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पिलास्टर और भोजेश्वर मन्दिर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पिलास्टर और भोजेश्वर मन्दिर के बीच अंतर

पिलास्टर vs. भोजेश्वर मन्दिर

अर्ध स्तंभ (जिसे कुड्य स्तंभ भी कहते हैं,:पिलास्टर) परम्परागत स्थापत्य कला का एक वास्तु घटक होता है; जिसका प्रयोग दिखने में एक सहायक स्तंभ की उपस्थिति का कार्य करता था एवं ऊपरी दीवार की सीमा तय करता था। मूल रूप में इसका प्रयोग अलंकरण मात्र होता था। इसमें एक सीधी सतह दीवार की मूल सतह से उभरी या उठी हुई होती थी और एक स्तंभ का आभास देती थी जिसके ऊपर एक स्तंभ शीर्ष भी बना होता था तथा नीचे एक स्तंभ आधार भी बना होता था, साथ ही अन्य स्तंभ संबंधी घटक भी उपस्थित रहते थे। एक पिलास्टर की तुलना में एक असल स्तंभ दीवार एवं ऊपरी छत के घटकों को असल में सहारा देता था। . भोजेश्वर मन्दिर (जिसे भोजपुर मन्दिर भी कहते हैं) मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग ३० किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर नामक गांव में बना एक मन्दिर है। यह मन्दिर बेतवा नदी के तट पर विन्ध्य पर्वतमालाओं के मध्य एक पहाड़ी पर स्थित है। --> मन्दिर का निर्माण एवं इसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज (१०१० - १०५३ ई॰) ने करवायी थी। उनके नाम पर ही इसे भोजपुर मन्दिर या भोजेश्वर मन्दिर भी कहा जाता है, हालाँकि कुछ किंवदंतियों के अनुसार इस स्थल के मूल मन्दिर की स्थापना पाँडवों द्वारा की गई मानी जाती है। इसे "उत्तर भारत का सोमनाथ" भी कहा जाता है। यहाँ के शिलालेखों से ११वीं शताब्दी के हिन्दू मन्दिर निर्माण की स्थापत्य कला का ज्ञान होता है व पता चलता है कि गुम्बद का प्रयोग भारत में इस्लाम के आगमन से पूर्व भी होता रहा था। इस अपूर्ण मन्दिर की वृहत कार्य योजना को निकटवर्ती पाषाण शिलाओं पर उकेरा गया है। इन मानचित्र आरेखों के अनुसार यहाँ एक वृहत मन्दिर परिसर बनाने की योजना थी, जिसमें ढेरों अन्य मन्दिर भी बनाये जाने थे। इसके सफ़लतापूर्वक सम्पन्न हो जाने पर ये मन्दिर परिसर भारत के सबसे बड़े मन्दिर परिसरों में से एक होता। मन्दिर परिसर को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व का स्मारक चिह्नित किया गया है व इसका पुनरुद्धार कार्य कर इसे फिर से वही रूप देने का सफ़ल प्रयास किया है। मन्दिर के बाहर लगे पुरातत्त्व विभाग के शिलालेख अनुसार इस मंदिर का शिवलिंग भारत के मन्दिरों में सबसे ऊँचा एवं विशालतम शिवलिंग है। इस मन्दिर का प्रवेशद्वार भी किसी हिन्दू भवन के दरवाजों में सबसे बड़ा है। मन्दिर के निकट ही इस मन्दिर को समर्पित एक पुरातत्त्व संग्रहालय भी बना है। शिवरात्रि के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा यहां प्रतिवर्ष भोजपुर उत्सव का आयोजन किया जाता है। .

पिलास्टर और भोजेश्वर मन्दिर के बीच समानता

पिलास्टर और भोजेश्वर मन्दिर आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): पिलास्टर

पिलास्टर

अर्ध स्तंभ (जिसे कुड्य स्तंभ भी कहते हैं,:पिलास्टर) परम्परागत स्थापत्य कला का एक वास्तु घटक होता है; जिसका प्रयोग दिखने में एक सहायक स्तंभ की उपस्थिति का कार्य करता था एवं ऊपरी दीवार की सीमा तय करता था। मूल रूप में इसका प्रयोग अलंकरण मात्र होता था। इसमें एक सीधी सतह दीवार की मूल सतह से उभरी या उठी हुई होती थी और एक स्तंभ का आभास देती थी जिसके ऊपर एक स्तंभ शीर्ष भी बना होता था तथा नीचे एक स्तंभ आधार भी बना होता था, साथ ही अन्य स्तंभ संबंधी घटक भी उपस्थित रहते थे। एक पिलास्टर की तुलना में एक असल स्तंभ दीवार एवं ऊपरी छत के घटकों को असल में सहारा देता था। .

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पिलास्टर और भोजेश्वर मन्दिर के बीच तुलना

पिलास्टर 2 संबंध है और भोजेश्वर मन्दिर 83 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.18% है = 1 / (2 + 83)।

संदर्भ

यह लेख पिलास्टर और भोजेश्वर मन्दिर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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