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निर्माण और स्थानिक वास्तुकला

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

निर्माण और स्थानिक वास्तुकला के बीच अंतर

निर्माण vs. स्थानिक वास्तुकला

बड़े निर्माण परियोजनाओं में गगनचुंबी इमारतों, जैसे क्रेन आवश्यक हैं। वास्तुकला और सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में निर्माण एक प्रक्रिया है, जिसमें निर्माण या बुनियादी सुविधाओंका एकत्रीकरण किया जाता है। एकल गतिविधि से दूर, बड़े पैमाने पर निर्माण का अर्थ कई तरह के कार्य पूरे करना है। सामान्य रूप से काम का प्रबंध परियोजना प्रबंधक करता है और निर्माण प्रबंधक, डिजाइन इंजीनियर, निर्माण इंजीनियर या परियोजना वास्तुकार की देखरेख में संपन्न होता है। परियोजना के सफल निष्पादन के लिए एक प्रभावी योजना बनाना आवश्यक है। उस खास बुनियादी सुविधाओं और डिजाइन के निष्पादन में जो लगे होते हैं, उन्हें अवश्य ही काम के पर्यावरण संबंधी प्रभाव सफल समयबद्धता, बजट बनाना, स्थल की सुरक्षा, सामग्रियों की उपलब्धता, निर्माण सामग्रियों व श्रमिकों के रख्ररखाव (लॉजिस्टिक), निर्माण में देर के कारण लोगों को होने वाली असुविधा, निविदा दस्तावेजों की तैयारी आदि का विचार करना चाहिए. नेपाल में छप्पर का घर जर्मनी के रुगिया द्वीप का परम्परागत '''रीतहाउस''' (Reethaus)। इसका छत छप्पर का बना होता है। वास्तुकला की उस शैली को स्थानिक वास्तुकला या देशी वास्तुकला (Vernacular architecture) कहते हैं जो स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप डिजाइन की गयी हो, जिसमें स्थानीय रूप से उपलब्ध निर्माण सामग्री का उपयोग किया गया हो तथा जो स्थानीय प्रम्पराओं को प्रतिबिम्बित करती हो। स्थानीय वास्तुकला, मूल रूप में, किसी स्कूल/कॉलेज में वास्तुविद्या की शिक्षा पाये वास्तुविदों द्वारा नहीं बनायी जाती थी बल्कि स्थानीय निर्माताओं के डिजाइन कौशल और परम्पराओं पर आधारित होती थी। किन्तु १९वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से बहुत से व्यावसायिक वास्तुविदों ने स्थानिक वास्तुकला के विभिन्न रूपों पर कार्य किया है। श्रेणी:वास्तुकला.

निर्माण और स्थानिक वास्तुकला के बीच समानता

निर्माण और स्थानिक वास्तुकला आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): वास्तुकला

वास्तुकला

'''अंकोरवाट मंदिर''' विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक संरचना है भवनों के विन्यास, आकल्पन और रचना की, तथा परिवर्तनशील समय, तकनीक और रुचि के अनुसार मानव की आवश्यकताओं को संतुष्ट करने योग्य सभी प्रकार के स्थानों के तर्कसंगत एवं बुद्धिसंगत निर्माण की कला, विज्ञान तथा तकनीक का संमिश्रण वास्तुकला (आर्किटेक्चर) की परिभाषा में आता है। इसका और भी स्पष्टकीण किया जा सकता है। वास्तुकला ललितकला की वह शाखा रही है और है, जिसका उद्देश्य औद्योगिकी का सहयोग लेते हुए उपयोगिता की दृष्टि से उत्तम भवननिर्माण करना है, जिनके पर्यावरण सुसंस्कृत एवं कलात्मक रुचि के लिए अत्यंत प्रिय, सौंदर्य-भावना के पोषक तथा आनंदकर एवं आनंदवर्धक हों। प्रकृति, बुद्धि एवं रुचि द्वारा निर्धारित और नियमित कतिपय सिद्धांतों और अनुपातों के अनुसार रचना करना इस कला का संबद्ध अंग है। नक्शों और पिंडों का ऐसा विन्यास करना और संरचना को अत्यंत उपयुक्त ढंग से समृद्ध करना, जिससे अधिकतम सुविधाओं के साथ रोचकता, सौंदर्य, महानता, एकता और शक्ति की सृष्टि हो से यही वास्तुकौशल है। प्रारंभिक अवस्थाओं में, अथवा स्वल्पसिद्धि के साथ, वास्तुकला का स्थान मानव के सीमित प्रयोजनों के लिए आवश्यक पेशों, या व्यवसायों में-प्राय: मनुष्य के लिए किसी प्रकार का रक्षास्थान प्रदान करने के लिए होता है। किसी जाति के इतिहास में वास्तुकृतियाँ महत्वपूर्ण तब होती हैं, जब उनमें किसी अंश तक सभ्यता, समृद्धि और विलासिता आ जाती है और उनमें जाति के गर्व, प्रतिष्ठा, महत्वाकांक्षा और आध्यात्मिकता की प्रकृति पूर्णतया अभिव्यक्त होती है। .

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निर्माण और स्थानिक वास्तुकला के बीच तुलना

निर्माण 20 संबंध है और स्थानिक वास्तुकला 1 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 4.76% है = 1 / (20 + 1)।

संदर्भ

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