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नीतिकथा और ला फान्तेन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

नीतिकथा और ला फान्तेन के बीच अंतर

नीतिकथा vs. ला फान्तेन

thumb नीतिकथा (Fable) एक साहित्यिक विधा है जिसमें पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों एवं अन्य निर्जीव वस्तुओं को मानव जैसे गुणों वाला दिखाकर उपदेशात्मक कथा कही जाती है। नीतिकथा, पद्य या गद्य में हो सकती है। पंचतन्त्र, हितोपदेश आदि प्रसिद्ध नीतिकथाएँ हैं। . ला फान्तेन जीन डो ला फांतेन (La Fontaine) (८ जुलाई १६२१ - १३ अप्रैल १६९५) फ्रांस के बाल-कथाकार एवं कवि थे। चैटो थिएरी (फ्रांस) में सन् 1621 में जन्मे ला फांतेन ने धर्मशास्त्र तथा कानून की शिक्षा ग्रहण की और कुछ समय बाद वे पेरिस चले गए। वहाँ उन्होंने ग्रामीण काव्यसंवाद, वीरकाव्य, गाथाकाव्य, गीतिकविता आदि लिखना प्रारंभ किया। 1665 में उनकी कहानियाँ प्रकाशित हुई। सन् 1668 से 1694 के बीच उन्होंने पंचतंत्र के ढंग की कल्पित कथाओं की 12 पुस्तकें प्रकाशित कराई। सन् 1695 में उसकी मृत्यु हो गई। अपने प्रकृतिप्रेम, मनोवैज्ञानिक अंतर्दृष्टि तथा आह्लादकारी हास्य विनोद के कारण उसने इन कल्पित आख्ययिकाओं के रूप रंग में नया विस्तार किया। नैतिक उपदेशक के रूप में वह प्राय: निराशावादी था किंतु मनुष्य की कमजोरियों की जानकारी के बावजूद उसमें कटुता नहीं आ पाई। सुख प्राप्ति के इच्छुक लोगों को उसने एकांतवास तथा प्रकृतिसंपर्क में रहने की सलाह दी है। वह उस समय का महान कलाकार था जब सौभाग्य से चौदहवें लूई के शासनकाल में फ्रांस में सुख्यात लेखकों की अच्छी जमात विद्यमान थी। .

नीतिकथा और ला फान्तेन के बीच समानता

नीतिकथा और ला फान्तेन आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): धर्मशास्त्र, पञ्चतन्त्र

धर्मशास्त्र

धर्मशास्त्र संस्कृत ग्रन्थों का एक वर्ग है, जो कि शास्त्र का ही एक प्रकार है। इसमें सभी स्मृतियाँ सम्मिलित हैं। यह वह शास्त्र है जो हिन्दुओं के धर्म का ज्ञान सम्मिलित किये हुए हैं, धर्म शब्द में यहाँ पारंपरिक अर्थ में धर्म तथा साथ ही कानूनी कर्तव्य भी सम्मिलित हैं। धर्मशास्त्रों का बृहद् पाठ भारत की ब्राह्मण परंपरा का अंग है, तथा यह विद्वत्परंपरा की देन एवं एक विशद तंत्र है। इसके गहन न्यायशास्त्रीय विवेचन के कारण प्रारंभिक ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासकों द्वारा यह हिंदुओं के लिए कानून के रूप में माना गया था तब से लेकर आज भी धर्मशास्त्र को हिन्दू विधिसंहिता के रूप में देखा जाता है। धर्मशास्त्र में उपस्थित रिलीजन व कानून के बीच जो अंतर किया जाता है, दरअसल वह कृत्रिम है और बार-बार उसपर प्रश्न उठाये गये हैं। जबकि कुछ लोग, धर्मशास्त्र में धार्मिक व धर्मनिरपेक्ष कानूनों के बीच अंतर रखा गया है ऐसा पक्ष लेते हैं। धर्मशास्त्र हिन्दू परंपरा में महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि- एक, यह एक आदर्श गृहस्थ के लिए धार्मिक नियमों का स्रोत है, तथा दूसरे, यह धर्म, विधि, आचारशास्त्र आदि से संबंधित हिंदू ज्ञान का सुसंहत रूप है। "पांडुरंग वामन काणे, सामाजिक सुधार को समर्पित एक महान विद्वान्, ने इस पुरानी परंपरा को जारी रखा है। उनका धर्मशास्त्र का इतिहास, पाँच भागों में प्रकाशित है, प्राचीन भारत के सामाजिक विधियों तथा प्रथाओं का विश्वकोश है। इससे हमें प्राचीन भारत में सामाजिक प्रक्रिया को समझने में मदद मिलती है।" .

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पञ्चतन्त्र

'''पंचतन्त्र''' का विश्व में प्रसार संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान माना जाता है। यद्यपि यह पुस्तक अपने मूल रूप में नहीं रह गयी है, फिर भी उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आस- पास निर्धारित की गई है। इस ग्रंथ के रचयिता पं॰ विष्णु शर्मा है। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र लगभग ८० वर्ष थी। पंचतंत्र को पाँच तंत्रों (भागों) में बाँटा गया है.

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नीतिकथा और ला फान्तेन के बीच तुलना

नीतिकथा 34 संबंध है और ला फान्तेन 5 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 5.13% है = 2 / (34 + 5)।

संदर्भ

यह लेख नीतिकथा और ला फान्तेन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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