पीली आंधी और विषाणु
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
पीली आंधी और विषाणु के बीच अंतर
पीली आंधी vs. विषाणु
चीन को पार कर कोरिया और जापान की ओर बढ़ते धूल के बादल। पीली आंधी या धूल भरी आंधी एक मौसम संबंधी घटना है जो ग्रीष्म ऋतु के महीनों के दौरान पूर्व एशिया के कई हिस्सों को बहुत प्रभावित करती है। यह धूल मंगोलिया, उत्तरी चीन और कज़ाकस्तान के रेगिस्तानों से उत्पन्न होती है जिसे रेगिस्तान में बहने वाली उच्च गति की सतही हवायें और प्रचंड अंधड़, महीन धूल के सघन बादलों में परिवर्तित कर देते हैं। स्थानीय हवायें इन बादलों को पूर्व की ओर धकेलती हैं और यह बादल चीन, उत्तरी और दक्षिण कोरिया, जापान, के साथ रूस के सुदूर पूर्व के कुछ हिस्सों के ऊपर से गुजरते हैं। कभी कभी, यह हवाई कण बह कर संयुक्त राज्य अमेरिका तक पहुँच कर वहां की हवा में मिल कर उसकी गुणवत्ता को खराब करते हैं। पिछले कई दशकों में यह एक विकराल समस्या बन कर उभरी है जिसका मुख्य कारण धूल के कणों में समाहित औद्योगिक प्रदूषकों की मात्रा में हुई वृद्धि है। इसके साथ पिछले कुछ दशकों में चीन में हुआ व्यापक मरुस्थलीकरण भी पीली आधियों की घटनायों में हुई वृद्धि का प्रमुख कारण है। अन्य कारणों में कज़ाकस्तान और उज़्बेकिस्तान के अरल सागर का सूखना भी है क्योंकि एक सोवियत कृषि कार्यक्रम के चलते इसमें विसर्जित होने वाली दो मुख्य नदियों अमू और सीर का मार्गपरिवर्तित कर उनके जल को कपास की खेती के लिए मध्य एशियाई रेगिस्तान की सिंचाई करने में इस्तेमाल किया जा रहा है। . विषाणु अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं। ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं। इन्हे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक सुशुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी एक जीवित मध्यम या धारक के संपर्क में आता है उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है। विषाणु का अंग्रेजी शब्द वाइरस का शाब्दिक अर्थ विष होता है। सर्वप्रथम सन १७९६ में डाक्टर एडवर्ड जेनर ने पता लगाया कि चेचक, विषाणु के कारण होता है। उन्होंने चेचक के टीके का आविष्कार भी किया। इसके बाद सन १८८६ में एडोल्फ मेयर ने बताया कि तम्बाकू में मोजेक रोग एक विशेष प्रकार के वाइरस के द्वारा होता है। रूसी वनस्पति शास्त्री इवानोवस्की ने भी १८९२ में तम्बाकू में होने वाले मोजेक रोग का अध्ययन करते समय विषाणु के अस्तित्व का पता लगाया। बेजेर्निक और बोर ने भी तम्बाकू के पत्ते पर इसका प्रभाव देखा और उसका नाम टोबेको मोजेक रखा। मोजेक शब्द रखने का कारण इनका मोजेक के समान तम्बाकू के पत्ते पर चिन्ह पाया जाना था। इस चिन्ह को देखकर इस विशेष विषाणु का नाम उन्होंने टोबेको मोजेक वाइरस रखा। विषाणु लाभप्रद एवं हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। जीवाणुभोजी विषाणु एक लाभप्रद विषाणु है, यह हैजा, पेचिश, टायफायड आदि रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मानव की रोगों से रक्षा करता है। कुछ विषाणु पौधे या जन्तुओं में रोग उत्पन्न करते हैं एवं हानिप्रद होते हैं। एचआईवी, इन्फ्लूएन्जा वाइरस, पोलियो वाइरस रोग उत्पन्न करने वाले प्रमुख विषाणु हैं। सम्पर्क द्वारा, वायु द्वारा, भोजन एवं जल द्वारा तथा कीटों द्वारा विषाणुओं का संचरण होता है परन्तु विशिष्ट प्रकार के विषाणु विशिष्ट विधियों द्वारा संचरण करते हैं। .
पीली आंधी और विषाणु के बीच समानता
पीली आंधी और विषाणु आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): जीवाणु।
जीवाणु जीवाणु एक एककोशिकीय जीव है। इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता है। इनकी आकृति गोल या मुक्त-चक्राकार से लेकर छड़, आदि आकार की हो सकती है। ये अकेन्द्रिक, कोशिका भित्तियुक्त, एककोशकीय सरल जीव हैं जो प्रायः सर्वत्र पाये जाते हैं। ये पृथ्वी पर मिट्टी में, अम्लीय गर्म जल-धाराओं में, नाभिकीय पदार्थों में, जल में, भू-पपड़ी में, यहां तक की कार्बनिक पदार्थों में तथा पौधौं एवं जन्तुओं के शरीर के भीतर भी पाये जाते हैं। साधारणतः एक ग्राम मिट्टी में ४ करोड़ जीवाणु कोष तथा १ मिलीलीटर जल में १० लाख जीवाणु पाए जाते हैं। संपूर्ण पृथ्वी पर अनुमानतः लगभग ५X१०३० जीवाणु पाए जाते हैं। जो संसार के बायोमास का एक बहुत बड़ा भाग है। ये कई तत्वों के चक्र में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, जैसे कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन के स्थरीकरण में। हलाकि बहुत सारे वंश के जीवाणुओं का श्रेणी विभाजन भी नहीं हुआ है तथापि लगभग आधी प्रजातियों को किसी न किसी प्रयोगशाला में उगाया जा चुका है। जीवाणुओं का अध्ययन बैक्टिरियोलोजी के अन्तर्गत किया जाता है जो कि सूक्ष्म जैविकी की ही एक शाखा है। मानव शरीर में जितनी भी मानव कोशिकाएं है, उसकी लगभग १० गुणा संख्या तो जीवाणु कोष की ही है। इनमें से अधिकांश जीवाणु त्वचा तथा अहार-नाल में पाए जाते हैं। हानिकारक जीवाणु इम्यून तंत्र के रक्षक प्रभाव के कारण शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। कुछ जीवाणु लाभदायक भी होते हैं। अनेक प्रकार के परजीवी जीवाणु कई रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे - हैजा, मियादी बुखार, निमोनिया, तपेदिक या क्षयरोग, प्लेग इत्यादि.
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पीली आंधी और विषाणु के बीच तुलना
पीली आंधी 23 संबंध है और विषाणु 19 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 2.38% है = 1 / (23 + 19)।
संदर्भ
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