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पार्वती और शिव

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पार्वती और शिव के बीच अंतर

पार्वती vs. शिव

पार्वती हिमनरेश हिमावन तथा मैनावती की पुत्री हैं, तथा भगवान शंकर की पत्नी हैं। उमा, गौरी भी पार्वती के ही नाम हैं। यह प्रकृति स्वरूपा हैं। पार्वती के जन्म का समाचार सुनकर देवर्षि नारद हिमनरेश के घर आये थे। हिमनरेश के पूछने पर देवर्षि नारद ने पार्वती के विषय में यह बताया कि तुम्हारी कन्या सभी सुलक्षणों से सम्पन्न है तथा इसका विवाह भगवान शंकर से होगा। किन्तु महादेव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिये तुम्हारी पुत्री को घोर तपस्या करना होगा। बाद में इनके दो पुत्र कार्तिकेय तथा गणेश हुए। कई पुराणों में इनकी पुत्री अशोक सुंदरी का भी वर्णन है। . शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

पार्वती और शिव के बीच समानता

पार्वती और शिव आम में 8 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): डमरु, त्रिशूल, शिव, शक्ति, गणेश, कार्तिकेय, कैलाश पर्वत, अशोक सुंदरी

डमरु

डमरु या डुगडुगी एक छोटा संगीत वाद्य यन्त्र होता है। इसमें एक-दूसरे से जुड़े हुए दो छोटे शंकुनुमा हिस्से होते हैं जिनके चौड़े मुखों पर चमड़ा या ख़ाल कसकर तनी हुई होती है। डमरू के तंग बिचौले भाग में एक रस्सी बंधी होती है जिसके दूसरे अन्त पर एक पत्थर या कांसे का डला या भारी चमड़े का टुकड़ा बंधा होता है। हाथ एक-फिर-दूसरी तरफ़ हिलाने पर यह डला पहले एक मुख की ख़ाल पर प्रहार करता है और फिर उलटकर दूसरे मुख पर, जिस से 'डुग-डुग' की आवाज़ उत्पन्न होती है। तेज़ी से हाथ हिलाने पर इस 'डुग-डुग' की गति और ध्वनि-शक्ति काफ़ी बढ़ाई जा सकती है। .

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त्रिशूल

त्रिशूल के कई अर्थ हो सकते हैं.

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शिव

शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

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शक्ति

भौतिकी में कार्य करने की दर को शक्ति (पावर/Power) कहते हैं। इसकी इकाई वाट होती है जो १ जूल प्रति सेकेण्ड के बराबर होती है। इसके अलावा 'शक्ति' शब्द का अन्य अर्थों में भी उपयोग होता है, जैसे 'देवी', राजनीतिक शक्ति, सैन्य शक्ति आदि। .

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गणेश

गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन डिंक नामक मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं। हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रो के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है। इसलिए इन्हें आदिपूज्य भी कहते है। गणेश कि उपसना करने वाला सम्प्रदाय गाणपतेय कहलाते है। .

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कार्तिकेय

कार्तिकेय या मुरुगन (तमिल: முருகன்), एक लोकप्रिय हिन्दु देव हैं और इनके अधिकतर भक्त तमिल हिन्दू हैं। इनकी पूजा मुख्यत: भारत के दक्षिणी राज्यों और विशेषकर तमिल नाडु में की जाती है इसके अतिरिक्त विश्व में जहाँ कहीं भी तमिल निवासी/प्रवासी रहते हैं जैसे कि श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर आदि में भी यह पूजे जाते हैं। इनके छ: सबसे प्रसिद्ध मंदिर तमिल नाडु में स्थित हैं। तमिल इन्हें तमिल कडवुल यानि कि तमिलों के देवता कह कर संबोधित करते हैं। यह भारत के तमिल नाडु राज्य के रक्षक देव भी हैं। कार्तिकेय जी भगवान शिव और भगवती पार्वती के पुत्र हैं तथा सदैव बालक रूप ही रहते हैं। परंतु उनके इस बालक स्वरूप का भी एक रहस्य है। भगवान कार्तिकेय छ: बालकों के रूप में जन्मे थे तथा इनकी देखभाल कृतिका (सप्त ऋषि की पत्निया) ने की थी, इसीलिए उन्हें कार्तिकेय धातृ भी कहते हैं। .

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कैलाश पर्वत

कैलाश पर्वत भारत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है। इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा रक्षातल झील हैं। यहां से कई महत्वपूर्ण नदियां निकलतीं हैं - ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलुज इत्यादि। में इसे पवित्र माना गया है। इस तीर्थ को अस्टापद गणपर्वत और रजतगिरि भी कहते हैं। कैलाश के बर्फ से आच्छादित 6,638 मीटर (21,778 फुट) ऊँचे शिखर और उससे लगे मानसरोवर का यह तीर्थ है और इस प्रदेश को मानसखंड कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान ऋषभदेव ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया। श्री भरतेश्वर स्वामी मंगलेश्वर स्वामी जिनके नाम से इस देश का नाम भारत पड़ा ऐसे श्री ऋषभदेव भगवान के पुत्र भरत ने दिग्विजय के समय इसपर विजय प्राप्त की।पांडवों के दिग्विजय प्रयास के समय अर्जुन ने इस प्रदेश पर विजय प्राप्त किया था। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में इस प्रदेश के राजा ने उत्तम घोड़े, सोना, रत्न और याक के पूँछ के बने काले और सफेद चामर भेंट किए थे।। इनके अतिरिक्त अन्य अनेक ऋषि मुनियों के यहाँ निवास करने का उल्लेख प्राप्त होता है। जैन धर्म में इस स्थान का बहुत महत्व है। इसी पर्वत पर श्री भरत स्वामी ने रत्नों के 72 जिनालय बनवाये थे कैलाश पर्वतमाला कश्मीर से लेकर भूटान तक फैली हुई है और ल्हा चू और झोंग चू के बीच कैलाश पर्वत है जिसके उत्तरी शिखर का नाम कैलाश है। इस शिखर की आकृति विराट् शिवलिंग की तरह है। पर्वतों से बने षोडशदल कमल के मध्य यह स्थित है। यह सदैव बर्फ से आच्छादित रहता है। इसकी परिक्रमा का महत्व कहा गया है। तिब्बती (भोटिया) लोग कैलाश मानसरोवर की तीन अथवा तेरह परिक्रमा का महत्व मानते हैं और अनेक यात्री दंड प्रणिपात करने से एक जन्म का, दस परिक्रमा करने से एक कल्प का पाप नष्ट हो जाता है। जो 108 परिक्रमा पूरी करते हैं उन्हें जन्म-मरण से मुक्ति मिल जाती है। कैलाश-मानसरोवर जाने के अनेक मार्ग हैं किंतु Uttarakhand के अल्मोड़ा स्थान से अस्ककोट, खेल, गर्विअंग, लिपूलेह, खिंड, तकलाकोट होकर जानेवाला मार्ग अपेक्षाकृत सुगम है। यह भाग 544 किमी (338 मील) लंबा है और इसमें अनेक चढ़ाव उतार है। जाते समय सरलकोट तक 70 किमी (44 मील) की चढ़ाई है, उसके आगे 74 किमी (46 मील) उतराई है। मार्ग में अनेक धर्मशाला और आश्रम है जहाँ यात्रियों को ठहरने की सुविधा प्राप्त है। गर्विअंग में आगे की यात्रा के निमित्त याक, खच्चर, कुली आदि मिलते हैं। तकलाकोट तिब्बत स्थित पहला ग्राम है जहाँ प्रति वर्ष ज्येष्ठ से कार्तिक तक बड़ा बाजार लगता है। तकलाकोट से तारचेन जाने के मार्ग में मानसरोवर पड़ता है। कैलाश की परिक्रमा तारचेन से आरंभ होकर वहीं समाप्त होती है। तकलाकोट से 40 किमी (25 मील) पर मंधाता पर्वत स्थित गुर्लला का दर्रा 4,938 मीटर (16,200 फुट) की ऊँचाई पर है। इसके मध्य में पहले बाइर्ं ओर मानसरोवर और दाइर्ं ओर राक्षस ताल है। उत्तर की ओर दूर तक कैलाश पर्वत के हिमाच्छादित धवल शिखर का रमणीय दृश्य दिखाई पड़ता है। दर्रा समाप्त होने पर तीर्थपुरी नामक स्थान है जहाँ गर्म पानी के झरने हैं। इन झरनों के आसपास चूनखड़ी के टीले हैं। प्रवाद है कि यहीं भस्मासुर ने तप किया और यहीं वह भस्म भी हुआ था। इसके आगे डोलमाला और देवीखिंड ऊँचे स्थान है, उनकी ऊँचाई 5,630 मीटर (18,471 फुट) है। इसके निकट ही गौरीकुंड है। मार्ग में स्थान स्थान पर तिब्बती लामाओं के मठ हैं। यात्रा में सामान्यत: दो मास लगते हैं और बरसात आरंभ होने से पूर्व ज्येष्ठ मास के अंत तक यात्री अल्मोड़ा लौट आते हैं। इस प्रदेश में एक सुवासित वनस्पति होती है जिसे कैलास धूप कहते हैं। लोग उसे प्रसाद स्वरूप लाते हैं। कैलाश शिव का घर कहा गया है। वहॉ बर्फ ही बर्फ में भोले नाथ शंभू अंजान (ब्रह्म) तप में लीन शालीनता से, शांत,निष्चल,अघोर धारण किये हुऐ एकंत तप में लीन है।। धर्म व शा्स्त्रों में उनका वर्णनं प्रमाण है अन्यथा.....! तिब्बती बौद्धों को यह कांगड़ी रिंपोछे कहते हैं; ' अनमोल हिम पर्वत '. .

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अशोक सुंदरी

अशोक सुंदरी (संस्कृत:, Aśokasundarī) यह एक हिन्दू देवकन्या हैं, जिनका वर्णन भगवान शिव और पार्वती की बेटी के रूप में किया गया है। वह आम तौर पर मुख्य शास्त्रों में शिव के पुत्री के रूप में वर्णित नहीं हैं, उनकी कथा पद्मपुराण में अंकित है। माता पार्वती के अकेलेपन को दूर करने हेतु कल्पवृक्ष नामक पेड़ के द्वारा ही अशोक सुंदरी की रचना हुई थी। अ+शोक अर्थात् सुख, माता पार्वती को सुखी करने हेतु ही उनका निर्माण हुआ था और वह अत्यंत सुंदर थीं इसी कारण इन्हें सुंदरी कहा गया। .

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पार्वती और शिव के बीच तुलना

पार्वती 14 संबंध है और शिव 60 है। वे आम 8 में है, समानता सूचकांक 10.81% है = 8 / (14 + 60)।

संदर्भ

यह लेख पार्वती और शिव के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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