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पुण्य और महाभारत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पुण्य और महाभारत के बीच अंतर

पुण्य vs. महाभारत

श्रुति, स्मृति, आगम, बौद्ध, जैनादि सभी संप्रदायों में 'पुण्य' की सत्ता स्वीकृत हुई है। सुकृत, शुभवासना आदि अनेक शब्द इसके लिए प्रयुक्त होते हैं, जिनसे पुण्य का लक्षण भी स्पष्ट हो जाता है। पुण्य मुख्यतया कर्मविशेष को कहते हैं, जो कर्म सत्वबहुल हो, जिससे स्वर्ग (या इस प्रकार के अन्य सुखबहुललोक) की प्राप्ति होती है। सत्वशुद्धिकारक पुण्यकर्म मान्यताभेद के अनुसार 'अग्निहोत्रादि कर्मपरक' होते हैं क्योंकि अग्निहोत्रादि यज्ञीय कर्म स्वर्गप्रापक एवं चित्तशुद्धिकारक माने जाते हैं। सभी संप्रदायों के धर्माचरण पुण्यकर्म माने जाते हैं। इष्टापूर्वकर्म रूपलौकिकारक कर्म भी पुण्य कर्म माने जाते हैं (शारीरकभाष्य ३/१/११)। पुण्य और अपुण्य रूप हेतु से कर्माशय सुखफल और दु:खफल को देता है - यह मान्यता योगसूत्र (२/१४) में है। सभी दार्शनिक संप्रदाय में यह मान्यता किसी न किसी रूप से विद्यमान है। पाप और पुण्य परस्पर विरुद्ध हैं, अत: इन दोनों का परस्पर के प्रति अभिभव प्रादुर्भाव होते रहते हैं। यह दृष्टि भी सार्वभौभ है। सात्विक-कर्म-रूप पुण्याचरण से प्राप्त होनेवाला स्वर्ग लोक क्षयिष्णु है, पुण्य के क्षय हाने पर स्वर्ग से विच्युति होती है, इत्यादि मत सभी शास्त्रों में पाए जाते हैं। शतपथ (६/५/४/८) आदि ब्राह्मण ग्रंथ एवं महाभारत (वनपर्व ४२/३८) में यह भी एक मत मिलता है कि पुण्यकारी व्यक्ति नक्षत्रादि ज्योतिष्क के रूप से विद्यमान रहते हैं। पुण्य चूँकि चित्त में रहनेवाला है, अत: पुण्य का परिहार कर चित्तरोधपूर्वक कैवल्य प्राप्त करना मोक्षदर्शन का अंतिम लक्ष्य है। श्रेणी:धर्म. महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

पुण्य और महाभारत के बीच समानता

पुण्य और महाभारत आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): स्वर्ग लोक

स्वर्ग लोक

स्वर्ग लोक या देवलोक हिन्दू मान्यता के अनुसार ब्रह्माण्ड के उस स्थान को कहते हैं जहाँ हिन्दू देवी-देवताओं का वास है। रघुवंशम् महाकाव्य में महाकवि कालिदास स्मृद्धिशाली राज्य को ही स्वर्ग की उपमा देते हैं। तद्रक्ष कल्याणपरम्पराणां भोक्तारमूर्जस्वलमात्मदेहम्। महीतलस्पर्शनमात्रभिन्नमृद्धं हि राज्यं पदमैन्यमाहुः।। अर्थात् हे राजन्! तुम उत्तरोत्तर सुखों का भोग करने वाले अत्यन्त बल से युक्त अपने शरीर की रक्षा करो, क्योंकि विद्वान् लोग समृद्धिशाली राज्यो को केवल पृथ्वीतल के सम्बन्ध होने से अलग हुआ इन्द्रसम्बन्धी स्थान (स्वर्ग) कहते हैं। हिन्दू धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार, कृतक त्रैलोक्य -- भूः, भुवः और स्वः – ये तीनों लोक मिलकर कृतक त्रैलोक्य कहलाते हैं। सूर्य और ध्रुव के बीच जो चौदह लाख योजन का अन्तर है, उसे स्वर्लोक कहते हैं। हिंदु धर्म में, संस्कृत शब्द स्वर्ग को मेरु पर्वत के ऊपर के लोकों हेतु प्रयुक्त होता है। यह वह स्थान है, जहाँ पुण्य करने वाला, अपने पुण्य क्षीण होने तक, अगले जन्म लेने से पहले तक रहता है। यह स्थान उन आत्माओं हेतु नियत है, जिन्होंने पुण्य तो किए हैं, परंतु उन्में अभी मोक्ष या मुक्ति नहीं मिलनी है। यहाँ सब प्रकार के आनंद हैं, एवं पापों से परे रहते हैं। इसकी राजधानी है अमरावती, जिसका द्वारपाल है, इंद्र का वाहन ऐरावत। यहाँ के राजा हैं, इंद्र, देवताओं के प्रधान। श्रेणी:हिन्दू धर्म.

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पुण्य और महाभारत के बीच तुलना

पुण्य 3 संबंध है और महाभारत 257 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 0.38% है = 1 / (3 + 257)।

संदर्भ

यह लेख पुण्य और महाभारत के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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