटैशियम सायनाइड के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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