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निर्देशांक पद्धति और विमा (गणित)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

निर्देशांक पद्धति और विमा (गणित) के बीच अंतर

निर्देशांक पद्धति vs. विमा (गणित)

दो आयाम (डिमॅनशनों) में ध्रुवीय निर्देशांक पद्धति में किसी भी बिंदु का स्थान उसके कोण और त्रिज्या (रेडियस) से पूर्णतः निर्धारित हो जाता है निर्देशांक पद्धति (अंग्रेजी: coordinate system) ज्यामिति में ऐसी प्रणाली को कहते हैं जिसमें एक या उस से अधिक अंकों के प्रयोग से किसी भी बिंदु का किसी दिक् (स्पेस) में स्थान पूर्ण रूप से बताया जा सके। यह दिक् मनुष्यों का जाना-पहचाना त्रिआयामी (तीन डिमॅनशनों वाला) हो सकता है या फिर ऐसा कोई उलझा हुआ बहुमोड़ (मैनीफ़ोल्ड) दिक् जिसकी गणित में कल्पना की जाती है। सरल एक, दो या तीन आयामों वाले दिक् में अक्सर कार्तीय निर्देशांक पद्धति का प्रयोग किया जाता है, हालांकि ध्रुवीय (पोलर) पद्धति जैसी अन्य प्रणालियाँ भी उपलब्ध हैं।, Edward J. Denecke, Jr., pp. पहले चार दिक् के विमाओं का चित्रण गणित और भौतिकी में किसी भी वस्तु या दिक् ("स्पेस") के उतने विमा या डिमॅनशन होते हैं जितने निर्देशांक ("कुओरडिनेट्स") उस वस्तु या दिक् के अन्दर के हर बिंदु के स्थान को पूरी तरह व्यक्त करने के लिए चाहिए होते हैं। एक लक़ीर पर किसी बिंदु का स्थान बताने के लिए केवल एक ही निर्देशांक ज़रूरी है, इसलिए लकीरें एकायामी होती हैं। किसी गोले की सतह पर किसी बिंदु के स्थान के लिए दो निर्देशांक (अक्षांश और रेखांश) काफ़ी हैं इसलिए ऐसी सतह दो-आयामी होती है। जिस दिक् में मनुष्य रहते हैं उसमें तीन निर्देशांकों की आवश्यकता है, इसलिए यह त्रिआयामी होती है। गणित में चार या चार से अधिक विमाों के दिक् की भी कल्पना की जाती हैं, हालांकि मनुष्य स्वयं केवल त्रिआयामी दिक् का ही अनुभव कर सकते हैं। अनौपचारिक भाषा में कहा जा सकता है के मनुष्यों के नज़रिए से हमारे अस्तित्व के दिक् के तीन पहलू या विमाते हैं - ऊपर-नीचे, आगे-पीछे और दाएँ-बाएँ। .

निर्देशांक पद्धति और विमा (गणित) के बीच समानता

निर्देशांक पद्धति और विमा (गणित) आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): दिक्, कार्तीय निर्देशांक पद्धति

दिक्

तीन आयाम या डिमॅनशन वाली दिक् में तीन निर्देशांकों से किसी भी बिंदु के स्थान का पता चल जाता है दिक् जगह के उस विस्तार या फैलाव को कहते हैं जिसमें वस्तुओं का अस्तित्व होता है और घटनाएँ घटती हैं। मनुष्यों के नज़रिए से दिक् के तीन पहलू होते हैं, जिन्हें आयाम या डिमॅनशन भी कहते हैं - ऊपर-नीचे, आगे-पीछे और दाएँ-बाएँ। .

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कार्तीय निर्देशांक पद्धति

Fig. 1 - कार्तीय निर्देशांक पद्धति. चार बिन्दु प्रकट हैं: (2,3) हरे मै, (-3,1) लाल मै, (-1.5,-2.5) नीले मै और (0,0), मूल बिन्दु, पीले में. गणित में कार्तीय निर्देशांक पद्धति (cartesian coordinate system), समतल मे किसी बिन्दु की स्थिति को दो अंको के द्वारा अद्वितीय रूप से दर्शाने के लिए प्रयुक्त होती है। इन दो अंको को उस बिन्दु के क्रमशः X-निर्देशांक व Y-निर्देशांक कहा जाता है। इसके लिये दो लंबवत रेखाएं निर्धारित की जाती हैं जिन्हे X-अक्ष और Y-अक्ष कहते हैं। इनके कटान बिन्दु को मूल बिन्दु (origin) कहते हैं। जिस बिन्दु की स्थिति दर्शानी होती है, उस बिन्दु से इन अक्षों पर लम्ब डाले जाते हैं। इस बिन्दु से Y-अक्ष की दूरी को उस बिन्दु का X-निर्देशांक या भुज कहते हैं। इसी प्रकार इस बिन्दु की X-अक्ष से दूरी को उस बिन्दु का Y-निर्देशांक या कोटि कहते है। उदाहरण के लिये यदि किसी बिन्दु की Y-अक्ष से (लम्बवत) दूरी a तथा X-अक्ष से दूरी b हो तो क्रमित-युग्म (a,b) को उस बिन्दु का कार्तीय निर्देशांक कहते हैं। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

निर्देशांक पद्धति और विमा (गणित) के बीच तुलना

निर्देशांक पद्धति 7 संबंध है और विमा (गणित) 13 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 10.00% है = 2 / (7 + 13)।

संदर्भ

यह लेख निर्देशांक पद्धति और विमा (गणित) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: