नुबिया और सामी भाषाएँ
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
नुबिया और सामी भाषाएँ के बीच अंतर
नुबिया vs. सामी भाषाएँ
नुबिया (Nubia) नील नदी का तटवर्ती क्षेत्र है। सन् १९५६ से यह दक्षिणी मिश्र एवं उत्तरी सूडान में विभाजित है। सदियों पुरानी एक सभ्यता थी नुबिया। आज के मिस्र और सूडान के बीच ये लोग बसते थे। नोबा से नुबिया शब्द बनाया गया है। निलो-साहारन भाषा बोलने वाले ये लोग बंजारों जैसा जीवन बिताते थे। वैसे इनका इतिहास हजारों साल पुराना है। फिर भी चौथी सदी में मेरोए साम्राज्य खत्म होने के बाद ये लोग यहां बसे थे। इससे पहले इन्हें कुश कहा जाता था। इस इलाके से इनके बनाए बहुत से पिरामिड मंदिर और मूर्तियां मिली हैं। जिनसे इनके बारे में पता चलता है। दौलत से सजे ये पिरामिड्स सिर्फ राजाओं के नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर बड़े धर्म गुरुओं के हैं। इनकी कई नस्लें रही हैं। 5000 ईसापूर्व तक इनका इतिहास मिलता है। इन लोगों के बनाए बहुत से मंदिर और पिरामिड्स हॉलीवुड फिल्म्स में भी दिखाए गए हैं। यूनेस्को ने इन्हें वर्ल्ड हैरिटेज साइट घोषित कर रखा है। बहुत से आर्किओलॉजिस्ट, इंजीनियर और जिओलॉजिस्ट इन पर रिसर्च करने में लगे हुए हैं। फिर भी अभी तक ये समझा नहीं जा सका है कि इतनी मजबूत सभ्यता कैसे खत्म हो गई। राज है गहरामिस्र और सूडान के बीच सदियों पहले नुबिया लोग बसते थे। उनके बनाए कई पिरामिड्स वहां मिले हैं। फिर भी ये सभ्यता कैसे खत्म हो गई यह राज है। . प्राचीन काल की सामी भाषाओँ का फैलाव सामी भाषाएँ या सॅमॅटिक भाषाएँ २७ करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओँ का एक भाषा परिवार है जो स्वयं सामी-हामी भाषा-परिवार की एक उपशाखा है। यह भाषाएँ मध्य पूर्व, उत्तर अफ़्रीका और अफ़्रीका के सींग के क्षेत्रों में बोली जाती हैं। सब से अधिक बोली जाने वाली सामी भाषा अरबी है, जिसे २० करोड़ से अधिक लोग अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। इसके आलावा अम्हारिक (२.७ करोड़), तिग्रिन्या (६७ लाख), इब्रानी (५० लाख) और आरामाईक (२२ लाख) कुछ अन्य प्रचलित सामी भाषाएँ हैं।, Anatole Lyovin, Oxford University Press US, 1997, ISBN 978-0-19-508116-9 सामी भाषाओं को इतिहास में बहुत ही जल्दी लिखित रूप में देखा गया था। सन् ३००० ईसापूर्व में सुमेर सभ्यता द्वारा विकसित अंकन लिपि (क्यूनीफ़ॉर्म) का प्रयोग एब्लाई और अक्कादी भाषाओँ के लिए आरम्भ हो गया जो सामी भाषाएँ थीं। सामी भाषाएँ अब इब्रानी, सीरियाई, अरबी और गेएज़ लिपि में लिखी जाती हैं। इनमें अक्सर स्वरों को प्रयोग नहीं किया जाता क्योंकि अधिकतर सामी भाषाओं में अर्थ व्यंजनों से ही आता है। हिन्द-यूरोपीय भाषाओँ (जैसे कि हिन्दी) और सामी भाषाओं में एक बड़ा अंतर यह है कि हिन्द-यूरोपीय भाषाओं में ज़्यादातर हर शब्द की एक जड़ होती है जिसके आगे-पीछे अक्षर जोड़कर उसका अर्थ परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए 'लिख' जड़ में अक्षर जोड़कर 'लिखाई', 'लिखो', 'लिखना', 'लिखा', इत्यादि बनते हैं। सामी भाषाओं में जड़े आम तौर पर तीन व्यंजनों का समूह होती हैं जिनके बीच में स्वर भरकर उनका अर्थ परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए अरबी में: किताब (पुस्तक), कुतुब (पुस्तकें), कातिब (लेखक), कुत्ताब (कई लेखक), कतबा (उसने लिखा), याकतुबू (वह लिखता है)। इसमें क-त-ब के व्यंजनों के बीच में स्वर बदलकर मतलब बदले जा रहें हैं।, Nizar Y. Habash, pp.
नुबिया और सामी भाषाएँ के बीच समानता
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संदर्भ
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