दृष्टकूट और श्लेष अलंकार
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दृष्टकूट और श्लेष अलंकार के बीच अंतर
दृष्टकूट vs. श्लेष अलंकार
दृष्टकूट ऐसी कविता को कहते हैं जिसका अर्थ केवल शब्दों के वाचकार्थ से न समझा जा सके बल्कि प्रसंग या रूढ़ अर्थों से जान जाय।;उदाहरण - पहेली को भी दृष्टकूट कहा जाता है। . जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। उदाहरण - रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।। यहाँ पानी का प्रयोग तीन बार किया गया है, किन्तु दूसरी पंक्ति में प्रयुक्त पानी शब्द के तीन अर्थ हैं - मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ चमक या कान्ति मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ इज्जत (सम्मान) चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ साधारण पानी(जल) है। अतः यहाँ श्लेष अलंकार है। श्रेणी:अलंकार श्रेणी:हिन्दी साहित्य.
दृष्टकूट और श्लेष अलंकार के बीच समानता
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दृष्टकूट और श्लेष अलंकार के बीच तुलना
दृष्टकूट 16 संबंध है और श्लेष अलंकार 3 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (16 + 3)।
संदर्भ
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