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निमाड़

सूची निमाड़

निमाड़ (Nimar) मध्य प्रदेश के पश्चिमी ओर स्थित है। इसके भौगोलिक सीमाओं में निमाड़ के एक तरफ़ विन्ध्य पर्वत और दूसरी तरफ़ सतपुड़ा हैं, जबकि मध्य में नर्मदा नदी है। पौराणिक काल में निमाड़ अनूप जनपद कहलाता था। बाद में इसे निमाड़ की संज्ञा दी गयी। फिर इसे पूर्वी और पश्चिमी निमाड़ के रूप में जाना जाने लगा। .

9 संबंधों: निमाड़ की होली, मध्य प्रदेश, महेश्वर, मान्धातृ, माहिष्मती, सतपुड़ा, विन्ध्याचल, ओंकारेश्वर मन्दिर, छडी पूजा

निमाड़ की होली

निमाड़ की होली.

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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश १ नवंबर, २००० तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन एवं मध्यप्रदेश के कई नगर उस से हटा कर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। हाल के वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर हो गया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य में वर्ष 2010-11 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीत लिया। .

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महेश्वर

महेश्वर का किला महेश्वर शहर मध्य प्रदेश के खरगोन जिला में स्थित है। महेश्वर शहर हैहयवंशी राजा सहस्रार्जुन, जिसने रावण को पराजित किया था, राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन अपनी ५०० रानियों के साथ नर्मदा नदी में जलक्रीड़ा करते हुए नदी के बहाव को अपनी एक हजार भुजाओं से रोक लिया था, उसी समय रावण अपने पुष्पक विमान में आकाश मार्ग से वहां पहुंचे व् सूखी नदी के स्थान को देखकर रावण की शिवपूजा करने की इच्छा मन में हुई ! जब रावण ने बालू से शिवलिंग बनाकर पूजा शुरू की तो राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन जी ने जलक्रीड़ा समाप्त होने के उपरांत जल छोड़ दिया जिस कारण रावण की पूजा नहीं हो सकी व् पानी में बहने लगा इस पर क्रोधित हो जब राजराजेश्वर से रावण ने युद्ध करना चाहा तो रावण को हार स्वीकार करनी पड़ी व् राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन ने उसे बंदी बना लिया पुराणों में वर्णन है की राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन की रानियाँ रावण के दस शीशों पर दीपक जलाती थीं क्योंकि दीपक राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन को अति प्रिय थे ! आज भी महेश्वर में स्थित श्री राज राजेश्वर मंदिर में अखंड ११ दीपक ज्योति पुरातनकाल से प्रज्जवल्लित है व् मंदिर में श्रद्धालु देसी घी- प्रसाद के साथ अवश्य चढातें है ! श्री राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन जी के वंशज हैहयवंशी क्षत्रिय समुदाय के लोग महेश्वर को तीर्थ स्थल मानते है ! ऋषि जमदग्नि को प्रताड़ित करने के कारण उनके पुत्र परषुराम से युद्ध करना पड़ा, राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र अवतार थे दोनों का युद्ध खत्म होने को नहीं आ रहा था, तब भगवान दत्तात्रेय के सम्मुख सहस्त्रार्जुन जी ने पश्चाताप करने का प्रस्ताब रखा ! भगवान दत्तात्रेय के कहने पर राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन महेश्वर में स्थित भगवान शंकर के मंदिर में स्थापित शिवलिंग में समा गए! कालांतर में महान देवी अहिल्याबाई होल्कर की भी राजधानी रहा है। नर्मदा नदी के किनारे बसा यह शहर अपने बहुत ही सुंदर व भव्य घाट तथा माहेश्वरी साड़ियों के लिये प्रसिद्ध है। घाट पर अत्यंत कलात्मक मंदिर हैं जिनमे से राजराजेश्वर मंदिर प्रमुख है। आदिगुरु शंकराचार्य तथा पंडित मण्डन मिश्र का प्रसिद्ध शास्त्रार्थ यहीं हुआ था। यह जिले की एक तहसील का मुख्यालय भी है। इस शहर को महिष्मती नाम से भी जाना जाता था। महेश्वर का रामायण और महाभारत में भी उल्लेख है। देवी अहिल्याबाई होलकर के कालखंड में बनाए गए यहाँ के घाट सुंदर हैं और इनका प्रतिबिंब नदी में और खूबसूरत दिखाई देता है। महेश्वर इंदौर से ही सबसे नजदीक है। इंदौर विमानतल महेश्वर से 91 किलोमीटर की दूरी पर है। इंदौर से 90 की.मी.

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मान्धातृ

मान्धातृ मान्धाता अयोध्या के राजा, वैदिक काल के सम्राट थे। मान्धातृ अथवा मांधाता, इक्ष्वाकुवंशीय नरेश युवनाश्व और गौरी के पुत्र। उन्हे सौ राजसूय तथा अश्वमेध यज्ञों का कर्ता और दानवीर, धर्मात्मा चक्रवर्ती सम्राट् जो वैदिक अयोध्या नरेश मंधातृ से अभिन्न माना जाता है। यादव नरेश शशबिंदु की कन्या बिंदुमती इनकी पत्नी थीं जिनसे मुचकुंद, अंबरीष और पुरुकुत्स नामक तीन पुत्र और 50 कन्याएँ उत्पन्न हुई थीं जो एक ही साथ सौभरि ऋषि से ब्याही गई थीं। पूत्रेष्ठियज्ञ के हवियुक्त मंत्रपूत जल को प्यास में भूल से पी लेने के कारण युवनाश्व को गर्भ रह गया जिसे ऋषियों ने उसका पेट फाड़कर निकाला। वह गर्भ एक पूर्ण बालक के रूप में उत्पन्न हुआ था जो इंद्र की अमृतस्त्राविणी तर्जनी उँगली चूसकर रहस्यात्मक ढंग से पला और बढ़ा। इंद्रपालित (इंद्र के यह कहने पर कि माता के स्तनों के अभाव में यह शिशु "मेरे द्वारा धारण किया" अथवा पाला जाएगा) होने के कारण उसका नाम मांधाता पड़ा। यह बालक आगे चलकर पर पराक्रमी हुआ और रावण समेत अनेक योद्धाओं को इसने परास्त किया। इसने विष्णु तथा उतथ्य से राजधर्म और वसुहोम से दंडनीति की शिक्षा ली थी। गर्वोन्मत्त होने पर या लवणासुर द्वारा युद्ध में मारा गया। इनके जन्म के बारे में एक बात यह भी पता चलती है कि इनका जन्म धनु लग्न में अर्ध रात्रि से पहले लगभग रात ९-१०बजे हुआ था व इनके जन्म के समय सभी ग्रह उच्च के थे। जिससे ये चक्रवर्ती सम्राट बने। पर ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य उच्च हों तो बुध उच्च नहीं हो सकते तो इनके जन्म के बुध मेष अथवा मिथुन के ही होंगे।.

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माहिष्मती

माहिष्मती (अंग्रेजी; Mahishmati) प्राचीन भारत की एक नगरी थी जिसका उल्लेख महाभारत तथा दीर्घनिकाय सहित अनेक ग्रन्थों में हुआ है। अवन्ति महाजनपद के दक्षिणी भाग में यह सबसे महत्वपूर्ण नगरी थी। बाद में यह अनूप महाजनपद की राजधानी भी रही। यह नगरी वर्तमान समय के मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के तट पर स्थित महेश्वर नगर और उसके आस पास के क्षेत्र तक फ़ैली थी कहा जाता है कि यह नगरी १४ योजन की होकर पांडव कालीन शिव मंदिर वाला गाँव चोली(तहसील महेश्वर, जिला खरगोन,मध्यप्रदेश) तक फ़ैली हुई थी | महेश्वर के समीप ही, नर्मदा नदी के तट पर स्थित नगर मंडलेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य और मंडन मिश्र के मध्य विश्व प्रसिद्द शास्त्रार्थ हुआ था | उक्त स्थान वर्तमान में छप्पन देव मंदिर कहलाता है | .

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सतपुड़ा

सतपुड़ा भारत के मध्य भाग में स्थित एक पर्वतमाला है।सतपुड़ा पर्वतश्रेणी नर्मदा एवं ताप्ती की दरार घाटियों के बीच राजपीपला पहाड़ी, महादेव पहाड़ी एवं मैकाल श्रेणी के रूप में पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है। पूर्व में इसका विस्तार छोटा नागपुर पठार तक है। यह पर्वत श्रेणी एक ब्लाक पर्वत है, जो मुख्यत: ग्रेनाइट एवं बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित है। इस पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी धूपगढ़ 1350 मीटर है, जो महादेव पर्वत पर स्थित है। श्रेणी:भारत के पर्वत श्रेणी:मध्य प्रदेश का भूगोल श्रेणी:महाराष्ट्र का भूगोल R.s.Rajawat dist Ujjain mp.

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विन्ध्याचल

विन्ध्याचल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले का एक धार्मिक दृष्टिकोण से प्रसिद्ध शहर है। यहाँ माँ विन्ध्यवासिनी देवी का मंदिर है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, माँ विन्ध्यवासिनी ने महिषासुर का वध करने के लिए अवतार लिया था। यह नगर गंगा के किनारे स्थित है। भारतीय मानक समय (IST) की रेखा विन्ध्याचल के रेलवे स्टेशन से होकर जाती है। .

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ओंकारेश्वर मन्दिर

ॐकारेश्वर एक हिन्दू मंदिर है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगओं में से एक है। यह यहां के मोरटक्का गांव से लगभग 12 मील (20 कि॰मी॰) दूर बसा है। यह द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार में बना है। यहां दो मंदिर स्थित हैं।.

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छडी पूजा

छडी पूजा एक प्राचीनतम मानवी संस्कृतीक परंपरा है। छडी का उपयोग केवल पवित्रता स्वरूप करते है तो उसे देवक-स्तंभ कहलाया जाता है। छडी का उपयोग ध्वज के रुपमे किया जाता है तो उसे ध्वज स्तंभ कहते हैं। छडी पूजा नॉर्वेजियामे Mære चर्च, इस्रायलमधील Asherah pole कि पूजा ज्यू धर्म कि संस्थापनासे पहले से होती थी। विश्वभर विभीन्न आदीवासी समुदायोमे छडी पूजा परंपरा का निर्वाह दिखाई देता है। भारतीय उपखंडमे बलुचिस्तानकी हिंगलाज माता एवं पहलगाम छडी मूबारक, महाराष्ट्रमे जोतिबा गुडी (छडी) के साथ यात्रा करने की परंपरा है। मध्यप्रदेशराज्य के निमाड प्रांतामे छडी माताकी पूजा एवं छडी नृत्य परंपरा है। राजस्थानमे गोगाजी मंदिरमे छडीयोंकी पूजा की जाती है। डॉ॰ बिद्युत लता रे के मतानुसार ओरीसा राज्याके आदीवासींओमे प्रचलित खंबेश्वरी देवीकी पूजा छडी पूजाका प्रकार है, और खंबेश्वरीची पूजा वैदीक हिंदू धर्म की मुर्तीपुजांसे भी प्राचीन होना संभव है। महाराष्ट्रमे पवित्र छडी को गुढी कहा जाता है। महाराष्ट्रकी गुढी परंपरा के प्रमाण १३वी सदी से मराठी साहित्य में दिखाई देते हैं। चैत्र शुद्ध प्रतिपदाके दिन महाराष्ट्र राज्यमे वर्षारंभादिन के रुपमे मनाते हुए उसी दिन को गुड़ी पड़वा कहते हैं। महाराष्ट्रामे गुडी याने छ्डीकी पूजा की जाती है। .

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