नवाज़ शरीफ़ और मदर टेरेसा
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नवाज़ शरीफ़ और मदर टेरेसा के बीच अंतर
नवाज़ शरीफ़ vs. मदर टेरेसा
मियां मोहम्मद नवाज़ शरीफ़ (उर्दू: میاں محمد نواز شریف) (जन्म लाहौर; 25 दिसम्बर 1949), पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल) के वरिष्ठ नेता है। वे दो बार पहले भी प्रधानमन्त्री रह चुके हैं – 1 नवम्बर 1990 से 18 जुलाई 1993 तक (12 वें प्रधानमंत्री) और 17 फ़रवरी 1997 से 12 अक्टूबर 1999 (14 वें प्रधानमंत्री)। शरीफ पाकिस्तान के पहले ऐसे नेता हैं, जो 5 जून 2013 काे तीसरी बार 27 वें प्रधानमंत्री बने हैं। 2016 मे पानमा पेपर लीक में नाम आने के बाद 2017 में सुप्रीम काेर्ट ने प्रधानमंत्री के पद के लिए अयोग करार दिया 28 जुलाई 2017 में नवाज़ शरीफ काे प्रधानमंत्री के पद से हटाना पड़ा, नवाज़ शरीफ को वर्ष 2000 में तत्कालीन सैन्य शासक मुशर्रफ़ ने निर्वासित कर दिया था, इसके पहले उनकी निर्वाचित सरकार को भी बर्खास्त कर दिया गया था। इस तख्तापलट के बाद पाकिस्तान की आतंक-विरोधी अदालत ने नवाज़ शरीफ़ को भ्रष्टाचार के अपराध में दोषी करार दिया था। सऊदी अरब की मध्यस्तता से शरीफ़ को जेल से बचाकर सऊदी अरब के जेद्दा नगर में निर्वासित किया गया। अगस्त 23, 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ़ को पाकिस्तान वापस आने की इजाज़त दी। सितम्बर 10, 2007 को शरीफ सात वर्षों के निर्वासन के बाद इस्लामाबाद वापस लौटे, पर उन्हें हवाई-अड्डे से ही तुरन्त जेद्दा वापस भेज दिया गया। . मदर टेरेसा (२६ अगस्त १९१० - ५ सितम्बर १९९७) जिन्हें रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाज़ा गया है, का जन्म अग्नेसे गोंकशे बोजशियु के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य (वर्त्तमान सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य) में हुआ था। मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने १९४८ में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। इन्होंने १९५० में कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की। ४५ सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए लोगों की इन्होंने मदद की और साथ ही मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया। १९७० तक वे गरीबों और असहायों के लिए अपने मानवीय कार्यों के लिए प्रसिद्द हो गयीं, माल्कोम मुगेरिज के कई वृत्तचित्र और पुस्तक जैसे समथिंग ब्यूटीफुल फॉर गॉड में इसका उल्लेख किया गया। इन्हें १९७९ में नोबेल शांति पुरस्कार और १९८० में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया। मदर टेरेसा के जीवनकाल में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी का कार्य लगातार विस्तृत होता रहा और उनकी मृत्यु के समय तक यह १२३ देशों में ६१० मिशन नियंत्रित कर रही थीं। इसमें एचआईवी/एड्स, कुष्ठ और तपेदिक के रोगियों के लिए धर्मशालाएं/ घर शामिल थे और साथ ही सूप, रसोई, बच्चों और परिवार के लिए परामर्श कार्यक्रम, अनाथालय और विद्यालय भी थे। मदर टेरसा की मृत्यु के बाद इन्हें पोप जॉन पॉल द्वितीय ने धन्य घोषित किया और इन्हें कोलकाता की धन्य की उपाधि प्रदान की। दिल के दौरे के कारण 5 सितंबर 1997 के दिन मदर टैरेसा की मृत्यु हुई थी। .
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