पंचांग और ब्रह्मदेव
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पंचांग और ब्रह्मदेव के बीच अंतर
पंचांग vs. ब्रह्मदेव
अल्फ़ोंसीन तालिकाएँ, जो १३वीं शताब्दी के बाद यूरोप की मानक पंचांग बन गई पंचांग (अंग्रेज़ी: ephemeris) ऐसी तालिका को कहते हैं जो विभिन्न समयों या तिथियों पर आकाश में खगोलीय वस्तुओं की दशा या स्थिति का ब्यौरा दे। खगोलशास्त्र और ज्योतिषी में विभिन्न पंचांगों का प्रयोग होता है। इतिहास में कई संस्कृतियों ने पंचांग बनाई हैं क्योंकि सूरज, चन्द्रमा, तारों, नक्षत्रों और तारामंडलों की दशाओं का उनके धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में गहरा महत्व होता था। सप्ताहों, महीनों और वर्षों का क्रम भी इन्ही पंचांगों पर आधारित होता था। उदाहरण के लिए रक्षा बंधन का त्यौहार श्रवण के महीने में पूर्णिमा (पूरे चंद की दशा) पर मनाया जाता था।, Sunil Sehgal, pp. ब्रह्मदेव प्राचीन भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषविद् और गणितज्ञ थे। इनका जीवनकाल लगभग १०६० ई से ११३० ई के बीच है। इन्होने आर्यभट प्रथम की कृतियों का भाष्य लिखा है। ब्रह्मदेव ने आर्यभटीय का भाष्य लिखा है जिसका नाम 'करणप्रकाश' है। इस ग्रन्थ में त्रिकोणमिति और इसके ज्योतिष में उपयोग की चर्चा है। इस ग्रन्थ के आधार पर बने पंचांगों की तिथि आदि का उपयोग माध्वसम्प्रदाय के वैष्णवों में बहुतायत से प्रचलित है। श्रेणी:भारतीय गणितज्ञ.
पंचांग और ब्रह्मदेव के बीच समानता
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संदर्भ
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