दासप्रथा (पाश्चात्य) और मार्क ट्वैन
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दासप्रथा (पाश्चात्य) और मार्क ट्वैन के बीच अंतर
दासप्रथा (पाश्चात्य) vs. मार्क ट्वैन
मानव समाज में जितनी भी संस्थाओं का अस्तित्व रहा है उनमें सबसे भयावह दासता की प्रथा है। मनुष्य के हाथों मनुष्य का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न इस प्रथा के अंर्तगत हुआ है। दासप्रथा को संस्थात्मक शोषण की पराकाष्ठा कहा जा सकता है। एशिया, यूरोप, अफ्रीका, अमरीका आदि सभी भूखंडों में उदय हानेवाली सभ्यताओं के इतिहास में दासता ने सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक व्यवस्थाओं के निर्माण एवं परिचालन में महत्वपूर्ण योगदान किया है। जो सभ्यताएँ प्रधानतया तलवार के बल पर बनी, बढ़ीं और टिकी थीं, उनमें दासता नग्न रूप में पाई जाती थी। पश्चिमी सभ्यता के विकास के इतिहास में दासप्रथा ने विशिष्ट भूमिका अदा की है। किसी अन्य सभ्यता के विकास में दासों ने संभवत: न तो इतना बड़ा योग दिया है और न अन्यत्र दासता के नाम पर मनुष्य द्वारा मनुष्य का इतना व्यापक शोषण तथा उत्पीड़न ही हुआ है। पाश्चात्य सभ्यता के सभी युगों में - यूनानी, रोमन, मध्यकालीन तथा आधुनिक- दासों ने सभ्यता की भव्य इमारत को अपने पसीने और रक्त से उठाया है। . मार्क ट्वैन सेम्युअल लेन्गहोर्न क्लेमेन्स (नवंबर ३०, १८३५ - अप्रैल २१, १९१०) एक प्रसिद्ध और लोकप्रीय अमरीकी लेखक थे। शमूएल लंघोरने का जन्म क्लेमेंस फ्लोरिडा, मिसूरी, 12 नवम्बर 1835 में हुआ था। वह टेनेसी देश के एक व्यापारी जॉन मार्शल क्लेमेंस (11 अगस्त 1798 - 24 मार्च 1847) और जेन लम्पटों क्लेमेंस (18 जून 1803 - अक्टूबर 27, 1890) के पुत्र थे। .
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