नाटक और सीता जोस्यम
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नाटक और सीता जोस्यम के बीच अंतर
नाटक vs. सीता जोस्यम
नाटक, काव्य का एक रूप है। जो रचना श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय में रसानुभूति कराती है उसे नाटक या दृश्य-काव्य कहते हैं। नाटक में श्रव्य काव्य से अधिक रमणीयता होती है। श्रव्य काव्य होने के कारण यह लोक चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से संबद्ध है। नाट्यशास्त्र में लोक चेतना को नाटक के लेखन और मंचन की मूल प्रेरणा माना गया है। . सीता जोस्यम तेलुगू भाषा के विख्यात साहित्यकार वी. आर. नार्ला द्वारा रचित एक नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 1980 में तेलुगू भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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संदर्भ
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