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द्विपद नामपद्धति और फफूंद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

द्विपद नामपद्धति और फफूंद के बीच अंतर

द्विपद नामपद्धति vs. फफूंद

कार्ल लीनियस ने सबसे पहले इस दो नामों की नामकरण प्रणाली को उपयोग करने के लिए चुना था। जीव विज्ञान में, द्विपद नामकरण प्रजातियों के नामकरण की एक औपचारिक प्रणाली है। कार्ल लीनियस नामक एक स्वीडिश जीव वैज्ञानिक ने सबसे पहले इस दो नामों की नामकरण प्रणाली को उपयोग करने के लिए चुना था। उन्होंने इसके लिए पहला नाम वंश (जीनस) का और दूसरा प्रजाति विशेष का विशिष्ट नाम को चुना था। उदाहरण के लिए, मानव का वंश होमो है जबकि उसका विशिष्ट नाम सेपियंस है, तो इस प्रकार मानव का द्विपद या वैज्ञानिक नाम होमो साप्येन्स् (Homo sapiens) है। रोमन लिपि मे लिखते समय दोनो नामों मे से वंश के नाम का पहला अक्षर बड़ा (कैपिटल) होता है जबकि विशिष्ठ नाम का पहला अक्षर छोटा (स्माल) ही होता है। . "आर्मिलेरिया ओस्टोयी" नामक कवक फफूंद या कवक एक प्रकार के पौधे हैं जो अपना भोजन सड़े गले म्रृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं। ये संसार के प्रारंभ से ही जगत में उपस्थित हैं। इनका सबसे बड़ा लाभ इनका संसार में अपमार्जक के रूप में कार्य करना है। इनके द्वारा जगत में से कचरा हटा दिया जाता है। कवक (फंगस, Fungus) जीवों का एक विशाल समुदाय है जिसे साधारणतया वनस्पतियों में वर्गीकृत किया जाता है। इस वर्ग के सदस्य पर्णहरिम (chlorophyll) रहित होते हैं और इनमें प्रजनन बीजाणुओं (spore) द्वारा होता है। ये सभी सूकाय (thalloid) वनस्पतियाँ हैं, अर्थात् इनके शरीर के ऊतकों (tissues) में कोई भेदकरण नहीं होता; दूसरे शब्दों में, इनमें जड़, तना और पत्तियाँ नहीं होतीं तथा इनमें अधिक प्रगतिशील पौधों की भाँति संवहनीयतंत्र (vascular system) नहीं होता। पहले इस प्रकार के सभी जीव एक ही वर्ग कवक के अंतर्गत परिगाणित होते थे, परंतु अब वनस्पति विज्ञानविदों ने कवक वर्ग के अतिरिक्त दो अन्य वर्गों की स्थापना की है जिनमें क्रमानुसार जीवाणु (bacteria) और श्लेष्मोर्णिका (slime mold) हैं। जीवाणु एककोशीय होते हैं जिनमें प्रारूपिक नाभिक (typical nucleus) नहीं होता तथा श्लेष्मोर्णिक की बनावट और पोषाहार (nutrition) जंतुओं की भाँति होता है। कवक अध्ययन के विज्ञान को कवक विज्ञान (mycology) कहते हैं। कुछ लोगों का मत है कि कवक की उत्पत्ति शैवाल (algae) में पर्णहरिम की हानि होने से हुई है। यदि वास्तव में ऐसा हुआ है तो कवक को पादप सृष्टि (Plant kingdom) में रखना उचित ही है। दूसरे लोगों का विश्वास है कि इनकी उत्पत्ति रंगहीन कशाभ (flagellata) या प्रजीवा (protozoa) से हुई है जो सदा से ही पर्णहरिम रहित थे। इस विचारधारा के अनुसार इन्हें वानस्पतिक सृष्टि में न रखकर एक पृथक सृष्टि में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। वास्तविक कवक के अंतर्गत कुछ ऐसी परिचित वस्तुएँ आती हैं, जैसे गुँधे हुए आटे (dough) से पावरोटी बनाने में सहायक एककोशीय खमीर (yeast), बासी रोटियों पर रूई की भाँति उगा फफूँद, चर्म को मलिन करनेवाले दाद के कीटाणु, फसल के नाशकारी रतुआ तथा कंडुवा (rust and smut) और खाने योग्य एव विषैली कुकुरमुत्ते या खुंभियाँ (mushrooms)। .

द्विपद नामपद्धति और फफूंद के बीच समानता

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द्विपद नामपद्धति और फफूंद के बीच तुलना

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संदर्भ

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