दोहा और पद्माकर
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
दोहा और पद्माकर के बीच अंतर
दोहा vs. पद्माकर
दोहा, मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में प्राय: जगण (। ऽ।) टालते है, लेकिन इस की आवश्यकता नहीं है। 'बड़ा हुआ तो' पंक्ति का आरम्भ ज-गण से ही होता है. रीति काल के ब्रजभाषा कवियों में पद्माकर (1753-1833) का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वे हिंदी साहित्य के रीतिकालीन कवियों में अंतिम चरण के सुप्रसिद्ध और विशेष सम्मानित कवि थे। मूलतः हिन्दीभाषी न होते हुए भी पद्माकर जैसे आन्ध्र के अनगिनत तैलंग-ब्राह्मणों ने हिन्दी और संस्कृत साहित्य की श्रीवृद्धि में जितना योगदान दिया है वैसा अकादमिक उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है। .
दोहा और पद्माकर के बीच समानता
दोहा और पद्माकर आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या दोहा और पद्माकर लगती में
- यह आम दोहा और पद्माकर में है क्या
- दोहा और पद्माकर के बीच समानता
दोहा और पद्माकर के बीच तुलना
दोहा 1 संबंध नहीं है और पद्माकर 47 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (1 + 47)।
संदर्भ
यह लेख दोहा और पद्माकर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: