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नूहानी वंश और बिहार का मध्यकालीन इतिहास

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नूहानी वंश और बिहार का मध्यकालीन इतिहास के बीच अंतर

नूहानी वंश vs. बिहार का मध्यकालीन इतिहास

बिहार के मध्यकालीन इतिहास में नूहानी वंश का उदय एक महत्वपूर्ण एवं विशिष्ट स्थान रखता है क्योंकि इसके उदय में सिकन्दर लोदी (१४८९-१५१७ ई.) के शासनकालीन अवस्था में हुए राजनैतिक परिवर्तनों से जुड़ा है। जब सिकन्दर लोदी सुल्तान बना तो उसका भाई (जो जौनपुर के गवर्नर था) वारवाक शाह ने विद्रोह कर बिहार में शरण ली। इसके पहले जौनपुर का पूर्व शासक हुसैन शाह शर्की भी बिहार में आकर तिरहुत एवं सारण के जमींदारों के साथ विद्रोही रूप में खड़े थे। बिहार विभिन्न समस्याओं का केन्द्र बना हुआ था फलतः सिकन्दर लोदी ने बिहार तथा बंगाल के लिए अभियान चलाया। बिहार शरीफ स्थित लोदी के अभिलेख के अनुसार सिकन्दर लोदी ने १४९५-९६ ई. में बंगाल के हुसैन शाह शर्की को हराकर बिहार में दरिया खाँ लोहानी को गवर्नर नियुक्‍त किया। १५०४ ई. में सिकन्दर लोदी ने बंगाल के साथ एक सन्धि करके बिहार और बंगाल के बीच मुंगेर की एक सीमा रेखा निश्‍चित कर दी। बिहार का प्रभारी दरिया खाँ लोहानी (१४९५-१५२२) में नियुक्‍त कर दिया। दरिया खाँ लोहानी एक योग्य शासक की तरह इस क्षेत्र के जमींदारों एवं अन्य विद्रोही तत्वों को शान्त बनाये रखा। उसने जमींदारों, उलेमाओं एवं सन्तो के प्रति दोस्ताना नीति अपनाई। पटना में दरियापुर, नूहानीपुर जैसे नाम भी नूहानी के प्रभाव की झलक देते हैं। परन्तु १५२३ ई. में दरिया खाँ नूहानी की मृत्यु हो गयी। दूसरी ओर पानीपत के प्रथम युद्ध १५२६ ई. में इब्राहिम लोदी उठाकर नूहानी का पुत्र सुल्तान मोहम्मद शाह नूहानी ने अपनी स्वतन्त्र सत्ता की घोषणा कर दी। इसके दरबार में इब्राहिम जैसे असन्तुष्ट अफगान सरदारों का जमावाड़ा था। उसने धीरे-धीरे अपनी सेना की संख्या एक लाख कर ली और बिहार से सम्बल तक मुहम्मद लोहानी का कब्जा हो गया। इस परिस्थति से चिन्तित होकर इब्राहिम लोदी ने मुस्तफा फरश्‍ली को सुल्तान मुहम्मद के खिलाफ सेना भेजी, परन्तु इस समय मुस्तफा की मृत्यु हो गई। सेना की कमान शेख बाइजिद और फतह खान के हाथों में थी। दोनों की सेनाओं के बीच कनकपुरा में युद्ध हुआ। इब्राहिम लोदी की मृत्यु के पश्‍चात सुल्तान मुहम्मद ने सिकन्दर पुत्र मेहमूद लोदी को दिल्ली पर अधिकार करने के प्रयास में सहायता प्रदान की थी, परन्तु १५२९ ई. में घाघरा युद्ध में बाबर ने इन अफगानों को बुरी तरह पराजित किया। बाबर ने बिहार में मोहम्मद शाह नूहानी के पुत्र जलाल खान को बिहार का प्रशासक नियुक्‍त किया (१५२८ ई. में) शेर खाँ (फरीद खाँ) को उसका संरक्षक नियुक्‍त किया गया। इस प्रकार बिहार में नूहानिया का प्रभाव १४९५ ई. से प्रारम्भ होकर १५३० ई. में समाप्त हो गया। श्रेणी:बिहार का इतिहास श्रेणी:बिहार के राजवंश श्रेणी:भारत का इतिहास श्रेणी:राजवंश. बिहार का मध्यकालीन इतिहास का प्रारम्भ उत्तर-पश्‍चिम सीमा पर तुर्कों के आक्रमण से होता है। मध्यकालीन काल में भारत में किसी की भी मजबूत केन्द्रीय सत्ता नहीं थी। पूरे देश में सामन्तवादी व्यवस्था चल रही थी। सभी शासक छोटे-छोटे क्षेत्रीय शासन में विभक्‍त थे। मध्यकालीन बिहार की इतिहास की जानकारी के स्त्रोतों में अभिलेख, नुहानी राज्य के स्त्रोत, विभिन्न राजाओं एवं जमींदारों के राजनीतिक जीवन एवं अन्य सत्ताओं से उनके संघर्ष, दस्तावेज, मिथिला क्षेत्र में लिखे गये ग्रन्थ, यूरोपीय यात्रियों द्वारा दिये गये विवरण इत्यादि महत्वपूर्ण हैं।.

नूहानी वंश और बिहार का मध्यकालीन इतिहास के बीच समानता

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संदर्भ

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