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ध्वनिकी और संगीत तथा गणित

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ध्वनिकी और संगीत तथा गणित के बीच अंतर

ध्वनिकी vs. संगीत तथा गणित

सिरिया में बसरा स्थित रोमकालीन नाट्यशाला: ध्वनिकी के सिद्धान्तों का प्राचीन काल से ही उपयोग होता आ रहा है। ध्वनिकी (Acoustics) भौतिकी की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत ध्वनि तरंगो, अपश्रव्य तरंगों एवं पराश्रव्य तरंगों सहित ठोस, द्रव एवं गैसों में संचारित होने वाली सभी प्रकार की यांत्रिक तरंगों का अध्ययन किया जाता है। ध्वनि की उत्पत्ति द्रव्यपिंडों के दोलन द्वारा होती है। इस दोलन से वायु की दाब एवं घनत्व में प्रत्यावर्ती (alternating) परिर्वतन होने लगते हैं, जो अपने स्रोत से एक विशेष वेग के साथ आगे बढ़ते हैं। इनको ही ध्वनि की तरंग कहा जाता है। जब ये तरंगें कान के परदे से टकराती हैं, तब ध्वनि-संवेदन होता है। इन तरंगों की विशेषता यह है कि इनमें परावर्तन, अपवर्तन (refraction) तथा विवर्तन (diffraction) हो सकता है। प्रति सेकंड दोलन संख्या को आवृति (frequency) कहते हैं। मनुष्य का कान एक सीमित परास की आवृतियों को ही सुन सकता है, किंतु आजकल ऐसी तरंगें भी उत्पन्न की जा सकती है जिसका कान के परदे पर कोई असर नहीं होता। कान की सीमा से अधिक परास की आवृतियों की ध्वनि को पराश्रव्य तरंगें कहते हैं। बहुत से जानवर, जैसे चमगादड़, पराश्रव्य ध्वनि सुन सकते हैं। आधुनिक समय में श्रव्य तथा पराश्रव्य दोनों प्रकार की ध्वनियों की आवृतियों को एक बड़ी सीमा के भीतर उत्पन्न किया, पहचाना और मापा जा सकता है। . थोड़े भिन्न आवृत्ति वाली दो ध्वनि तरंगो के व्यतिकरण द्वारा उत्पन्न विस्पन्द (beat) संगीत के सिद्धान्तकार इसे समझने के लिए कभी-कभी गणित का प्रयोग करते हैं। यद्यपि संगीत का कोई ठीक-ठीक गणितीय सिद्धान्त नहीं है किन्तु इसमें कोई सन्देह नहीं है कि संगीत, ध्वनि से बनी है तथा ध्वनि का गणितीय आधार अब सर्वविदित है। विज्ञान व गणित का चोली दामन सा साथ है। संगीत के सिद्धान्तों को समझाने के लिए, प्राचीन समय से ही हमारे आचार्य व पण्डित, गणित का ही सहारा लेते आ रहे हैं। आधुनिक विज्ञान भी पूर्ण रूप से गणित आधारित है। समय के साथ साथ विज्ञान का विकास हुआ है और विज्ञान के साथ गणित का भी उतना ही विकास हुआ है। .

ध्वनिकी और संगीत तथा गणित के बीच समानता

ध्वनिकी और संगीत तथा गणित आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ध्वनि, आवृत्ति

ध्वनि

ड्रम की झिल्ली में कंपन पैदा होता होता जो जो हवा के सम्पर्क में आकर ध्वनि तरंगें पैदा करती है मानव एवं अन्य जन्तु ध्वनि को कैसे सुनते हैं? -- ('''नीला''': ध्वनि तरंग, '''लाल''': कान का पर्दा, '''पीला''': कान की वह मेकेनिज्म जो ध्वनि को संकेतों में बदल देती है। '''हरा''': श्रवण तंत्रिकाएँ, '''नीललोहित''' (पर्पल): ध्वनि संकेत का आवृति स्पेक्ट्रम, '''नारंगी''': तंत्रिका में गया संकेत) ध्वनि (Sound) एक प्रकार का कम्पन या विक्षोभ है जो किसी ठोस, द्रव या गैस से होकर संचारित होती है। किन्तु मुख्य रूप से उन कम्पनों को ही ध्वनि कहते हैं जो मानव के कान (Ear) से सुनायी पडती हैं। .

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आवृत्ति

विभिन्न आवृतियों की तरंगें कोई आवृत घटना (बार-बार दोहराई जाने वाली घटना), इकाई समय में जितनी बार घटित होती है उसे उस घटना की आवृत्ति (frequency) कहते हैं। आवृति को किसी साइनाकार (sinusoidal) तरंग के कला (phase) परिवर्तन की दर के रूप में भी समझ सकते हैं। आवृति की इकाई हर्त्ज (साकल्स प्रति सेकण्ड) होती है। एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे आवर्त काल (Time Period) कहते हैं। आवर्त काल .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

ध्वनिकी और संगीत तथा गणित के बीच तुलना

ध्वनिकी 15 संबंध है और संगीत तथा गणित 5 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 10.00% है = 2 / (15 + 5)।

संदर्भ

यह लेख ध्वनिकी और संगीत तथा गणित के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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