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पत्तन और बुनियाद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पत्तन और बुनियाद के बीच अंतर

पत्तन vs. बुनियाद

| समुद्रबंदरगाह, क्लाड लोरेन द्वारा एक 17 वीं सदी का चित्रण, 1638 |- | डोवर का बंदरगाह, ब्रिटेन. |- | ग्रीस में पीरइउस का बंदरगाह |- | विशाखापटनम बंदरगाह, आंध्र प्रदेश, भारत. |- | कोबे का बंदरगाह, गोधूलि के समय जापान |- | मियामी का बंदरगाह |- | बंदरगाह नेवार्क, नेवार्क खाड़ी के पार देखा जाने वाला |- | एक बंदरगाह, एक तट या किनारे पर एक स्थान होता है, जिसमें एक या अधिक बंदरगाह समाविष्ट होते हैं, जहां जहाज़ लोगों या नौभार को ज़मीन से या तक डॉक और हस्तान्तरित कर सकते है। बंदरगाह स्थान, वाणिज्यिक मांग और हवा एंव लहरों से शरण के लिए, भूमि और नौगम्य पानी के अधिगम को उपयुक्त बनाने के लिए चयनित किये जाते हैं। गहरे पानी वाले बंदरगाह कम हैं, लेकिन बड़े, अधिक किफायती जहाज़ संभाल सकते हैं। चूँकि, पूरे इतिहास में बंदरगाहों ने प्रत्येक प्रकार का यातायात संभाला है, इसलिए समर्थन और भंडारण सुविधाएं व्यापक रूप से भिन्न हैं, यह मीलों के लिए विस्तृत किये हो सकते हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर हावी होते हैं। कुछ बंदरगाहों की एक महत्वपूर्ण, संभवतः विशेष रूप से सामरिक भूमिका है। . एक छोटे घर की नींव कम गहरी बनानी पड़ती है जबकि बहुमंजिला भवनों की नींव बहुत गहराई तक ले जायी जाती है। दीवार, खंभे तथा भवन और पुलों के आधारस्तंभों का भार उनकी नींव अथवा बुनियाद (Foundation) द्वारा पृथ्वी पर वितरित किया जाता है। अत: निर्माण कार्य में बुनियाद, बहुत महत्वपूर्ण अंग है। अगर बुनियाद कमजोर हो, तो पूरे भवन अथवा पुल के भारवाहन की शक्ति बहुत कम हो जाती है। अगर बुनियाद एक बार कमजोर रह गई, तो बाद में उसे सुधारना प्राय: असंभव सा ही हो जाता है। अत: बुनियाद का अभिकल्प (डिजाइन) बहुत दक्षता से बनाना चाहिए। नींव का विशेष प्रयोजन यह है कि वह ऊपर से भार का बराबर से भूमि पर इस प्रकार वितरित करे कि वहाँ की मिट्टी (अथवा चट्टान) पर उसकी भारधारी क्षमता से अधिक बोझ न पड़े, नहीं तो मिट्टी के बैठने से भवन इत्यादि में दरार पड़ने का भय रहता है। नींव के अभिकल्प के लिए विभिन्न प्रकार की मिट्टी अथवा चट्टानों की भारधारी क्षमता का ज्ञान आवश्यक है। निम्नलिखित सारणी में भिन्न भिन्न प्रकार की मिट्टियों की भारधारी क्षमता दी गई है - टिप्पणी- (१) पृथ्वी की सतह से गहराई जितनी बढ़ेगी साधारणत: मिट्टी की भारधारी क्षमता भी गहराई के हिसाब से बढ़ती जाएगी। (2) साधारणत: पानी की नमी से मिट्टी की भारधारी क्षमता कुछ कम हो जाती है। इसीलिए अधिकतर भवनों की नींव जमीन से कम से कम तीन चार फुट गहरी रखी जाती हैं, जिससे वर्षा में नमी का असर इस गहराई पर बहुत कम हो जाता है। ऐसी जमीन की जहाँ पानी भरा रहता है, भारधारी क्षमता औसत से थोड़ी कम लेनी चाहिए। बड़े भवन तथा पुल इत्यादि के लिए मिट्टी की पूरी जाँच मिट्टी जाँचनेवाली किसी प्रयोगशाला द्वारा करा लेनी चाहिए। .

पत्तन और बुनियाद के बीच समानता

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पत्तन और बुनियाद के बीच तुलना

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संदर्भ

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