दोहरी प्रविष्टि प्रणाली और भुगतान शेष
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दोहरी प्रविष्टि प्रणाली और भुगतान शेष के बीच अंतर
दोहरी प्रविष्टि प्रणाली vs. भुगतान शेष
लेखाकरण में दोहरी प्रविष्टि प्रणाली या दोहरी खतान प्रणाली (Double-entry system) बहीखाता की एक पद्धति है। इसका नाम 'दोहरी प्रविष्टि' इसलिए है क्योंकि इसके अन्तर्गत किसी खाते की प्रत्येक प्रविष्टि के संगत किसी दूसरे खाते में एक विपरीत प्रविष्टि का होना जरूरी है। उदाहरण के लिए, १०० रूपए की कमाई को दर्ज करने के लिए दो प्रविष्टियाँ आवश्यक होंगी-. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सामान्यत: सभी देश एक दूसरे के साथ माल का आयात निर्यात करते हैं, सेवाओं का आदान प्रदान करते हैं और राशि का लेन देन भी करते हैं। इस प्रकार एक निश्चित अवधि के पश्चात् इन सभी मदों पर लेन देन का यदि हिसाब निकाला जाय तो किसी एक देश को दूसरे से भुगतान लेना शेष होता है और दूसरे देश को किसी किसी तीसरे देश का भुगतान चुकाना शेष रहता है। विभिन्न देशों के बीच इस प्रकार के परस्परिक लेन देन के शेष को भुगतान शेष (Blance of payments) कहते हैं। यों कहना चाहिए कि किसी निश्चित तिथि को एक देश द्वारा अन्य देशों को चुकाई जानेवाली सकल राशि तथा अन्य देशों से उसे प्राप्त होनेवाली सकल राशि के अंतर को उस देश का 'भुगतान शेष' कहते हैं। '''(विदेशी मुद्रा भण्डार - बाहरी कर्ज)''' का मानचित्र (CIA फैक्तबुक २०१०) .
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संदर्भ
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