दाबविद्युतिकी और रव
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
दाबविद्युतिकी और रव के बीच अंतर
दाबविद्युतिकी vs. रव
दाब-विद्युत का सिद्धान्त: दबाने पर वोल्टेज पैदा होता है, और खींचने पर भी दाब-विद्युत बज़र: जिस आवृत्ति का वोल्टेज इसे दिया जाता है, उसी आवृत्ति पर कम्पन पैदा करता है। कुछ ठोस पदार्थों (जैसे क्रिस्टल, सिरैमिक्स, अस्थि, डीएनए और विभिन्न प्रकार के प्रोटीन आदि जैविक पदार्थ) पर यांत्रिक प्रतिबल (स्ट्रेस) लगाने पर उन पर आवेश एकत्र हो जाता है। इसी को दाबविद्युत (Piezoelectricity) कहते हैं तथा इस प्रभाव का नाम दाबविद्युत प्रभाव (पिजोएलेक्ट्रिक इफेक्ट) है। दाबविद्युत के बहुत से उपयोग हैं जैसे ध्वनि के अस्तित्व का पता करना या ध्वनि उत्पन्न करना, उच्च विभव उत्पन्न करना, सूक्ष्मतुला (मामिक्रोबैलेंस), एलेक्ट्रॉनिक आवृत्ति जनित्र, गैस लाइटर आदि। . रव या 'शोर' (noise) का सामान्य अर्थ 'अवांछित ध्वनि' से है। किन्तु भौतिकी तथा एनालॉग एलेक्ट्रॉनिकी में रव से अभिप्राय 'किसी विद्युत संकेत में अवांछित यादृच्छ संकेत का जुड़ना' है। यदि रव से युक्त इस संकेत को ध्वनि में परिवर्तित किया जाय तो ये अवांछित संकेत शोर के रूप में प्रकट होंगे। इसी तरह यदि किसी विडियो संकेत में रव जुड़ जाय तो वह पर्दे पर छबि के साथ 'स्नो' के रूप में दिखेगा। यदि किसी संकेत पर रव की मात्रा बहुत अधिक हो जाय तो मूल अर्थ ही बदल जाय, भ्र्ष्ट हो जाय या पूर्णतः गायब हो जाय। किसी संकेत में मौजूद उपयोगी सूचना तथा अप्रासंगिक अनुपयोगी रव की मात्रा के अनुपात को सिगनल-रव अनुपात (Signal-to-noise ratio) कहते हैं जो एक अत्यन्त उपयोगी मापदण्ड है। श्रेणी:एलेक्ट्रॉनिकी.
दाबविद्युतिकी और रव के बीच समानता
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संदर्भ
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