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पटना और सोनपुर मेला

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पटना और सोनपुर मेला के बीच अंतर

पटना vs. सोनपुर मेला

पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। . सोनपुर मेला बिहार के सोनपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर-दिसंबर) में लगता हैं। यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं। मेले को 'हरिहर क्षेत्र मेला' के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे छत्तर मेला पुकारते हैं। बिहार की राजधानी पटना से लगभग 25 किमी तथा वैशाली जिले के मुख्यालय हाजीपुर से ३ किलोमीटर दूर सोनपुर में गंडक के तट पर लगने वाले इस मेले ने देश में पशु मेलों को एक अलग पहचान दी है। इस महीने के बाकी मेलों के उलट यह मेला कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है। एक समय इस पशु मेले में मध्य एशिया से कारोबारी आया करते थे। अब भी यह एशिया का सबसे बडा पशु मेला माना जाता है। सोनपुर पशु मेला में आज भी नौटंकी और नाच देखने के लिए भीड़ उमड़ती है। एक जमाने में यह मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था। मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य (340 ई॰पु॰ -298 ई॰पु), मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुँवर सिंह ने भी से यहां हाथियों की खरीद की थी। सन् 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े के बड़ा अस्तबल भी बनवाया था। एक दौर में सोनपुर मेले में नौटंकी की मल्लिका गुलाब बाई का जलवा होता था। सोनपुर मेला में भू-राजस्व विभाग का स्टॉल से बिहार के सभी राजस्व ग्रामों का डिजिटल मानचित्र 150 रूपये मात्र सरकारी शुल्क के द्वारा कोई भी नागरिक तीन मिनट के अन्दर प्राप्त कर सकते हैं। यह कार्य राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र पटना के तकनीकी सहयोग के द्वारा किया गया है। समय के बदलते प्रभाव के असर से हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला, पशु बाजारों से हटकर अब आटो एक्स्पो मेले का रूप लेता जा रहा है। पिछले कई वर्षों से इस मेले में कई कंपनियों के शोरूम तथा बिक्री केंद्र यहां खुल रहे हैं। मेले में रेल ग्राम प्रदर्शनी लगी। रेलग्राम में टॉय ट्रेन चलाई जा रही। सोनपुर मेले के प्रति विदेशी पर्यटकों में भी खास आकर्षण देखा जाता है। जर्मनी, अमेरिका, फ्रांस एवं अन्य विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए स्विस कॉटेजों का निर्माण किया जाता है। पर्यटकों को पटना एयरपोर्ट से सोनपुर मेला आने व जाने के लिए प्रीपेड टैक्सी भी उपलब्ध कराई जायेगी। मेलों से जुडे तमाम आयोजन तो यहां होते ही हैं। यहां हाथियों व घोडों की खरीद हमेशा से सुर्खियों में रहती है। पहले यह मेला हाजीपुर में होता था। सिर्फ हरिहर नाथ की पूजा सोनपुर में होती थी लेकिन बाद में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश से मेला भी सोनपुर में ही लगने लगा। 2001 में, सोनपुर मेला में लाया गया हाथियों की संख्या 92 थी, जबकि 2016 में 13 हाथियों ने इसे मेले में बनाया, केवल प्रदर्शन के लिए, बिक्री के लिए नहीं। 2017 में, मेले में 3 टस्कर था। हरिहर क्षेत्र 2017 सोनपुर मेला 32 दिनों का होगा। सोनपुर मेले का उदघाटन इस बार 2 नवंबर को तथा समापन 3 दिसंबर को किया जाएगा। मेला में नौका दौड़, दंगल, वाटर सर्फिंग, वाटर के¨नग सहित विभिन्न प्रकार के खेल व प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा। .

पटना और सोनपुर मेला के बीच समानता

पटना और सोनपुर मेला आम में 8 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पटना, बिहार, लोकनायक जयप्रकाश विमानक्षेत्र, सोनपुर, बिहार, हाजीपुर, गण्डकी नदी, औरंगज़ेब, अकबर

पटना

पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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बिहार

बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है। .

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लोकनायक जयप्रकाश विमानक्षेत्र

पटना विमानक्षेत्र (पटना एयरपोर्ट) पटना में संजय गाँधी जैविक उद्यान के पास स्थित है। इसका ICAO कोड है VEPT और IATA कोड है PAT। यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहां सीमा शुल्क विभाग मौजूद है। इसके कंक्रीट पेव्ड उड़ान पट्टी की लंबाई 6900 फीट है। है। इसकी प्रणाली यांत्रिक है। टर्मिनल भवन का क्षेत्र मौजूदा 7,200 वर्ग मीटर से बढ़ाकर 57,000 वर्ग मीटर हो जाएगा। पटना हवाई अड्डे संजय गांधी जैविक उद्यान और फूलवारी शरीफ रेलवे स्टेशन के बीच है। पटना हवाई अड्डे का नया टर्मिनल भवन किसी भी समय 14 विमान पार्क करने के लिए छह एरोब्रिज और एक एप्रन क्षेत्र से लैस एक दो मंजिला ढांचा होगा। वर्तमान में, हवाई अड्डे में केवल चार विमानों को पार्क करने की क्षमता है। हवाईअड्डा कॉलोनी और आईएएस भवन सहित हवाईअड्डा परिसर में और आसपास के कई मौजूदा भवनों को विस्तार कार्य के लिए रास्ता देने के लिए ध्वस्त कर दिया जाएगा। इसके अलावा, मौसम विज्ञान केंद्र और बिहार फ्लाइंग क्लब सहित कई उपयोगिता वाली इमारतों को स्थानांतरित कर दिया जाएगा और बीआईटी-पटना परिसर के निकट एक नया एटीसी टावर बनाया जाएगा। जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत में बिहार राज्य की राजधानी पटना से 5 किमी दक्षिण-पश्चिम स्थित है। यह भारत का 16 वां सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है और 2015-16 में सालाना यात्री यातायात में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पटना हवाई अड्डे के पास 13 एकड़ जमीन का इस्तेमाल विश्व स्तरीय दो मंजिला टर्मिनल भवन के निर्माण के लिए किया जाएगा, और अनिसबाद्, पटना में उस 11.35 एकड़ जमीन के बदले बिहार सरकार को हवाईअड्डा प्राधिकरण द्वारा स्थानांतरित किया जाएगा। यह पटना में स्थित हवाई अड्डा है। .

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सोनपुर, बिहार

सोनपुर सारण, बिहार का एक शहर है। वर्ष 1991 में सोनपुर को अनुमंडल का दर्जा मिला। वर्ष 2002 में सोनपुर नगर पंचायत गठित हुआ। सोनपुर में डाकबंगला मैदान है। सोनपुर अनुमंडल के अधीन पाँच प्रखंडों- दिघवारा, सोनपुर, परसा, मकेर और दरियापुर- के हजारों गाँवों में रहने वाले लाखों लोगों को आने वाले समय में निर्बाध बिजली का लाभ मिलेगा। पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत डेरनी, नयागाँव, रमसापुर व अकिलपुर में विद्युत सब स्टेशन बनाये जायेंगे।.

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हाजीपुर

हाजीपुर (Hajipur) भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त के वैशाली जिला का मुख्यालय है। हाजीपुर भारत की संसदीय व्यवस्था के अन्तर्गत एक लोकसभा क्षेत्र भी है। 12 अक्टुबर 1972 को मुजफ्फरपुर से अलग होकर वैशाली के स्वतंत्र जिला बनने के बाद हाजीपुर इसका मुख्यालय बना। ऐतिहासिक महत्त्व के होने के अलावा आज यह शहर भारतीय रेल के पूर्व-मध्य रेलवे मुख्यालय है, इसकी स्थापना 8 सितम्बर 1996 को हुई थी।, राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। .

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गण्डकी नदी

गण्डक नदी, गंगा की सहायक नदी है। यह पटना के पास गंगा में मिल जाती है। गंडक बिहार और नेपाल में बहने वाली एक नदी का नाम है। इस नदी को नेपाल मे सालिग्रामि और मैदान मे नारायनी कहते है यह पटना के निकट गंगा मे मिल जाती है। इस नदी की लम्बाई लगभग १३१० किलोमीटर होगी।.

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औरंगज़ेब

अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर (3 नवम्बर १६१८ – ३ मार्च १७०७) जिसे आमतौर पर औरंगज़ेब या आलमगीर (प्रजा द्वारा दिया हुआ शाही नाम जिसका अर्थ होता है विश्व विजेता) के नाम से जाना जाता था भारत पर राज्य करने वाला छठा मुग़ल शासक था। उसका शासन १६५८ से लेकर १७०७ में उसकी मृत्यु होने तक चला। औरंगज़ेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी ज्यादा समय तक राज्य किया। वो अकबर के बाद सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाला मुग़ल शासक था। अपने जीवनकाल में उसने दक्षिणी भारत में मुग़ल साम्राज्य का विस्तार करने का भरसक प्रयास किया पर उसकी मृत्यु के पश्चात मुग़ल साम्राज्य सिकुड़ने लगा। औरंगज़ेब के शासन में मुग़ल साम्राज्य अपने विस्तार के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। वो अपने समय का शायद सबसे धनी और शातिशाली व्यक्ति था जिसने अपने जीवनकाल में दक्षिण भारत में प्राप्त विजयों के जरिये मुग़ल साम्राज्य को साढ़े बारह लाख वर्ग मील में फैलाया और १५ करोड़ लोगों पर शासन किया जो की दुनिया की आबादी का १/४ था। औरंगज़ेब ने पूरे साम्राज्य पर फ़तवा-ए-आलमगीरी (शरियत या इस्लामी क़ानून पर आधारित) लागू किया और कुछ समय के लिए ग़ैर-मुस्लिमों पर अतिरिक्त कर भी लगाया। ग़ैर-मुसलमान जनता पर शरियत लागू करने वाला वो पहला मुसलमान शासक था। मुग़ल शासनकाल में उनके शासन काल में उसके दरबारियों में सबसे ज्यादा हिन्दु थे। और सिखों के गुरु तेग़ बहादुर को दाराशिकोह के साथ मिलकर बग़ावत के जुर्म में मृत्युदंड दिया गया था। .

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अकबर

जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर (१५ अक्तूबर, १५४२-२७ अक्तूबर, १६०५) तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। अंतरण करने वाले के अनुसार बादशाह अकबर की जन्म तिथि हुमायुंनामा के अनुसार, रज्जब के चौथे दिन, ९४९ हिज़री, तदनुसार १४ अक्टूबर १५४२ को थी। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था। बाबर का वंश तैमूर और मंगोल नेता चंगेज खां से संबंधित था अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था। अकबर के शासन के अंत तक १६०५ में मुगल साम्राज्य में उत्तरी और मध्य भारत के अधिकाश भाग सम्मिलित थे और उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की। उसका दरबार सबके लिए हर समय खुला रहता था। उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे। अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया, बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम दोनों उसके प्रशंसक बने। अकबर मात्र तेरह वर्ष की आयु में अपने पिता नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायुं की मृत्यु उपरांत दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा था। अपने शासन काल में उसने शक्तिशाली पश्तून वंशज शेरशाह सूरी के आक्रमण बिल्कुल बंद करवा दिये थे, साथ ही पानीपत के द्वितीय युद्ध में नवघोषित हिन्दू राजा हेमू को पराजित किया था। अपने साम्राज्य के गठन करने और उत्तरी और मध्य भारत के सभी क्षेत्रों को एकछत्र अधिकार में लाने में अकबर को दो दशक लग गये थे। उसका प्रभाव लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर था और इस क्षेत्र के एक बड़े भूभाग पर सम्राट के रूप में उसने शासन किया। सम्राट के रूप में अकबर ने शक्तिशाली और बहुल हिन्दू राजपूत राजाओं से राजनयिक संबंध बनाये और उनके यहाँ विवाह भी किये। अकबर के शासन का प्रभाव देश की कला एवं संस्कृति पर भी पड़ा। उसने चित्रकारी आदि ललित कलाओं में काफ़ी रुचि दिखाई और उसके प्रासाद की भित्तियाँ सुंदर चित्रों व नमूनों से भरी पड़ी थीं। मुगल चित्रकारी का विकास करने के साथ साथ ही उसने यूरोपीय शैली का भी स्वागत किया। उसे साहित्य में भी रुचि थी और उसने अनेक संस्कृत पाण्डुलिपियों व ग्रन्थों का फारसी में तथा फारसी ग्रन्थों का संस्कृत व हिन्दी में अनुवाद भी करवाया था। अनेक फारसी संस्कृति से जुड़े चित्रों को अपने दरबार की दीवारों पर भी बनवाया। अपने आरंभिक शासन काल में अकबर की हिन्दुओं के प्रति सहिष्णुता नहीं थी, किन्तु समय के साथ-साथ उसने अपने आप को बदला और हिन्दुओं सहित अन्य धर्मों में बहुत रुचि दिखायी। उसने हिन्दू राजपूत राजकुमारियों से वैवाहिक संबंध भी बनाये। अकबर के दरबार में अनेक हिन्दू दरबारी, सैन्य अधिकारी व सामंत थे। उसने धार्मिक चर्चाओं व वाद-विवाद कार्यक्रमों की अनोखी शृंखला आरंभ की थी, जिसमें मुस्लिम आलिम लोगों की जैन, सिख, हिन्दु, चार्वाक, नास्तिक, यहूदी, पुर्तगाली एवं कैथोलिक ईसाई धर्मशस्त्रियों से चर्चाएं हुआ करती थीं। उसके मन में इन धार्मिक नेताओं के प्रति आदर भाव था, जिसपर उसकी निजि धार्मिक भावनाओं का किंचित भी प्रभाव नहीं पड़ता था। उसने आगे चलकर एक नये धर्म दीन-ए-इलाही की भी स्थापना की, जिसमें विश्व के सभी प्रधान धर्मों की नीतियों व शिक्षाओं का समावेश था। दुर्भाग्यवश ये धर्म अकबर की मृत्यु के साथ ही समाप्त होता चला गया। इतने बड़े सम्राट की मृत्यु होने पर उसकी अंत्येष्टि बिना किसी संस्कार के जल्दी ही कर दी गयी। परम्परानुसार दुर्ग में दीवार तोड़कर एक मार्ग बनवाया गया तथा उसका शव चुपचाप सिकंदरा के मकबरे में दफना दिया गया। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

पटना और सोनपुर मेला के बीच तुलना

पटना 170 संबंध है और सोनपुर मेला 17 है। वे आम 8 में है, समानता सूचकांक 4.28% है = 8 / (170 + 17)।

संदर्भ

यह लेख पटना और सोनपुर मेला के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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