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दीघनिकाय और सामाजिक संविदा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

दीघनिकाय और सामाजिक संविदा के बीच अंतर

दीघनिकाय vs. सामाजिक संविदा

दीघनिकाय (संस्कृत:दीर्घनिकाय) बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक के सुत्तपिटक का प्रथम निकाय है। दीघनिकाय में कुल ३४ सुत्त सूत्र है। यह लम्बे सूत्रों का संकलन है। इन सुत्रों के आकार दीर्घ (लम्बा) हैं इसी लिए इस निकाय को दीघनिकाय (पालि दीघ. सामाजिक संविदा (Social contract) कहने से प्राय: दो अर्थों का बोध होता है। प्रथमत: सामाजिक संविदा-विशेष, जिसके अनुसार प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले कुछ व्यक्तियों ने संगठित समाज में प्रविष्ट होने के लिए आपस में संविदा या ठहराव किया, अत: यह राज्य की उत्पत्ति का सिद्धांत है। दूसररे को सरकारी-संविदा कह सकते हैं। इस संविदा या ठहराव का राज्य की उत्पत्ति से कोई संबंध नहीं वरन् राज्य के अस्तित्व की पूर्व कल्पना कर यह उन मान्यताओं का विवेचन करता है जिन पर उस राज्य का शासन प्रबंध चले। ऐतिहासिक विकास में संविदा के इन दोनों रूपों का तार्किक क्रम सामाजिक संविदा की चर्चा बाद में शुरू हुई। परंतु जब संविदा के आधार पर ही समस्त राजनीति शास्त्र का विवेचन प्रारंभ हुआ तब इन दोनों प्रकार की संविदाओं का प्रयोग किया जाने लगा - सामाजिक संविदा का राज्य की उत्पत्ति के लिए तथा सरकारी संविदा का उसकी सरकार को नियमित करने के लिए। .

दीघनिकाय और सामाजिक संविदा के बीच समानता

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दीघनिकाय और सामाजिक संविदा के बीच तुलना

दीघनिकाय 10 संबंध है और सामाजिक संविदा 14 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (10 + 14)।

संदर्भ

यह लेख दीघनिकाय और सामाजिक संविदा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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