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दुर्ग

सूची दुर्ग

दुर्ग छत्तीसगढ़ प्रान्त के 27 जिलो मे तीसरा सबसे बड़ा जिला है। दुर्ग जिले के मुख्य शहर भिलाई और दुर्ग को सम्मिलित रूप से टि्वन सिटी कहा जाता है। भिलाई में लौह इस्पात संयंत्र की स्थापना के साथ ही दुर्ग का महत्व काफी बढ़ गया। शिवनाथ नदी के पूर्वी तट पर स्थित दुर्ग शहर के बीचोबीच से राष्ट्रीय राजमार्ग ६ (कोलकाता-मुंबई) गुजरती है। टि्वनसिटी के तौर पर दुर्ग-भिलाई शैक्षणिक और खेल केंद्र के रूप में न केवल प्रदेश में बल्कि देश में अपना स्थान रखता है। श्रेणी:छत्तीसगढ़ के नगर.

7 संबंधों: प्रांत, भिलाई, भिलाई इस्पात संयंत्र, शिवनाथ नदी, सांसद, किला, छत्तीसगढ़

प्रांत

प्रान्त एक प्रादेशिक इकाई है, जो कि लगभग हमेशा ही एक देश या राज्य के अंतर्गत एक प्रशासकीय खंड होता है। .

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भिलाई

भिलाई शहर करीबन भारत के मध्य में बसा है। 5,53,837 की जनसंख्या के साथ, भिलाई भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का दूसरा बड़ा शहर है। मुम्बई-नागपुर-बिलासपुर-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग 6 पर स्थित, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 30 किलोमीटर पश्चिम में भारतीय इस्पात प्राधिकरण के अंतर्गत एकीकृत इस्पात संयंत्र के लिये जगप्रसिद्ध शहर शिक्षा और खेल के क्षेत्र में भी नाम रखता है। भारत-रूस मैत्री के फ़लस्वरूप बना भिलाई इस्पात संयंत्र श्रेष्ठ एकीकृत इस्पात संयंत्र के लिये लगातार ग्यारह बार प्रधानमंत्री ट्रॉफ़ी जीत चुका है। भिलाई नाम की उत्पत्ति भिलाई गांव से हुई है, जो इस नगर के उत्तर में स्थित है। सन् 1956 तक भिलाई गांव एक छोटा सा ग्राम था, जिसकी जनसंख्या 350 थी। सन् 1955 में भारत एवं सोवियत रुस में संपन्न एक समझौते के अंतर्गत इस्पात कारखाना स्थापित किया गया। भिलाई इस्पात संयंत्र कारखाना स्थापित होने से क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों में वृद्वि हुई। संक्षिप्त परिचय - नगर पालिक निगम भिलाई मुम्बई - हावड़ा रेल्वे लाइन तथा राष्ट्रीय राजपथ क्रमांक-6 के किनारे,21013 उत्तर अक्षांश एवं 81026 पूर्व देशांश में, छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित भिलाई, सन् 1955 तक एक छोटा, शांत और धान की खेती पर पोषित गांव मात्र था। 14 मार्च 1955 को भारत शासन और तत्कालीन सोवियत संघ के मध्य, भिलाई में एक मिलीयन टन क्षमता के इस्पात कारखाना लगाने का समझौता हुआ जिसने न केवल भिलाई जिसने न केवल भिलाई की, वरन् इसके आस-पास बसे सैकड़ों गांवों की काया पलट दी। मुंबई-हावड़ा रेल्वे लाइन के उत्तर में भिलाई इस्पात संयंत्र और उसकी टाउनशीप बनाने का निर्णय लिया गया और इसके दक्षिण में श्रमिकों के लिए अस्थायी निवास हेतु भूमि दी गई। अवधारणा यह थी कि कारखाना प्रारंभ होने के बाद, उक्त अस्थायी निवास हट जावेंगे और भूमि खाली हो जावेगी, किन्तु ऐसा हो न सका। बसाहट बढ़ती गई और मूलभूत सुविधा विहीन बस्तियाँ बनती गई। दुर्ग-भिलाई की जनसंख्या सन् 1951-71 के दशक में 86 प्रतिशत तथा 1971-81 के दशक में 113 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सन् 1981-91 के दशक में 89 प्रतिशत एवं सन् 1991-2001 के दशक में 77 प्रतिशत की वृद्धि हुई। चित्र:Gayatri Shakti Peeth, Sec-6.jpg|सेक्टर-6 स्थित गायत्री शक्ति पीठ चित्र:Nehru art gallary.jpg|सिविक सेंटर स्चित नेहरू आर्ट गैलरी चित्र:Bhilai Railway Station.jpg|भिलाई रेलवे स्टेशन श्रेणी:छत्तीसगढ़ के नगर hr:Bilaj hu:Bilaj sl:Bilaj.

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भिलाई इस्पात संयंत्र

भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant (BSP)) भारत के छत्तीसगढ़ के भिलाई में स्थित इस्पात कारखाना है। यह भारत का पहला इस्पात उत्पादक संयंत्र है तथा मुख्यतः रेलों का उत्पादन करता है। इस संयंत्र की स्थापना सोवियत संघ की सहायता से १९५५ में हुई थी। इस कारखाने की स्थापना दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61)के अंतर्गत की गई थी। दस बार देश का सर्वश्रेष्ठ एकीकृत इस्पात कारखाने के लिए प्रधानमंत्री ट्रॉफी प्राप्त यह कारखाना राष्ट्र में रेल की पटरियों और भारी इस्पात प्लेटों का एकमात्र निर्माता तथा संरचनाओं का प्रमुख उत्पादक है। देश में 260 मीटर की रेल की सबसे लम्बी पटरियों के एकमात्र सप्लायर, इस कारखाने की वार्षिक उत्पादन क्षमता 31 लाख 53 हजार टन विक्रेय इस्पात की है। यह कारखाना वायर रॉड तथा मर्चेन्ट उत्पाद जैसे विशेष सामान भी तैयार कर रहा है। भिलाई इस्पात कारखाना आईएसओ 9001:2000 गुणवत्ता प्रबन्धन प्रणाली से पंजीकृत है। अतः इसके सभी विक्रेय इस्पात आईएसओ की परिधि में आते हैं। भिलाई के कारखाने, इसकी बस्ती और डल्ली खानों को पर्यावरण प्रबन्धन प्रणाली से सम्बन्धित आईएसओ 14001 भी प्राप्त है। यह देश का ऐसा एकमात्र इस्पात कारखाना है जिसे इन सभी क्षेत्रों में प्रमाणपत्र मिला है। कारखाने को सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने के लिए एसए: 8000 प्रमाणपत्र और व्यावसायिक स्वास्थ्य तथा सुरक्षा के लिए ओएचएसएएस-18001प्रमाणपत्र भी प्राप्त है। इन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य प्रमाणपत्रों के कारण भिलाई के उत्पादों का महत्व और भी बढ़ जाता है तथा इस्पात उद्योग में इसकी गणना सर्वश्रेष्ठ संगठनों में की जाती है। भिलाई को अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है तथा इसे लगातार तीन वर्ष सीआईआई-आईटीसी सस्टेनेबिलिटी पुरस्कार प्राप्त हुआ है। .

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शिवनाथ नदी

शिवनाथ नदी महानदी की प्रमुख सहायक नदी है। यह राजनांदगांव जिले की अंबागढ़ तहसील की 625 मीटर ऊँची पानाबरस पहाड़ी क्षेत्र से निकलकर शिवरीनारायण (जिला जांजगीर चांपा) के पास महानदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ लीलागर, मनियारी, आगर, हांप, खारून, अरपा, आमनेर, सकरी, खरखरा, तांदुला तथा जमुनिया नदी आदि हैं। इसकी कुल लम्बाई 290 किमी है। प्रसिद्ध मोंगरा बैराज परियोजना राजनांदगांव में शिवनाथ नदी पर संचालित है। शिवनाथ नदी के कुछ भागों में सिर्फ वर्षा के समय ही नावें चलती हैं। और कहीं-कहीं कुछ भागों में जुलाई से फरवरी तक नावें चलती हैं। शिवनाथ की सहायक नदियां बालोद - खरखरा, तंदुला रायपुर- खारुन बलौदाबाजार- जमुनिया कवर्धा- हॉफ, आमनेर मुंगेली- मनियारी बिलासपुर- अरप्पा, लीलागर .

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सांसद

सांसद, संसद में मतदाताओं का प्रतिनिधि होता है। अनेक देशों में इस शब्द का प्रयोग विशेष रूप से निम्न सदन के सदस्यों के लिए किया जाता है। क्योंकि अक्सर उच्च सदन के लिए एक अलग उपाधि जैसे कि सीनेट एवं इसके सदस्यों के लिये सीनेटर का प्रयोग किया जाता है सांसद अपनी राजनीतिक पार्टी के सदस्यों के साथ मिलकर संसदीय दल का गठन करते हैं। रोजमर्रा के व्यवहार में अक्सरसांसद शब्द के स्थान पर मीडिया में इसके लघु रूप "MP"का प्रयोग किया जाता है। .

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किला

राजस्थान के '''कुम्भलगढ़ का किला''' - यह एशिया के सबसे बड़े किलों में से एक है। शत्रु से सुरक्षा के लिए बनाए जानेवाले वास्तु का नाम किला या दुर्ग है। इन्हें 'गढ़' और 'कोट' भी कहते हैं। दुर्ग, पत्थर आदि की चौड़ी दीवालों से घिरा हुआ वह स्थान है जिसके भीतर राजा, सरदार और सेना के सिपाही आदि रहते है। नगरों, सैनिक छावनियों और राजप्रासादों सुरक्षा के लिये किलों के निर्माण की परंपरा अति प्राचीन काल से चली आ रही है। आधुनिक युग में युद्ध के साधनों और रण-कौशल में वृद्धि तथा परिवर्तन हो जाने के कारण किलों का महत्व समाप्त हो गया है और इनकी कोई आवशकता नहीं रही। .

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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ भारत का एक राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन १ नवम्बर २००० को हुआ था। यह भारत का २६वां राज्य है। भारत में दो क्षेत्र ऐसे हैं जिनका नाम विशेष कारणों से बदल गया - एक तो 'मगध' जो बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण "बिहार" बन गया और दूसरा 'दक्षिण कौशल' जो छत्तीस गढ़ों को अपने में समाहित रखने के कारण "छत्तीसगढ़" बन गया। किन्तु ये दोनों ही क्षेत्र अत्यन्त प्राचीन काल से ही भारत को गौरवान्वित करते रहे हैं। "छत्तीसगढ़" तो वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ के प्राचीन मन्दिर तथा उनके भग्नावशेष इंगित करते हैं कि यहाँ पर वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध संस्कृतियों का विभिन्न कालों में प्रभाव रहा है। .

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