परिधान और मुद्रा स्फीति
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परिधान और मुद्रा स्फीति के बीच अंतर
परिधान vs. मुद्रा स्फीति
परिधान जिसे पहनावा भी कहते है ऐसे वस्त्र होते हैं जिन्हें शरीर पर पहना जाता है। कपड़ों का पहनना ज्यादातर मनुष्यों तक ही सीमित हैं और लगभग सभी मानव समाजों की विशेषता है। परिधान की मात्रा और प्रकार शरीर के प्रकार, सामाजिक और भौगोलिक विचारों पर निर्भर करते हैं। कुछ कपड़े लिंग-विशिष्ट हो सकते हैं। कपड़े ठंड या गर्म परिस्थितियों के खिलाफ इस्तेमाल किये जा सकते हैं। इसके अलावा वे शरीर से संक्रामक और विषाक्त पदार्थों को दूर रखने के लिए एक स्वच्छ बाधा प्रदान करते हैं। कपड़े पहनना सामाजिक नियम भी है। दूसरों के सामने कपड़ों से वंचित होना शर्मनाक हो सकता है। सार्वजनिक जगहों में इतने कम कपड़े पहनना कि जननांग, स्तन या नितंब दिखाई दे, तो उसे अश्लील प्रदर्शन के रूप में देखा जा सकता है। . मुद्रा स्फीति (en:inflation) गणितीय आकलन पर आधारित एक अर्थशास्त्रीय अवधारणा है जिससे बाज़ार में मुद्रा का प्रसार व वस्तुओ की कीमतों में वृद्धि या कमी की गणना की जाती है। उदाहरण के लिएः १९९० में एक सौ रुपए में जितना सामान आता था, अगर २००० में उसे ख़रीदने के लिए दो सौ रुपए व्यय करने पड़े है तो माना जाएगा कि मुद्रा स्फीति शत-प्रतिशत बढ़ गई। चीज़ों की क़ीमतों में बढ़ोतरी और मुद्रा की क़ीमत में कमी को वैज्ञानिक ढंग से सूचीबद्ध करना मुद्रा स्फीति का काम होता है। इससे ब्याज दरें भी तय होती हैं। मुद्रा स्फीति समस्त अर्थशास्त्रीय शब्दों में संभवतः सर्वाधिक लोकप्रिय है। किंतु इसे पारिभाषित करना एक कठिन कार्य है। विभिन्न विद्वानों ने इसकी भिन्न-भिन्न परिभाषा दी हैं.
परिधान और मुद्रा स्फीति के बीच समानता
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संदर्भ
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