लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

धरमपुरी और महाभारत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

धरमपुरी और महाभारत के बीच अंतर

धरमपुरी vs. महाभारत

धरमपुरी मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित पौराणिक नगर है। धरमपुरी प्राचीन भारत का एक सुविख्यात नगर तथा दुर्ग रहा है। यह दक्षिण - पशचिम के भूतपूर्व धार राज्य के अंतर्गत आता था। आजादी के पश्चात् यह धार जिले की मनावर तहसील का टप्पा था। विंध्यांचल पर्वत के अंचल में पुन्य सलिला नर्मदा के तट पर बसी यह नगरी मुंबई-आगरा राजमार्ग से खलघाट से पश्चिम दिशा में ११ किलोमीटर दुरी पर स्थित है। मांडवगढ़ के इतिहास से इस नगर का घनिष्ट सम्बंध रहा है। नर्मदा के उत्तर तट पर बसी धरमपुरी नगरी परमार राज्य की शक्ति, सुरक्षा, स्थापत्यकला और धर्म की द्रष्टि से महत्वपूर्ण केंद्र था। धरमपुरी के नाम की उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है की महाभारत कल में धर्मराज युधिष्ठिर ने यह राजसूर्य यज्ञ किया था। इस कारण धर्मराज द्वारा बसाए जाने कारण उन्ही के नाम पर इस नगरी का नाम धर्मपुरी पड़ा था। जिसे वर्तमान में हम धरमपुरी से संबोधन करते है। धरमपुरी का वर्तमान स्वरूप उसकी प्राचीनता तथा पूर्वावशेष इसके धार्मिक, एतिहासिक एवं कलात्मक होने की पुष्टि करते है। जगत तारनी माँ नर्मदा के उत्तर तट पर विंध्यांचल की तलेटी में स्थित धरमपुरी वर्तमान में बड़ा शहर नही है। परन्तु प्राचीन काल में यह महत्वपूर्ण नगर था। इसका प्रमाण पुराण एवम इतिहास में मिलता है। सदियों से ऋषि मुनियों तथा प्रतापी राजाओ की आवास स्थली होने के साथ - साथ धरमपुरी आध्यात्मिक एवम शोर्य से गोरान्वित था। सुद्रड़ता और सुरक्षा की द्रष्टि से तत्कालीन गडी के रूप में यह अपनी गरिमा रखता था। गडी के भग्नावशेष इसके आज भी साक्षी है। नगर के चारो और परकोटा और चार द्वार थे। जिसमे से तीन आज भी विद्यमान है। काल और युध्दो के प्रभाव ने इस धर्मप्राण भू भाग को ध्वस्त कर दिया। भव्य प्रसादो और मन्दिरों के स्थानों पर खंडहर ईट, पत्थर और मिटटी के ढेर में तब्दील हो गए। प्राचीन इतिहास से पता चलता है की रामायण काल में १६०० ईस्वी पूर्व यह प्रदेश अनूप जनपद के अंतर्गत था। यह शाश्वत राज्य स्थापित होने के साथ महेश्व्वर हैहेय वंशीय राजा सहस्त्रार्जून एवम शिशुपाल ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। इसके पश्चात् महाभारत काल में धर्मराज युधिष्टिर ने यहा राजसूर्य यज्ञ के दौरान यज्ञ की सफलता के लिए राजा भीमसेन को अनेक राजाओ से युध्द करना पड़ा था। राजा भीमसेन ने अनेक देशो पर विजय प्राप्तकर युधिष्टिर की आज्ञा से चेदी वंश के राजा शिशुपाल को पराजित किया। चेदी वंश का राज्य नर्मदा किनारे फैला था और महेश्वर (माहिष्मती) उसकी राजधानी थी। महाभारत के पश्चात सम्राट परीक्षित और जन्मेजय के राज्यकाल तक धरमपुरी का वैभव अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच चूका था। लेखो और शिलालेखो के आधार पर ईसा की पहली व दूसरी सदी से इस जनपद का नाम अनूप पाया जाता है। बौध ग्रंथो में भी इसका उल्लेख है की ईसवी पूर्व ६०० के लगभग उत्तर में १६ महाजनपद थे। निमाड़ का यह हिस्सा अवन्ती महाजन के पद अंतर्गत आता था। पूर्व निमाड़ जिले के सन १९०८ में प्रकाशित ग्झेतियर के अनुसार प्राचीन निमाड़ के प्रान्त की सीमा क्षेत्र पूर्व में होशंगाबाद जिले में प्रवाहित गुंजाल नदी पश्चिम में हिरन फाल (हिरन जलप्रताप) तथा उत्तर दक्षिण में विंध्यांचल और सतपुड़ा पर्वत श्रेणी है। प्राचीन धार्नाओ के अनुसार इस प्रान्त में नीम के पेड़ अधिक होने के कारण इसका नाम निमाड़ पड़ गया। मुगल शासक काल में निमाड़ की प्रतिष्ठा एवम स्वतंत्र राज्य के रूप में थी और उसके पश्चात् तुगलक वंश के समय में भी यह प्रान्त का रूप में अस्तित्व में था। धरमपुरी नगर अपने आप में इतिहास समेटे हुए है। नगर व इसके आसपास का क्षेत्र तपोभूमि के प्राचीन एेतिहासिक व सांस्कृतिक जिसमे जैन, बौध, वैष्णव एवम् पौराणिक कालीन मूर्ति एवम् स्थापत्यकला के आज भी दर्शन होते है। धरमपुरी नगर के आसपास महान तपस्वियों ने तपस्या की जिनकी साक्षी गुफाए व प्राचीन शिवालय वर्तमान में विद्यमान है। . महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

धरमपुरी और महाभारत के बीच समानता

धरमपुरी और महाभारत आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): युधिष्ठिर

युधिष्ठिर

प्राचीन भारत के महाकाव्य महाभारत के अनुसार युधिष्ठिर पांच पाण्डवों में सबसे बड़े भाई थे। वह पांडु और कुंती के पहले पुत्र थे। युधिष्ठिर को धर्मराज (यमराज) पुत्र भी कहा जाता है। वो भाला चलाने में निपुण थे और वे कभी झूठ नहीं बोलते थे। महाभारत के अंतिम दिन उसने अपने मामा शलय का वध किया जो कौरवों की तरफ था। .

धरमपुरी और युधिष्ठिर · महाभारत और युधिष्ठिर · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

धरमपुरी और महाभारत के बीच तुलना

धरमपुरी 8 संबंध है और महाभारत 257 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 0.38% है = 1 / (8 + 257)।

संदर्भ

यह लेख धरमपुरी और महाभारत के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »