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दुर्बल हाइपर आवेश और प्रबल अन्योन्य क्रिया

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

दुर्बल हाइपर आवेश और प्रबल अन्योन्य क्रिया के बीच अंतर

दुर्बल हाइपर आवेश vs. प्रबल अन्योन्य क्रिया

दुर्बल हाइपर कण भौतिकी में दुर्बल हाइपर आवेश एक संरक्षित क्वांटम संख्या है जो विद्युत आवेश और दुर्बल समभारिक प्रचक्रण के तृतीय घटक में संबंध स्थापित करता है तथा प्रबल अन्योन्य क्रियाओं के समभारिक प्रचक्रण के लिए गेल-मान-निशिजमा सूत्र (Gell-Mann–Nishijima formula) के समान होता है (जो संरक्षित नहीं रहता)। इसे अक्सर YW द्वारा निरूपित किया जाता है और यह गेज सममिति (gauge symmetry) U(1) के समान होत है। . प्रबल अन्योन्य क्रिया (अक्सर प्रबल बल, प्रबल नाभिकीय बल और कलर अन्योन्य क्रिया के नाम से भी जाना जाता है) (Strong Interaction.) प्रकृति की चार मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं में से एक है, अन्य तीन अन्योन्य क्रियाएं गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया और दुर्बल अन्योन्य क्रिया हैं। नाभिकीय स्तर पर यह अन्योन्य क्रिया विद्यत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया से १०० गुना प्रबल है अतः दुर्बल व गुरुत्वीय अन्योन्य क्रियाओं से यह बहुत ज्यादा प्रबल है। इस अन्योन्य क्रिया को प्रोटोनों व न्यूट्रोनों के बन्धन बल के रूप में भी पहचाना जाता है। .

दुर्बल हाइपर आवेश और प्रबल अन्योन्य क्रिया के बीच समानता

दुर्बल हाइपर आवेश और प्रबल अन्योन्य क्रिया आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): मानक प्रतिमान

मानक प्रतिमान

मूलभूत कणों का, आमान बोसॉनों (सबसे दायां स्तम्भ) के साथ मानक प्रतिमान। मानक प्रतिमान या मानक मॉडल, भौतिकशास्त्र का एक सिद्धान्त है जिसका संबंध विद्युत्-चुम्बकीय, दुर्बल तथा प्रबल नाभिकीय अन्तःक्रियाओं से है। ये ऐसी अन्तःक्रियाएँ हैं, जो कि ज्ञात उपपारमाण्विक कणों की गतिकी की व्याख्या करती हैं। इसका विकास बीसवीं सदी के मध्य से लेकर देर-सदी तक हुआ। ये कई हाथों से बुना हुआ एक पट है, जो कि कभी तो नई प्रायोगिक खोजों से आगे बढ़ा तो कभी सैद्धान्तिक प्रगतियों से। इसका विकास सही अर्थों में सहकार के साथ हुआ है, जो महाद्वीपों और दशकों में विस्तृत है। इसका आज का प्रारूप 1970 के दशक के मध्य में बना, जबकि क्वार्क का अस्तित्व सुनिश्चित किया गया। उसके बाद तो तल क्वार्क (1977), शीर्ष क्वार्क (1995) और टॉ क्वार्क (2000) की खोज ने मानक प्रतिमान की साख और बढ़ा दी। अधिक हाल की घटना के रूप में 2011-2012 में हिग्स बोसॉन की खोज ने इसके सारे अनुमानित कणों का समुच्चय पूरा कर दिया है। प्रायोगिक परिणामों की दीर्घ शृंख्ला की सफलतापूर्वक व्याख्या कररने के कारण मानक प्रतिमान को कभी कभी "लगभग सबकुछ का सिद्धान्त" भी कहा जाता है। मानक प्रतिमान मौलिक अन्तःक्रियाओं का सम्पूर्ण सिद्धान्त होते होते रह जाता है, क्योंकि इसमें से गुरुत्वाकर्षण का समूचा सिद्धान्त ही गायब है, साथ ही यह विश्व के त्वरित विस्तार की भविष्यवाणी भी नहीं करता है (जैसा कि अन्धकार-ऊर्जा द्वारा वर्णित है)। .

दुर्बल हाइपर आवेश और मानक प्रतिमान · प्रबल अन्योन्य क्रिया और मानक प्रतिमान · और देखें »

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दुर्बल हाइपर आवेश और प्रबल अन्योन्य क्रिया के बीच तुलना

दुर्बल हाइपर आवेश 11 संबंध है और प्रबल अन्योन्य क्रिया 7 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.56% है = 1 / (11 + 7)।

संदर्भ

यह लेख दुर्बल हाइपर आवेश और प्रबल अन्योन्य क्रिया के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: