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पश्चिम की यात्रा और पश्चिमी क्षेत्र

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पश्चिम की यात्रा और पश्चिमी क्षेत्र के बीच अंतर

पश्चिम की यात्रा vs. पश्चिमी क्षेत्र

वानर-राज सुन वुकौंग (उपन्यास की एक प्रति के चित्रण में) पश्चिम की यात्रा (चीनी: 西遊記) चीनी साहित्य के चार महान प्राचीन उपन्यासों में से एक है। इसका प्रकाशन मिंग राजवंश के काल में सन् 1590 के दशक में बेनाम तरीक़े से हुआ था। बीसवी सदी में इसकी लिखाई और अन्य तथ्यों की जाँच करी गई और इसे लिखने का श्रेय वू चॅन्गॅन (吴承恩, 1500-1582) नामक लेखक को दिया गया। इसकी कहानी प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु ह्वेन त्सांग की भारत की यात्रा पर आधारित है। ह्वेन त्सांग तंग राजवंश के काल के दौरान "पश्चिमी क्षेत्रों" (जिनमें भारत शामिल है) के दौरे पर बौद्ध सूत्र और ग्रन्थ लेने आये थे। इस उपन्यास में दिखाया गया है कि महात्मा बुद्ध के निर्देश पर गुआन यिन नामक बोधिसत्त्व (एक जागृत आत्मा) ने ह्वेन त्सांग को भारत से धार्मिक ग्रन्थ लाने का कार्य सौंपा। साथ ही उन्होंने ह्वेन त्सांग को शिष्यों के रूप में तीन रक्षक दिए: सुन वुकौंग (एक शक्तिशाली वानर), झू बाजिए (एक आधा इंसान - आधा सूअर जैसा प्राणी) और शा वुजिंग (एक भैंसे की प्रवृति वाला योद्धा)। इस उपन्यास का मुख्य पात्र सुन वुकौंग (वानर) है और कभी-कभी इस कहानी को "बन्दर की कहानी", "बन्दर देव की कहानी" या सिर्फ़ "बन्दर" भी कहा जाता है। बहुत से विद्वानों का मानना है कि सुन वुकौंग की प्रेरणा वास्तव में हनुमान के चरित्र से हुई है।Jenner, W.J.F. (1984). पहली सदी ईसा-पूर्व में चीनी दृष्टिकोण से पश्चिमी क्षेत्रों का नक़्शा पश्चिमी क्षेत्र या षीयू (चीनी भाषा: 西域) तीसरी सदी ईसा-पूर्व से आठवी सदी ईसवी तक लिखे गए चीनी ग्रंथों में मध्य एशिया को कहा जाता था। कभी-कभी भारतीय उपमहाद्वीप और मध्य पूर्व के क्षेत्र को भी इसमें शामिल किया जाता था। व्यापार के लिए ऐतिहासिक रेशम मार्ग इन्हीं क्षेत्रों से होकर गुज़रता था। चीन में तंग राजवंश के काल के दौरान प्रसिद्ध यात्री ह्वेन त्सांग इसी क्षेत्र में दाख़िल हुआ, जिसमें उसने भारत को भी सम्मिलित किया। अपनी वापसी पर उसने "पश्चिमी क्षेत्र का महान तंग वर्णन" नामक ग्रन्थ लिखा। .

पश्चिम की यात्रा और पश्चिमी क्षेत्र के बीच समानता

पश्चिम की यात्रा और पश्चिमी क्षेत्र आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चीन, चीन के राजवंश, चीनी भाषा, ह्वेन त्सांग

चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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चीन के राजवंश

इतिहास में चीन के विभिन्न राजवंशों द्वारा नियंत्रित क्षेत्र चीन में कई ऐतिहासिक राजवंश रहे हैं। कभी-कभी इनके वर्णनों में ऐसा प्रतीत होता है के चीन में एक राजवंश स्वयं ही समाप्त हो गया और नए राजवंश ने आगे बढ़कर शासन की बागडोर संभाल ली। वास्तव में ऐसा नहीं था। कोई भी राजवंश स्वेच्छा से ख़त्म नहीं हुआ। अक्सर ऐसा होता था के नया राजवंश शुरू तो हो जाता था लेकिन वह कुछ अरसे तक कम प्रभाव रखता था और पहले से स्थापित राजवंश से लड़ाइयाँ करता था। ऐसा भी होता था के कोई पराजित राजवंश हारने के बावजूद कुछ इलाक़ों में प्रभुत्व रखता था और चीन का सिंहासन वापस छीनने की कोशिश में जुटा रहता था। उदहारण के लिए सन् 1644 में मान्चु नस्ल वाले चिंग राजवंश ने बीजिंग पर क़ब्ज़ा जमा लिया और चीन को अपने अधीन कर लिया। लेकिन चिंग राजवंश सन् 1636 में ही शुरू हो चुका था और उस से भी पहले सन् 1616 में एक अन्य नाम ("उत्तरकालीन जिन राजवंश") के नाम से अस्तित्व में आ चुका था। मिंग राजवंश बीजिंग की राजसत्ता से तो 1644 में हाथ धो बैठा, लेकिन उनके वंशज 1662 तक सिंहासन पर अपना अधिकार जतलाते रहे और उसे वापस लेने के प्रयास करते रहे। .

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चीनी भाषा

चीनी भाषा (अंग्रेजी: Chinese; 汉语/漢語, पिनयिन: Hànyǔ; 华语/華語, Huáyǔ; या 中文 हुआ-यू, Zhōngwén श़ोंग-वॅन) चीन देश की मुख्य भाषा और राजभाषा है। यह संसार में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यह चीन एवं पूर्वी एशिया के कुछ देशों में बोली जाती है। चीनी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में आती है और वास्तव में कई भाषाओं और बोलियों का समूह है। मानकीकृत चीनी असल में एक 'मन्दारिन' नामक भाषा है। इसमें एकाक्षरी शब्द या शब्द भाग ही होते हैं और ये चीनी भावचित्र में लिखी जाती है (परम्परागत चीनी लिपि या सरलीकृत चीनी लिपि में)। चीनी एक सुरभेदी भाषा है। .

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ह्वेन त्सांग

ह्वेन त्सांग का एक चित्र ह्वेन त्सांग एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था। वह हर्षवर्द्धन के शासन काल में भारत आया था। वह भारत में 15 वर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। उसके वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है। .

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पश्चिम की यात्रा और पश्चिमी क्षेत्र के बीच तुलना

पश्चिम की यात्रा 11 संबंध है और पश्चिमी क्षेत्र 9 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 20.00% है = 4 / (11 + 9)।

संदर्भ

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