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पार्किंसन रोग और प्रतिऑक्सीकारक

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पार्किंसन रोग और प्रतिऑक्सीकारक के बीच अंतर

पार्किंसन रोग vs. प्रतिऑक्सीकारक

पार्किंसन रोग (Parkinson's disease or PD) केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का एक रोग है जिसमें रोगी के शरीर के अंग कंपन करते रहते हैं। पार्किन्‍सोनिज्‍म का आरम्भ आहिस्ता-आहिस्ता होता है। पता भी नहीं पड़ता कि कब लक्षण शुरू हुए। अनेक सप्ताहों व महीनों के बाद जब लक्षणों की तीव्रता बढ़ जाती है तब अहसास होता है कि कुछ गड़बड़ है। डॉक्टर जब हिस्‍ट्री (इतिवृत्त) कुरेदते हैं तब मरीज़ व घरवाले पीछे मुड़ कर देखते हैं याद करते हैं और स्वीकारते हैं कि हां सचमुय ये कुछ लक्षण, कम तीव्रता के साथ पहले से मौजूद थे। लेकिन तारीख बताना सम्भव नहीं होता। कभी-कभी किसी विशिष्ट घटना से इन लक्षणों का आरम्भ जोड़ दिया जाता है - उदाहरण के लिये कोई दुर्घटना, चोट, बुखार आदि। यह संयोगवश होता है। उक्त तात्कालिक घटना के कारण मरीज़ का ध्यान पार्किन्‍सोनिज्‍म के लक्षणों की ओर चला जाता है जो कि धीरे-धीरे पहले से ही अपनी मौजूदगी बना रहे थे। बहुत सारे मरीजों में पार्किन्‍सोनिज्‍म रोग की शुरूआत कम्पन से होती है। कम्पन अर्थात् धूजनी या धूजन या ट्रेमर या कांपना। पार्किंसन किसी को तब होता है जब रसायन पैदा करने वाली मस्तिष्क की कोशिकाएँ गायब होने लगती हैं . एक एंटीऑक्सीडेंट- मेटाबोलाइट ग्लूटाथायोन का प्रतिरूप। पीले गोले रेडॉक्स-सक्रिय गंधक अणु हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट क्रिया उपलब्ध कराते हैं और लाल, नीले व गहरे सलेटी गोले क्रमशः ऑक्सीजन, नाईट्रोजन, हाईड्रोजन एवं कार्बन परमाणु हैं। प्रतिऑक्सीकारक (Antioxidants) या प्रतिउपचायक वे यौगिक हैं जिनको अल्प मात्रा में दूसरे पदार्थो में मिला देने से वायुमडल के ऑक्सीजन के साथ उनकी अभिक्रिया का निरोध हो जाता है। इन यौगिकों को ऑक्सीकरण निरोधक (OXidation inhibitor) तथा स्थायीकारी (Stabiliser) भी कहते हैं तथा स्थायीकारी (Stabiliser) भी कहते हैं। अर्थात प्रति-आक्सीकारक वे अणु हैं, जो अन्य अणुओं को ऑक्सीकरण से बचाते हैं या अन्य अणुओं की आक्सीकरण प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं। ऑक्सीकरण एक प्रकार की रासायनिक क्रिया है जिसके द्वारा किसी पदार्थ से इलेक्ट्रॉन या हाइड्रोजन ऑक्सीकारक एजेंट को स्थानांतरित हो जाते हैं। प्रतिआक्सीकारकों का उपयोग चिकित्साविज्ञान तथा उद्योगों में होता है। पेट्रोल में प्रतिआक्सीकारक मिलाए जाते हैं। ये प्रतिआक्सीकारक चिपचिपाहट पैदा करने वाले पदार्थ नहीं बनने देते जो अन्तर्दहन इंजन के लिए हानिकारक हैं। प्रायः प्रतिस्थापित फिनोल (Substituted phenols) एवं फेनिलेनेडिआमाइन के व्युत्पन्न (derivatives of phenylenediamine) इस काम के लिए प्रयुक्त होते हैं। .

पार्किंसन रोग और प्रतिऑक्सीकारक के बीच समानता

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संदर्भ

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