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नमुचि

सूची नमुचि

नमुचि नाम के दो प्रसिद्ध राक्षस हुए हैं। एक तो शुंभ निशुंभ का तीसरा भाई था जिसकी कथा वामन पुराण में हैं, दूसरा दानवों का राजा जिसका वध इंद्र ने धोखे से किया था। नमुचि डर के मारे छिपा था। लेकिन इंद्र ने नमुचि का सिर काट लिया तो कटा हुआ सिर इंद्र के पीछे उड़ने लगा। अंत में इंद्र भागकर ब्रह्मा की शरण में गए। ब्रह्मा की आज्ञा से इंद्र को प्रायश्चित्त स्वरूप सरस्वती की शाखा अरुण में स्नान करके यज्ञ करना पड़ा। उसी नदी में नमुचि का कटा सिर भी डाल दिया गया जिससे नमुचि को अक्षय लोक की प्राप्ति हुई। यह कथा विस्तारपूर्वक महाभारत में मिलती है। श्रेणी:पौराणिक पात्र.

7 संबंधों: ब्रह्मा, महाभारत, राक्षस, शुम्भ और निशुम्भ, सरस्वती, वामन पुराण, इन्द्र

ब्रह्मा

ब्रह्मा  सनातन धर्म के अनुसार सृजन के देव हैं। हिन्दू दर्शनशास्त्रों में ३ प्रमुख देव बताये गये है जिसमें ब्रह्मा सृष्टि के सर्जक, विष्णु पालक और महेश विलय करने वाले देवता हैं। व्यासलिखित पुराणों में ब्रह्मा का वर्णन किया गया है कि उनके चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं।Bruce Sullivan (1999), Seer of the Fifth Veda: Kr̥ṣṇa Dvaipāyana Vyāsa in the Mahābhārata, Motilal Banarsidass, ISBN 978-8120816763, pages 85-86 ब्रह्मा को स्वयंभू (स्वयं जन्म लेने वाला) और चार वेदों का निर्माता भी कहा जाता है।Barbara Holdrege (2012), Veda and Torah: Transcending the Textuality of Scripture, State University of New York Press, ISBN 978-1438406954, pages 88-89 हिन्दू विश्वास के अनुसार हर वेद ब्रह्मा के एक मुँह से निकला था। ज्ञान, विद्या, कला और संगीत की देवी सरस्वती ब्रह्मा की पत्नी हैं। बहुत से पुराणों में ब्रह्मा की रचनात्मक गतिविधि उनसे बड़े किसी देव की मौजूदगी और शक्ति पर निर्भर करती है। ये हिन्दू दर्शनशास्त्र की परम सत्य की आध्यात्मिक संकल्पना ब्रह्मन् से अलग हैं।James Lochtefeld, Brahman, The Illustrated Encyclopedia of Hinduism, Vol.

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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राक्षस

The Army of Super Creatures राक्षस प्राचीन काल के प्रजाति का नाम है। राक्षस वह है जो विधान और मैत्री में विश्वास नहीं रखता और वस्तुओं को हडप करना चाहता है। रावण ने रक्ष संस्कृति या रक्ष धर्म की स्थापना की थी। रक्ष धर्म को मानने वाले गरीब, कमजोर, विकास के पीछे रह गए लोगों, किसानों व वंचितों की रक्षा करते थे। रक्ष धर्म को मानने वाले राक्षस थे। श्रेणी:रामायण.

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शुम्भ और निशुम्भ

शुम्भ और निशुम्ब से युद्ध करतीं हुईं देवी दुर्गा हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार शुम्भ और निशुम्भ दो भाई थे जो महर्षि कश्यप और दनु के पुत्र तथा नमुचि के भाई थे। देवीमहात्म्य में इनकी कथा वर्णित है। इंद्र ने एक बार नमुचि को मार डाला। रुष्ट होकर शुंभ-निशुंभ ने उनसे इंद्रासन छीन लिया और शासन करने लगे। इसी बीच दुर्गा ने महिषासुर को मारा और ये दोनों उनसे प्रतिशोध लेने को उद्यत हुए। इन्होंने दुर्गा के सामने शर्त रखी कि वे या तो इनमें किसी एक से विवाह करें या मरने को तैयार हो जाऐं। दुर्गा ने कहा कि युद्ध में मुझे जो भी परास्त कर देगा, उसी से मैं विवाह कर लूँगी। इस पर दोनों से युद्ध हुआ और दोनों मारे गए। .

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सरस्वती

कोई विवरण नहीं।

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वामन पुराण

वामन पुराण में मुख्यरूप से भगवान विष्णु के दिव्य माहात्म्य का व्याख्यान है। विष्णु के वामन अवतार से संबंधित यह दस हजार श्लोकों का पुराण शिवलिंग पूजा, गणेश -स्कन्द आख्यान, शिवपार्वती विवाह आदि विषयों से परिपूर्ण है। इसमें भगवान वामन, नर-नारायण, भगवती दुर्गा के उत्तम चरित्र के साथ भक्त प्रह्लाद तथा श्रीदामा आदि भक्तों के बड़े रम्य आख्यान हैं। इसके अतिरिक्त, शिवजीका लीला-चरित्र, जीवमूत वाहन-आख्यान, दक्ष-यज्ञ-विध्वंस, हरिका कालरूप, कामदेव-दहन, अंधक-वध, लक्ष्मी-चरित्र, प्रेतोपाख्यान, विभिन्न व्रत, स्तोत्र और अन्त में विष्णुभक्ति के उपदेशों के साथ इस पुराणका उपसंहार हुआ है। .

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इन्द्र

इन्द्र (या इंद्र) हिन्दू धर्म में सभी देवताओं के राजा का सबसे उच्च पद था जिसकी एक अलग ही चुनाव-पद्धति थी। इस चुनाव पद्धति के विषय में स्पष्ट वर्णन उपलब्ध नहीं है। वैदिक साहित्य में इन्द्र को सर्वोच्च महत्ता प्राप्त है लेकिन पौराणिक साहित्य में इनकी महत्ता निरन्तर क्षीण होती गयी और त्रिदेवों की श्रेष्ठता स्थापित हो गयी। .

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