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नासिकेतोपाख्यान और सदल मिश्र

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

नासिकेतोपाख्यान और सदल मिश्र के बीच अंतर

नासिकेतोपाख्यान vs. सदल मिश्र

नासिकेतोपाख्यान की रचना सदल मिश्र ने १८०३ ई. में किया है। इसकी भाषा संस्कृतनिष्ठ है। सदल मिश्र उन दिनों कलकत्ता के फोर्ट विलियम कॉलेज में कार्यरत थे। यह पुस्तक भी पाठ्यपुस्तकों के अभाव की पूर्ति की गिलक्राइस्ट की कोशिशों का परिणाम था। 'नासिकेतोपाख्यान' में नचिकेता ऋषि की कथा है। इसका मूल यजुर्वेद में तथा कथारूप में विस्तार कठोपनिषद् एवं पुराणों में मिलता है। कठोपनिषद् में ब्रह्मज्ञान निरूपण के लिये इस कथा का उपयोग किया गया है। अपने स्वतंत्र अनुवाद में मिश्र जी ने ब्रह्मज्ञान निरूपण को इतनी प्रधानता नहीं दी जितनी घटनाओं के कौतूहलपूर्ण वर्णन को। पुस्तक के शीर्षक को आकर्षक रूप देने के लिये उन्होंने 'चंद्रावली' नाम रखा। यह आख्यानमूलक गद्य-कृति है। इसमें महाराज रघु की पुत्री चंद्रावती और उनके पुत्र 'नासिकेत' का पौराणिक आख्यान वर्णित है। 'नासिकेत' की कथा यजुर्वेद कठोपनिषद और पुराणों में वर्णित है। . सदल मिश्र (जन्म 1767-68 ई0 तथा मृत्यु 1847-48) फोर्ट विलियम कॉलेज से संबद्ध १८वीं सदी के आरंभिक दौर के चार प्रमुख गद्यकारों में से एक हैं। गिलक्राइस्ट के आग्रह पर इन्होंने नासिकेतोपाख्यान नामक पुस्तक लिखी। इनकी अन्य रचनाएं हैं- रामचरित(आध्यात्म रामायण)1806 और हिंदी पर्सियन शब्दकोश है। भाषा पर संस्कृत का गहरा प्रभाव है। .

नासिकेतोपाख्यान और सदल मिश्र के बीच समानता

नासिकेतोपाख्यान और सदल मिश्र आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): नचिकेता, फोर्ट विलियम कॉलेज, यजुर्वेद, संस्कृत भाषा, कठ उपनिषद्

नचिकेता

नचिकेता एक पुल्लिंग नाम है। भारत में इस नाम के तीन प्रसिद्ध व्यक्ति हुए हैं- 1.

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फोर्ट विलियम कॉलेज

फोर्ट विलियम कॉलेज (Fort William College) कोलकाता में स्थित प्राच्य विद्याओं एवं भाषाओं के अध्ययन का केन्द्र है। इसकी स्थापना १० जुलाई सन् १८०० को तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेजली ने की थी। इस संस्था द्वारा संस्कृत, अरबी, फारसी, बंगला, हिन्दी, उर्दू आदि के हजारों पुस्तकों का अनुवाद हुआ। कुछ लोगों ने इस संस्थान को भारत में भाषा के आधार पर भारत के लोगों को बांटने का खेल खेलने का अड्डा माना है। फोर्ट विलियम कॉलेज भारत में आने वाले नए ब्रिटिश युवकों को भारत की ज्ञान मीमांशा, व्याकरण, संस्कृति, ज्ञान, धार्मिक एवं प्रशासनिक ज्ञान से परिचित करवाने का एक बड़ा केंद्र था। इस कॉलेज ने हिन्दी साहित्य, ब्रजभाषा साहित्य, संस्कृत साहित्य के उन्नयन की आधार भूमि तैयार की। फोर्ट विलियम कॉलेज में हिन्दुस्तानी भाषा जाँन बोर्थ्विक गिलक्रिस्ट (1759 - 1841) के निर्देशन में सुचारू रूप से चला। वह उर्दू, अरबिक एवं संस्कृत का भी विद्वान था। उसने कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं जैसे इंगलिश-हिन्दुस्तानी डिक्सनरी, हिन्दुस्तानी ग्रैमर, दि ओरिएंटल लिंग्विस्ट नामक दो ग्रन्थ उसने क्रमशः 1796 और 1798 में प्रकाशित करवाया। श्रेणी:कोलकाता श्रेणी:हिन्दी साहित्य का इतिहास श्रेणी:भारत के महाविद्यालय श्रेणी:कोलकाता के कॉलेज श्रेणी:भारत के कॉलेज श्रेणी:एशिया के कॉलेज.

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यजुर्वेद

यजुर्वेद हिन्दू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ और चार वेदों में से एक है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य और पद्य मन्त्र हैं। ये हिन्दू धर्म के चार पवित्रतम प्रमुख ग्रन्थों में से एक है और अक्सर ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है - इसमें ऋग्वेद के ६६३ मंत्र पाए जाते हैं। फिर भी इसे ऋग्वेद से अलग माना जाता है क्योंकि यजुर्वेद मुख्य रूप से एक गद्यात्मक ग्रन्थ है। यज्ञ में कहे जाने वाले गद्यात्मक मन्त्रों को ‘'यजुस’' कहा जाता है। यजुर्वेद के पद्यात्मक मन्त्र ॠग्वेद या अथर्ववेद से लिये गये है।। भारत कोष पर देखें इनमें स्वतन्त्र पद्यात्मक मन्त्र बहुत कम हैं। यजुर्वेद में दो शाखा हैं: दक्षिण भारत में प्रचलित कृष्ण यजुर्वेद और उत्तर भारत में प्रचलित शुक्ल यजुर्वेद शाखा। जहां ॠग्वेद की रचना सप्त-सिन्धु क्षेत्र में हुई थी वहीं यजुर्वेद की रचना कुरुक्षेत्र के प्रदेश में हुई।। ब्रज डिस्कवरी कुछ लोगों के मतानुसार इसका रचनाकाल १४०० से १००० ई.पू.

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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कठ उपनिषद्

कठ उपनिषद् या कठोपनिषद, एक कृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद है। कठोपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है। .

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नासिकेतोपाख्यान और सदल मिश्र के बीच तुलना

नासिकेतोपाख्यान 8 संबंध है और सदल मिश्र 18 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 19.23% है = 5 / (8 + 18)।

संदर्भ

यह लेख नासिकेतोपाख्यान और सदल मिश्र के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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