नागार्जुन (प्राचीन दार्शनिक) और नागार्जुन (रसायनशास्त्री) के बीच समानता
नागार्जुन (प्राचीन दार्शनिक) और नागार्जुन (रसायनशास्त्री) आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): रसविद्या, आयुर्वेद।
रसविद्या
रसविद्या, मध्यकालीन भारत की किमियागारी (alchemy) की विद्या है जो दर्शाती है कि भारत भौतिक संस्कृति में भी अग्रणी था। भारत में केमिस्ट्री (chemistry) के लिये "रसायन शास्त्र", रसविद्या, रसतन्त्र, रसशास्त्र और रसक्रिया आदि नाम प्रयोग में आते थे। जहाँ रसविद्या से सम्बन्धित क्रियाकलाप किये जाते थे उसे रसशाला कहते थे। इस विद्या के मर्मज्ञों को रसवादिन् कहा जाता था। रसविद्या का बड़ा महत्व माना गया है। रसचण्डाशुः नामक ग्रन्थ में कहा गया है- इसी तरह- .
नागार्जुन (प्राचीन दार्शनिक) और रसविद्या · नागार्जुन (रसायनशास्त्री) और रसविद्या ·
आयुर्वेद
आयुर्वेद के देवता '''भगवान धन्वन्तरि''' आयुर्वेद (आयुः + वेद .
आयुर्वेद और नागार्जुन (प्राचीन दार्शनिक) · आयुर्वेद और नागार्जुन (रसायनशास्त्री) ·
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नागार्जुन (प्राचीन दार्शनिक) और नागार्जुन (रसायनशास्त्री) के बीच तुलना
नागार्जुन (प्राचीन दार्शनिक) 12 संबंध है और नागार्जुन (रसायनशास्त्री) 14 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 7.69% है = 2 / (12 + 14)।
संदर्भ
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