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पटलक्लोमी और स्तरिकी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पटलक्लोमी और स्तरिकी के बीच अंतर

पटलक्लोमी vs. स्तरिकी

द्विकपाटी प्राणी द्विकपाटी, या पटलक्लोमी (Lamellibranchia/लैमेलिब्रैंकिया या Bivalvia) अकशेरुकी तथा जलीय प्राणी हैं। यह मोलस्का (Molausca) संघ का एक वर्ग (class) है। इसे लैमेलिब्रैंकियाटा, द्विकपाटी (Bivalve), या पेलेसिपोडा (Pelecypoda) भी कहते हैं। चूँकि इनके पाद चपटे होने के बजाय नवतलित अधरीय होते हैं, इसलिए ये 'पैलेसिपोडा' कहलाते हैं। इस वर्ग के प्राणियों में सिर नहीं होता, अत: यह वर्ग मोलस्का के अन्य वर्गों से भिन्न है। इनमें लेबियल स्पर्शकों (labial palp) के द्वारा सिर का प्रतिनिधित्व होता है। ये द्विपार्श्व सममित प्राणी है। इनके सभी अंश जोड़े में अथवा मध्यस्थ होते हैं। लैमेलिब्रैंकिया स्थानबद्ध प्राणी हैं। कुछ द्विकपाटी चट्टानों से बद्ध रहते हैं, जब कि अन्य धागे सदृश पुलिंदे से जमीन से संलग्न रहते हैं। इस पुलिंदे को सूत्रगुच्छ (Byssus) कहते हैं। यह सूत्रगुच्छ पाद की एक गुहिका से स्रवित होता है। अधिकांश द्विकपाटियों के पाद बिल बनाने, या गमन के लिए व्यवहृत होते हैं। कुछ द्विकपाटी अपने कवचों को एकाएक बंद कर, पानी को बाहर निकालने के द्वारा तैरते हैं। लैमेलिब्रैंकिया के १०० से अधिक कुल एवं ७,००० स्पीशीज ज्ञात हैं। . अर्जेंटीना में भूवैज्ञानिक तबके साइप्रस में एक चट्टान में चाक की परतें स्तरित शैलविज्ञान या स्तरिकी (Stratigraphy) भौमिकी की वह यह शाखा है जिसके अंतर्गत पृथ्वी के शैलसमूहों, खनिजों और पृथ्वी पर पाए जानेवाले जीव-जंतुओं का अध्ययन होता है। पृथ्वी के धरातल पर उसके प्रारम्भ से लेकर अब तक हुए विभिन्न परिवर्तनों के विषय में स्तरित शैलविज्ञान हमें जानकारी प्रदान करता है। शैलों और खनिजों के अध्ययन के लिए स्तरिकी, शैलविज्ञान (petrology) की सहायता लेता है और जीवाश्म अवशेषों के अध्ययन में पुराजीवविज्ञान की। स्तरित शैलविज्ञान के अध्ययन का ध्येय पृथ्वी के विकास और इतिहास के विषय में ज्ञान प्राप्त करना है। स्तरित शैलविज्ञान न केवल पृथ्वी के धरातल पर पाए जानेवाले शैलसमूहों के विषय में ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि यह पुरातन भूगोल, जलवायु और जीव जंतुओं की भी एक झलक प्रदान करता है और हम स्तरित शैलविज्ञान को पृथ्वी के इतिहास का एक विवरण कह सकते हैं। स्तरित शैलविज्ञान को कभी कभी ऐतिहासिक भौमिकी (हिस्टोरिकल जिओलोजी) भी कहते हैं जो वास्तव में स्तरित शैलविज्ञान की एक शाखा मात्र है। इतिहास में पिछली घटनाओं का एक क्रमवार विवरण होता है; पर स्तरित शैलविज्ञान पुरातन भूगोल और विकास पर भी प्रकाश डालता है। प्राणिविज्ञानी (Zoologist), जीवों के पूर्वजों के विषय में स्तरित शैलविज्ञान पर निर्भर हैं। वनस्पतिविज्ञानी (Botanist) भी पुराने पौधों के विषय में अपना ज्ञान स्तरित शैलविज्ञान से प्राप्त करते हैं। यदि स्तरित शैलविज्ञान न होता तो भूआकृतिविज्ञानी (geomorphologists) का ज्ञान भी पृथ्वी के आधुनिक रूप तक ही सीमित रहता। शिल्पवैज्ञानिक (Technologists) को भी स्तरित शैलविज्ञान के ज्ञान के बिना अँधेरे में ही कदम उठाने पड़ते। इस प्रकार स्तरित शैलविज्ञान बहुत ही विस्तृत विज्ञान है जो शैलों और खनिजों तक ही सीमित नहीं वरन् अपनी परिधि में उन सभी विषयों को समेट लेता है जिनका संबंध पृथ्वी से है। .

पटलक्लोमी और स्तरिकी के बीच समानता

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पटलक्लोमी और स्तरिकी के बीच तुलना

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संदर्भ

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