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पूंजीवाद और सार्वजनिक हित

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पूंजीवाद और सार्वजनिक हित के बीच अंतर

पूंजीवाद vs. सार्वजनिक हित

पूंजीवाद (Capitalism) सामन्यत: उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर निजी स्वामित्व होता है। इसे कभी कभी "व्यक्तिगत स्वामित्व" के पर्यायवाची के तौर पर भी प्रयुक्त किया जाता है यद्यपि यहाँ "व्यक्तिगत" का अर्थ किसी एक व्यक्ति से भी हो सकता है और व्यक्तियों के समूह से भी। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि सरकारी प्रणाली के अतिरिक्त निजी तौर पर स्वामित्व वाले किसी भी आर्थिक तंत्र को पूंजीवादी तंत्र के नाम से जाना जा सकता है। दूसरे रूप में ये कहा जा सकता है कि पूंजीवादी तंत्र लाभ के लिए चलाया जाता है, जिसमें निवेश, वितरण, आय उत्पादन मूल्य, बाजार मूल्य इत्यादि का निर्धारण मुक्त बाजार में प्रतिस्पर्धा द्वारा निर्धारित होता है। पूँजीवाद एक आर्थिक पद्धति है जिसमें पूँजी के निजी स्वामित्व, उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत नियंत्रण, स्वतंत्र औद्योगिक प्रतियोगिता और उपभोक्ता द्रव्यों के अनियंत्रित वितरण की व्यवस्था होती है। पूँजीवाद की कभी कोई निश्चित परिभाषा स्थिर नहीं हुई; देश, काल और नैतिक मूल्यों के अनुसार इसके भिन्न-भिन्न रूप बनते रहे हैं। . सार्वजनिक हित सामूहिक रूप से जनता के हित को कह सकते हैं। इसकी अवधारणा लोकनीति, प्रजातन्त्र, सरकार के स्वरूप, राजनीति, नीतिगत बहस, जनकल्याण, सरकारी नियोजन, न्याय के लिये आवश्यक है। सभी लोग जनहित की बात करते हैं, लेकिन सामान्यतः इसपर सर्वसम्मति नहीं हो पाती कि किसे जनहित कहा जाए। .

पूंजीवाद और सार्वजनिक हित के बीच समानता

पूंजीवाद और सार्वजनिक हित आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

पूंजीवाद और सार्वजनिक हित के बीच तुलना

पूंजीवाद 17 संबंध है और सार्वजनिक हित 5 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (17 + 5)।

संदर्भ

यह लेख पूंजीवाद और सार्वजनिक हित के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: