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नाभिकीय चिकित्सा और फेफड़ा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

नाभिकीय चिकित्सा और फेफड़ा के बीच अंतर

नाभिकीय चिकित्सा vs. फेफड़ा

सामान्य पूर्ण शरीर स्कैन, कैंसरhttp://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/2641976.cms कैंसर के खिलाफ जंग में नई मशीन कारगर।हिन्दी चिह्न।नवभारत टाइम्स।२१ दिसंबर, २००७।लखनऊ आदि में उपयोगी नाभिकीय चिकित्सा (अंग्रेज़ी:न्यूक्लियर मेडिसिन) एक प्रकार की चिकित्सकीय जाँच तकनीक होती है। इसमें रोग चाहे आरंभिक अवस्था में हों या गंभीर अवस्था में, उनकी गहन जाँच और उपचार संभव है।। याहू जागरण।१४ मई, २००८ कोशिका की संरचना और जैविक रचना में हो रहे परिवर्तनों पर आधारित इस तकनीक से चिकित्सा की जाती है। इस पद्धति को न्यूक्लियर मेडिसिन भी कहा जाता है। वर्तमान प्रचलित चिकित्सा पद्धति में रोगों का मात्र अंदाजा या अनुमान ही लगाते हैं और उपचार करते हैं, जबकि नाभिकीय चिकित्सा में न केवल रोग को बहुत आरंभिक अवस्था में पकड़ा जाता है, वरन यह प्रभावशाली ईलाज और दवाइयों के बारे में भी स्पष्टता से बहुत कुछ बता पाने में सक्षम है। इससे किसी भी बीमारी की विस्तृत जानकारी, उसके प्रभाव और उसके उपचार निपटने के प्रभावशाली उपायों आदि के बारे में पता चलता है। इतना ही नहीं, इससे बीमारी के आगे बढ़ने के बारे में यानी भविष्य में इसके फैलने की गति, दिशा और तरीके का भी ज्ञान हो जाता है।।। हिन्दी मिलाप।६ अप्रैल, २००८ यह तकनीक सुरक्षित, कम खर्चीली और दर्द रहित चिकित्सा तकनीक है।।। याहू जागरण।१२ मार्च, २००८। डॉ॰मुकेश जैन:डी.एन.बी, न्यूक्लियर मेडिसिन) सामान्यतः किसी प्रकार का रोग होने के बाद ही सी. टी. स्कैन, एम.आर.आई और एक्स-रे आदि से परीक्षण करने से प्रभावित अंगो की स्थिति का पता चल पाता है। इस पद्धति में रोगी को एक रेडियोधर्मी समस्थानिक को दवाई के रूप में इंजेक्शन के रास्ते शरीर में दिया जाता है। फिर उसके रास्ते को स्कैनिंग के जरिये देख्कर पता लगाय़ा जाता है, कि शरीर के किस भाग में कौन सा रोग हो रहा है। इसके साथ ही इनकी स्कैनिंग के कुछ दुष्प्रभाव (साइड इफैक्ट) की भी संभावना होती है। हाइपरथायरॉएडिज़्म आकलन हेतु आयोडीन-१२३ स्कैन नाभिकीय चिकित्सा में रोगी के शरीर में इंजेक्शन द्वारा बहुत ही कम मात्रा में रेडियोधर्मी तत्व प्रविष्ट करा दिये जाते हैं, जिसे शरीर में संक्रमित या प्रभावित कोशिका इसे अवशोषित कर लेती है। इससे होने वाले विकिरण को एक विशेष प्रकार के गामा कैमरे में उतार कर रोग की सटीक और विस्तृत जाँच की जाती है। न्यूक्लियर मेडिसिन स्कैनिंग से मिले अलग फिल्म में प्रभावित अंग की विस्तृत जानकारी मिलती है। नाभिकीय चिकित्सा तकनीक में रेडियो धर्मी तत्व का प्रयोग इतनी कम मात्र में किया जाता है कि इससे होने वाले विकिरण का प्रभाव कोशिकाओं पर नहीं पड़ता है। नाभिकीय चिकित्सा द्वारा कैंसर।। छत्तीसगढ़ न्यूज़।, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़ा, थायरॉइड अपटेक स्कैन और बोन स्कैन किए जाते हैं। इसके अलावा अन्य रोगों का ईलाज भी नाभिकीय चिकित्सा द्वारा किया जाता है। अवटु ग्रंथि में आई खराबी और हड्डी में लगातार हो रहे दर्द का इलाज इसी तकनीक से होता है। . ग्रे की मानव शारीरिकी'', 20th ed. 1918. हवा या वायु में सांस लेने वाले प्राणियों का मुख्य सांस लेने के अंग फेफड़ा या फुप्फुस (जैसा कि इसे वैज्ञानिक या चिकित्सीय भाषा मे कहा जाता है) होता है। यह प्राणियों में एक जोडे़ के रूप मे उपस्थित होता है। फेफड़े की दीवार असंख्य गुहिकाओं की उपस्थिति के कारण स्पंजी होती है। यह वक्ष-गुहा में स्थित होता है। इसमें लहू का शुद्धीकरण होता है। प्रत्येक फेफड़ा में एक फुफ्फुसीय शिरा हिया से अशुद्ध लहू लाती है। फेफड़े में लहू का शुद्धीकरण होता है। लहू में ऑक्सीजन का मिश्रण होता है। फेफडो़ का मुख्य काम वातावरण से प्राणवायु लेकर उसे लहू परिसंचरण मे प्रवाहित (मिलाना) करना और लहू से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर उसे वातावरण में छोड़ना है। गैसों का यह विनिमय असंख्य छोटे छोटे पतली-दीवारों वाली वायु पुटिकाओं जिन्हें अल्वियोली कहा जाता है मे होता है। यह शुद्ध लहू फुफ्फुसीय धमनी द्वारा हिया में पहुँचता है, जहां से यह फिर से शरीर के विभिन्न अवयवों मे पम्प किया जाता है। .

नाभिकीय चिकित्सा और फेफड़ा के बीच समानता

नाभिकीय चिकित्सा और फेफड़ा आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): हृदय

हृदय

कोरोनरी धमनियों के साथ मानव हृदय. हृदय या हिया या दिल एक पेशीय (muscular) अंग है, जो सभी कशेरुकी (vertebrate) जीवों में आवृत ताल बद्ध संकुचन के द्वारा रक्त का प्रवाह शरीर के सभी भागो तक पहुचाता है। कशेरुकियों का ह्रदय हृद पेशी (cardiac muscle) से बना होता है, जो एक अनैच्छिक पेशी (involuntary muscle) ऊतक है, जो केवल ह्रदय अंग में ही पाया जाता है। औसतन मानव ह्रदय एक मिनट में ७२ बार धड़कता है, जो (लगभग ६६वर्ष) एक जीवन काल में २.५ बिलियन बार धड़कता है। इसका भार औसतन महिलाओं में २५० से ३०० ग्राम और पुरुषों में ३०० से ३५० ग्राम होता है। .

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नाभिकीय चिकित्सा और फेफड़ा के बीच तुलना

नाभिकीय चिकित्सा 33 संबंध है और फेफड़ा 3 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 2.78% है = 1 / (33 + 3)।

संदर्भ

यह लेख नाभिकीय चिकित्सा और फेफड़ा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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