ध्वनि और श्रव्य सम्पादन
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ध्वनि और श्रव्य सम्पादन के बीच अंतर
ध्वनि vs. श्रव्य सम्पादन
ड्रम की झिल्ली में कंपन पैदा होता होता जो जो हवा के सम्पर्क में आकर ध्वनि तरंगें पैदा करती है मानव एवं अन्य जन्तु ध्वनि को कैसे सुनते हैं? -- ('''नीला''': ध्वनि तरंग, '''लाल''': कान का पर्दा, '''पीला''': कान की वह मेकेनिज्म जो ध्वनि को संकेतों में बदल देती है। '''हरा''': श्रवण तंत्रिकाएँ, '''नीललोहित''' (पर्पल): ध्वनि संकेत का आवृति स्पेक्ट्रम, '''नारंगी''': तंत्रिका में गया संकेत) ध्वनि (Sound) एक प्रकार का कम्पन या विक्षोभ है जो किसी ठोस, द्रव या गैस से होकर संचारित होती है। किन्तु मुख्य रूप से उन कम्पनों को ही ध्वनि कहते हैं जो मानव के कान (Ear) से सुनायी पडती हैं। . श्रव्य संपादन का अर्थ है कि जिस तरह से समाचार पत्र में समाचार को सही रूप देने के लिए संपादन करना आवश्यक है ठीक उसी प्रकार से आवाज़ को असली रूप देने के लिए श्रव्य संपादन करना भी जरूरी है। कयोंकि ऐसा करने से अवांछनीय ध्वनि हटाई जाती है। जब भी हम किसी प्रसारण के लिए आवाज़ रिकोर्ड करते हैं तो उस समय तीन बातों का ध्यान रखा जाता है 1 शब्द 2 ध्वनि 3 मौन किसी भी तरह की आॅडियो आवाज़ क्यों न रिकोर्ड की जाए उसके लिए आवश्यक है इन तीनों बातों का ध्यान रखना । इसलिए श्रव्य संपादन करना भी जरूरी है। श्रेणी:मास मीडिया.
ध्वनि और श्रव्य सम्पादन के बीच समानता
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संदर्भ
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