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नियतिवाद और मक्खलि गोशाल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

नियतिवाद और मक्खलि गोशाल के बीच अंतर

नियतिवाद vs. मक्खलि गोशाल

दर्शनशास्त्र में नियतिवाद (determinism) वह विचारधारा है जिसके अनुसार सभी होने वाली घटनाएँ पहले से उपस्थित परिस्थितियों द्वारा निर्धारित होती हैं। इसके अनुसार मानवों व अन्य जीवों में मुक्त कर्म (free will) की क्षमता नहीं है क्योंकि उनके सारे कर्म उनकी परिस्थितियों के आधार पर होते हैं, अर्थात उनके विचार भी परिस्थितियों के अनुसार उत्पन्न होते हैं। नियतिवादी यह दावा करते हैं कि ब्रह्माण्ड में हर क्षण में जो हो रहा है वह पूरी तरह पूर्वनिर्धारित है।A list of a dozen varieties of determinism is provided in इसके विपरीत अनियतिवाद (indeterminism या nondeterminism) की विचारधारा है, जिसके अनुसार हर क्षण में मुक्त कर्म या आकस्मिक घटनाओं के कारण ऐसी चीज़ें होती रहती हैं जिन्हें पहले से निर्घारित नहीं करा जा सकता।For example, see . मक्खलि गोसाल या मक्खलि गोशाल (560-484 ईसा पूर्व) 6ठी सदी के एक प्रमुख आजीवक दार्शनिक हैं। इन्हें नास्तिक परंपरा के सबसे लोकप्रिय ‘आजीवक संप्रदाय’ का संस्थापक, 24वां तीर्थंकर और ‘नियतिवाद’ का प्रवर्तक दार्शनिक माना जाता है। जैन और बौद्ध ग्रंथों में इनका वर्णन ‘मक्खलिपुत्त गोशाल’, ‘गोशालक मंखलिपुत्त’ के रूप में आया है जबकि ‘महाभारत’ के शांति पर्व में इनको ‘मंकि’ ऋषि कहा गया है। ये महावीर (547-467 ईसा पूर्व) और बुद्ध (550-483 ईसा पूर्व) के समकालीन थे। इतिहासकारों का मानना है कि जैन, बौद्ध और चार्वाक-लोकायत की भौतिकवादी व नास्तिक दार्शनिक परंपराएं मक्खलि गोसाल के आजीवक दर्शन की ही छायाएं अथवा उसका विस्तार हैं। .

नियतिवाद और मक्खलि गोशाल के बीच समानता

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नियतिवाद और मक्खलि गोशाल के बीच तुलना

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संदर्भ

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