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नाटक और वैदिक व्याकरण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

नाटक और वैदिक व्याकरण के बीच अंतर

नाटक vs. वैदिक व्याकरण

नाटक, काव्य का एक रूप है। जो रचना श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय में रसानुभूति कराती है उसे नाटक या दृश्य-काव्य कहते हैं। नाटक में श्रव्य काव्य से अधिक रमणीयता होती है। श्रव्य काव्य होने के कारण यह लोक चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से संबद्ध है। नाट्यशास्त्र में लोक चेतना को नाटक के लेखन और मंचन की मूल प्रेरणा माना गया है। . संस्कृत का सबसे प्राचीन (वेदकालीन) व्याकरण 'वैदिक व्याकरण' कहलाता है। यह पाणिनीय व्याकरण से कुछ भिन्न था। .

नाटक और वैदिक व्याकरण के बीच समानता

नाटक और वैदिक व्याकरण आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): अलंकार शास्त्र

अलंकार शास्त्र

संस्कृत आलोचना के अनेक अभिधानों में अलंकारशास्त्र ही नितांत लोकप्रिय अभिधान है। इसके प्राचीन नामों में क्रियाकलाप (क्रिया काव्यग्रंथ; कल्प विधान) वात्स्यायन द्वारा निर्दिष्ट 64 कलाओं में से अन्यतम है। राजशेखर द्वारा उल्लिखित "साहित्य विद्या" नामकरण काव्य की भारतीय कल्पना के ऊपर आश्रित है, परंतु ये नामकरण प्रसिद्ध नहीं हो सके। "अलंकारशास्त्र" में अलंकार शब्द का प्रयोग व्यापक तथा संकीर्ण दोनों अर्थों में समझना चाहिए। अलंकार के दो अर्थ मान्य हैं -.

अलंकार शास्त्र और नाटक · अलंकार शास्त्र और वैदिक व्याकरण · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

नाटक और वैदिक व्याकरण के बीच तुलना

नाटक 27 संबंध है और वैदिक व्याकरण 52 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.27% है = 1 / (27 + 52)।

संदर्भ

यह लेख नाटक और वैदिक व्याकरण के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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