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धर्म और समावर्तन संस्कार

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

धर्म और समावर्तन संस्कार के बीच अंतर

धर्म vs. समावर्तन संस्कार

धर्मचक्र (गुमेत संग्रहालय, पेरिस) धर्म का अर्थ होता है, धारण, अर्थात जिसे धारण किया जा सके, धर्म,कर्म प्रधान है। गुणों को जो प्रदर्शित करे वह धर्म है। धर्म को गुण भी कह सकते हैं। यहाँ उल्लेखनीय है कि धर्म शब्द में गुण अर्थ केवल मानव से संबंधित नहीं। पदार्थ के लिए भी धर्म शब्द प्रयुक्त होता है यथा पानी का धर्म है बहना, अग्नि का धर्म है प्रकाश, उष्मा देना और संपर्क में आने वाली वस्तु को जलाना। व्यापकता के दृष्टिकोण से धर्म को गुण कहना सजीव, निर्जीव दोनों के अर्थ में नितांत ही उपयुक्त है। धर्म सार्वभौमिक होता है। पदार्थ हो या मानव पूरी पृथ्वी के किसी भी कोने में बैठे मानव या पदार्थ का धर्म एक ही होता है। उसके देश, रंग रूप की कोई बाधा नहीं है। धर्म सार्वकालिक होता है यानी कि प्रत्येक काल में युग में धर्म का स्वरूप वही रहता है। धर्म कभी बदलता नहीं है। उदाहरण के लिए पानी, अग्नि आदि पदार्थ का धर्म सृष्टि निर्माण से आज पर्यन्त समान है। धर्म और सम्प्रदाय में मूलभूत अंतर है। धर्म का अर्थ जब गुण और जीवन में धारण करने योग्य होता है तो वह प्रत्येक मानव के लिए समान होना चाहिए। जब पदार्थ का धर्म सार्वभौमिक है तो मानव जाति के लिए भी तो इसकी सार्वभौमिकता होनी चाहिए। अतः मानव के सन्दर्भ में धर्म की बात करें तो वह केवल मानव धर्म है। हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, जैन या बौद्ध आदि धर्म न होकर सम्प्रदाय या समुदाय मात्र हैं। “सम्प्रदाय” एक परम्परा के मानने वालों का समूह है। (पालि: धम्म) भारतीय संस्कृति और दर्शन की प्रमुख संकल्पना है। 'धर्म' शब्द का पश्चिमी भाषाओं में कोई तुल्य शब्द पाना बहुत कठिन है। साधारण शब्दों में धर्म के बहुत से अर्थ हैं जिनमें से कुछ ये हैं- कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण, सद्-गुण आदि। . समावर्तन संस्कार हिन्दुओं का १२वाँ संस्कार है। प्राचीन काल में गुरुकुल में शिक्षा पूर्ण होने के पश्चात जब जातक की गुरुकुल से विदाई की जाती है तो आगामी जीवन के लिये उसे गुरु द्वारा उपदेश देकर विदाई दी जाती है। इसी को समावर्तन संस्कार कहते हैं। इससे पहले जातक का ग्यारहवां संस्कार केशान्त किया जाता है। वर्तमान समय में दीक्षान्त समारोह, समावर्तन संस्कार जैसा ही है। अतः समावर्तन संस्कार वह संस्कार है जिसमें आचार्य जातकों को उपदेश देकर आगे के जीवन (गृहस्थाश्रम) के दायित्वों के बारे में बताया जाता है और उसे सफलतापूर्वक जीने के लिये क्या-क्या करना चाहिए, यह बताया जाता है। 'समावर्तन' का शाब्दिक अर्थ है, 'वापस लौटना'। .

धर्म और समावर्तन संस्कार के बीच समानता

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धर्म और समावर्तन संस्कार के बीच तुलना

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संदर्भ

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