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दुर्गादास (उपन्यास) और सेवासदन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

दुर्गादास (उपन्यास) और सेवासदन के बीच अंतर

दुर्गादास (उपन्यास) vs. सेवासदन

दुर्गादास एक उपन्यास है जो एक वीर व्यक्ति दुर्गादास राठौड़ के जीवन पर मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित है। इसे एक वीर गाथा भी कह सकते हैं जिससे हमें कई सीख मिलती है। यह बाल साहित्य के अंतर्गत आता है तथा इसके मुख्य प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार राजा यशवन्तसिंह के सेवक दुर्गादास नें उसके मृत्यु के बाद राजा के पुत्र अजीतसिंह को औरंगज़ेब तथा उसके मुगल सेना से सुरक्षित किया तथा औरंगज़ेब को मारवाड़ से भगाकर अजीतसिंह को राज सौंपा। तथा किस प्रकार उसे दुष्ट अजीतसिंह से दूर भागना पड़ा। . सेवासदन प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास है। नारी जाति की परवशता, निस्सहाय अवस्था, आर्थिक एवं शैक्षिक परतंत्रता, अर्थात् नारी दुर्दशा पर आज के हिन्दी साहित्य में जितनी मुखर चर्चा हो रही है; बीसवीं सदी के प्रारंभिक चरण में, कथासम्राट प्रेमचंद (1880-1936) के यहाँ कहीं इससे ज्यादा मुखर थी। नारी जीवन की समस्याओं के साथ-साथ समाज के धर्माचार्यों, मठाधीशों, धनपतियों, सुधारकों के आडंबर, दंभ, ढोंग, पाखंड, चरित्रहीनता, दहेज-प्रथा, बेमेल विवाह, पुलिस की घूसखोरी, वेश्यागमन, मनुष्य के दोहरे चरित्र, साम्प्रदायिक द्वेष आदि आदि सामाजिक विकृतियों के घृणित विवरणों से भरा उपन्यास सेवासदन (1916) आज भी समकालीन और प्रासंगिक बना हुआ है। इन तमाम विकृतियों के साथ-साथ यह उपन्यास घनघोर दानवता के बीच कहीं मानवता का अनुसंधान करता है। अतिरिक्त सुखभोग की अपेक्षा में अपना सर्वस्व गवाँ लेने के बाद जब कथानायिका को सामाजिक गुणसूत्रों की समझ हो जाती है, तब वह किसी तरह दुनिया के प्रति उदार हो जाती है और उसका पति साधु बनकर अपने व्यतीत दुष्कर्मों का प्रायश्चित करने लगता है, जमींदारी अहंकार में डूबे दंपति अपनी तीसरी पीढ़ी की संतान के जन्म से प्रसन्न होते हैं और अपनी सारी कटुताओं को भूल जाते हैं-ये सारी स्थितियाँ उपन्यास की कथाभूमि में इस तरह पिरोई हुई हैं कि तत्कालीन समाज की सभी अच्छाइयों बुराइयों का जीवंत चित्र सामने आ जाता है। हर दृष्टि से यह उपन्यास एक धरोहर है। प्रेमचंद ने सेवासदन उपन्यास सन् १९१६ में उर्दु भाषा में लिखा था। बाद में सन १९१९ में उन्होने इसका हिन्दी रुपान्तरण स्वयं किया।.

दुर्गादास (उपन्यास) और सेवासदन के बीच समानता

दुर्गादास (उपन्यास) और सेवासदन आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): प्रेमचंद

प्रेमचंद

प्रेमचंद (३१ जुलाई १८८० – ८ अक्टूबर १९३६) हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी (विद्वान) संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है। प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्‍य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्‍यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं। .

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दुर्गादास (उपन्यास) और सेवासदन के बीच तुलना

दुर्गादास (उपन्यास) 12 संबंध है और सेवासदन 1 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 7.69% है = 1 / (12 + 1)।

संदर्भ

यह लेख दुर्गादास (उपन्यास) और सेवासदन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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