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देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय और भौतिकवाद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय और भौतिकवाद के बीच अंतर

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय vs. भौतिकवाद

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय (19 नवम्बर 1918 – 8 मई 1993) भारत के गणमान्य मार्क्सवादी दार्शनिक तथा इतिहासकार थे। उन्होने प्राचीन भारतीय दर्शन में भौतिकवादी संस्कृति की गवेषणा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होने प्राचीन भारतीय लोकायत दर्शन पर बहुत काम किया। प्राचीन भारतीय विज्ञान के इतिहास तथा प्राचीन भारत में वैज्ञानिक विधि के विषय में उनके कार्य भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से प्राचीन भारत के चिकित्साशास्त्रियों चरक तथा सुश्रुत पर उनका अनुसंधान कार्य उच्च कोटि का है। उनको साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९९८ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। . भौतिकवाद (Materialism) दार्शनिक एकत्ववाद का एक प्रकार हैं, जिसका यह मत है कि प्रकृति में पदार्थ ही मूल द्रव्य है, और साथ ही, सभी दृग्विषय, जिस में मानसिक दृग्विषय और चेतना भी शामिल हैं, भौतिक परस्पर संक्रिया के परिणाम हैं। भौतिकवाद का भौतिकतावाद (Physicalism) से गहरा सम्बन्ध हैं, जिसका यह मत है कि जो कुछ भी अस्तित्व में हैं, वह अंततः भौतिक हैं। भौतिक विज्ञानों की ख़ोज के साथ, दार्शनिक भौतिकतावाद भौतिकवाद से क्रम-विकासित हुआ, ताकि सिर्फ़ सामान्य पदार्थ के बजाए भौतिकता के अधिक परिष्कृत विचारों को समाहित किया जा सकें, जैसे कि, दिक्-काल, भौतिक ऊर्जाएँ और बल, डार्क मैटर, इत्यादि। अतः, कुछ लोग "भौतिकवाद" से बढ़कर "भौतिकतावाद" शब्द को वरीयता देते हैं, जबकि कुछ इन शब्दों का प्रयोग समानार्थी शब्दों के रूप में करते हैं। भौतिकवाद या भौतिकतावाद से विरुद्ध दर्शनों में आदर्शवाद, बहुलवाद, द्वैतवाद और एकत्ववाद के कुछ प्रकार सम्मिलित हैं। .

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय और भौतिकवाद के बीच समानता

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय और भौतिकवाद आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): चार्वाक दर्शन

चार्वाक दर्शन

चार्वाक दर्शन एक भौतिकवादी नास्तिक दर्शन है। यह मात्र प्रत्यक्ष प्रमाण को मानता है तथा पारलौकिक सत्ताओं को यह सिद्धांत स्वीकार नहीं करता है। यह दर्शन वेदबाह्य भी कहा जाता है। वेदबाह्य दर्शन छ: हैं- चार्वाक, माध्यमिक, योगाचार, सौत्रान्तिक, वैभाषिक, और आर्हत। इन सभी में वेद से असम्मत सिद्धान्तों का प्रतिपादन है। चार्वाक प्राचीन भारत के एक अनीश्वरवादी और नास्तिक तार्किक थे। ये नास्तिक मत के प्रवर्तक बृहस्पति के शिष्य माने जाते हैं। बृहस्पति और चार्वाक कब हुए इसका कुछ भी पता नहीं है। बृहस्पति को चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र ग्रन्थ में अर्थशास्त्र का एक प्रधान आचार्य माना है। .

चार्वाक दर्शन और देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय · चार्वाक दर्शन और भौतिकवाद · और देखें »

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देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय और भौतिकवाद के बीच तुलना

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय 12 संबंध है और भौतिकवाद 14 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 3.85% है = 1 / (12 + 14)।

संदर्भ

यह लेख देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय और भौतिकवाद के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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