परक्राम्य लिखत और संयुक्त पूँजी कम्पनी
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परक्राम्य लिखत और संयुक्त पूँजी कम्पनी के बीच अंतर
परक्राम्य लिखत vs. संयुक्त पूँजी कम्पनी
परक्राम्य लिखत (negotiable instrument) उन लिखतों को कहते हैं जो मांगे जाने पर या एक निश्चित अवधि के पश्चात एक निश्चित राशि देने का वचन देते हैं। उदाहरण- प्रॉमिसरी नोट, बिल ऑफ इक्सचेंज, बैंक नोट, डिमाण्ड ड्राफ्ट और चेक आदि। . संयुक्त पूँजी कम्पनी (joint-stock company) वह व्यावसायिक संगठन है जिसके स्वामी बहुत से अंशपूंजीधारक (शेयरहोल्डर) होते हैं। शेयरहोल्डर का कम्पनी पर स्वामित्व शेयरहोल्डर के शेयरों के अनुपात में होता है। अतः संयुक्त पूँजी कम्पनी में असमान स्वामित्व का प्रावधान होता है। भारत में कंपनियाँ, भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 द्वारा शासित होती हैं। अधिनियम के अनुसार एक कंपनी का अभिप्राय उस कंपनी से है जिसकी स्थापना तथा पंजीकरण इस अधिनियम के अंतर्गत हुआ हो। संयुक्त पूँजी कम्पनी विधान द्वारा निर्मित ऐसा 'कृत्रिम व्यक्ति' है जिसका स्वतंत्र वैधानिक अस्तित्व होता है, इसका शाश्वत जीवन तथा एक सार्वमुद्रा (कॉमन सील) होती है। कंपनी की पूँजी समान मूल्य वाले अंशों में विभाजित होती है। कंपनी के सदस्यों, जिनके पास एक या उससे अधिक अंश हों, कंपनी के अंशधारक कहलाते हैं। .
परक्राम्य लिखत और संयुक्त पूँजी कम्पनी के बीच समानता
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संदर्भ
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